लोकतंत्र का दिखावा बिखर रहा

  • 02-Apr-25 12:00 AM

श्रुति व्यासक्या आपको एलेक्सी नवलनी याद हैं? वे रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के लिए बड़ा खतरा बन गए थे। नतीजतन पुतिन ने नवलनी को मरवा दिया। और उसके बाद से पुतिन चैन की बंसी बजा रहे हैं।तुर्की में भी एक नवलनी उभरा है। वे इस्तांबुल के मेयर इकरम इमामोग्लु हैं, जिन्हें तुर्की के अगले राष्ट्रपति चुनाव में विपक्ष का उम्मीदवार माना जा रहा है। वे देश के 71 वर्षीय थके-मांदे राष्ट्रपति रजब तैयब इर्दोगान के लिए बड़ा खतरा बन गए हैं।यही वजह है कि इर्दोगान ने 19 मार्च को इमामोग्लु को गिरफ्तार करवा दिया। उसी दिन 105 अन्य व्यक्तियों की गिरफ्तारी के वारंट भी जारी किए गए, जिनमें इमामोग्लु के कुछ सलाहकार, उनकी रिपब्लिकन पीपुल्स पार्टी (सीएचपी) से जुड़े कुछ म्युनिसिपिल पदाधिकारी और शीर्षस्थ पत्रकार भी शामिल हैं।देखते ही देखते देश में अफरातफरी के हालात बन गए। देश राजनैतिक संकट में फंस गया। तुर्की के लोकतंत्र के लिए यह एक बड़ा खतरा है।इमामोग्लु के समर्थक सड़कों पर उतर आए। उन्होंने चक्का जाम किए और जिस थाने में उन्हें गिरफ्तारी के बाद ले जाया गया था, उसके सामने विरोध प्रदर्शन किया। ये विशाल प्रदर्शन पिछले एक दशक के दौरान हुए सबसे बड़ा प्रदर्शन था। इन हालातों में सोशल मीडिया पर प्रतिबंध लगा दिया गया और दि इकोनोमिस्टÓ के अनुसार तुर्की के अधिकारियों ने पुराना सोवियत नुस्खा अपनाया: जिसके खिलाफ कार्यवाही करनी हो, उसका नाम किसी न किसी अपराध से जोड़ दो।पिछले तीन सालों के दौरान इमामोग्लु को कई जांचों और आरोपों का सामना करना पड़ा है, जो भ्रष्टाचार से लेकर उन चुनाव अधिकारियों के अपमान तक से संबंधित थे, जिन्होंने उन्हें 2019 में मेयर पद के चुनाव में जीत से महरूम रखने का प्रयास किया था। अब उन पर एक आपराधिक गिरोह का सरगना होने, एक आतंकवादी समूह की मदद करने, सरकारी ठेकों में रिश्वतखोरी और हेराफेरी आदि के कई प्रकार के आरोप लगाए गए हैं।तुर्की के अधिकारियों ने इस बात का खंडन किया है कि इमामोग्लु, जो राष्ट्रपति के प्रतिद्वंद्वी हैं, पर लगाए गए आरोप राजनीति से प्रेरित हैं। इमामोग्लु बहुत थोड़े समय में ही राष्ट्रपति इर्दोगान और उनकी सरकार के लिए बड़ी चुनौती बनकर उभरे हैं। उनके नेतृत्व में पिछले वर्ष स्थानीय चुनावों में विपक्ष ने जीत हासिल की।यह इर्दोगान और उनकी सत्ताधारी जस्टिस एंड डेव्लपमेंट (एके) पार्टी की बीस सालों से अधिक की अवधि में पहली हार थी। उस जीत के बाद से वे जनमत संग्रहों में इर्दोगान पर अच्छी खासी बढ़त बनाए हुए हैं और 2028 में होने वाले चुनाव, जिनके बारे में कहा जा रहे है कि वे निर्धारित समय के पहले ही करा लिए जाएंगे, में उनका राष्ट्रपति पद का विपक्ष का उम्मीदवार बनना लगभग तय माना जा रहा है।तुर्की का लोकतंत्र का मुखौटा हटता जा रहा है और वहां ऐसे हालात बनते जा रहे हैं जिनमें राजनैतिक प्रतिस्पर्धा लगभग असंभव होती जा रहा है। ऐसे कयास लगाए जा रहे हैं कि अंकारा के मेयर, जो राष्ट्रपति पद के एक अन्य संभावित दावेदार हो सकते हैं, को भी इमामोग्लु जैसी स्थिति का सामना करना पड़ सकता है।लोकतंत्र का दिखावा बिखर रहा है और यह तुर्की की अर्थव्यवस्था पर भी बहुत बुरा असर डाल रहा है। तुर्की की मुद्रा लीरा, जो पिछले कुछ सालों में कमखर्ची और ब्याज में वृद्धि के चलते कुछ मजबूत हुई थी, की कीमत में इमामोग्लु की गिरफ्तारी के कुछ ही घंटों के भीतर डालर की तुलना में 12 प्रतिशत से अधिक की गिरावट आ गई।तुर्की पिछले कई सालों से आर्थिक संकट से जूझ रहा है जिसके चलते जीवन अधिक खर्चीला हो गया है, और जिसके कारण इन प्रदर्शनों के बहुत पहले से सरकार को आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा था। लेकिन अब तो इस्तांबुल की सड़कों पर अशांति है। लोगों के एकत्रित होने पर पाबंदी होने के बावजूद पिछले छ:ह दिनों से लगातार प्रदर्शन जारी हैं। दस पत्रकारों सहित 1100 से अधिक लोगों को हिरासत में लिया गया है।इस कार्यवाही से निवेशकों का भरोसा हिल गया है और यदि इर्दोगान, पुतिन की राह पर चलते रहे तो तुर्की को आर्थिक संकट का सामना तो करना ही पड़ेगा, वहां रूस जैसे हालात बन जाएंगे। इमामोग्लु का अंत भले ही निकट भविष्य में नवलनी जैसा हो या न हो, लेकिन यह तो पक्के तौर पर कहा जा सकता है कि उन विज्ञापनों के दिन लद गए हैं जिनमें तुर्की को पर्यटन और सैर-सपाटे के नए ठिकाने के रूप में प्रचारित किया जाता था। इसके उलट, देश अंधकार के रसातल में धंस सकता है।




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