
वैश्विक अनिश्चितताओं के बीच भारत की 8प्रतिशत से अधिक जीडीपी वृद्धि, आरबीआई गवर्नर बोले : मजबूत घरेलू मांग ने दी स्थिरता
- 16-Oct-25 07:23 AM
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नई दिल्ली ,16 अक्टूबर । वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं और भू-राजनीतिक तनावों के बीच भारत ने 8 प्रतिशत से अधिक की शानदार आर्थिक वृद्धि दर हासिल की है। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (क्रक्चढ्ढ) के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (ढ्ढरूस्न) की वार्षिक बैठक में यह जानकारी दी।
उन्होंने कहा कि भारत एक घरेलू मांग आधारित अर्थव्यवस्था है, इसलिए अमेरिकी टैरिफ विवाद या वैश्विक व्यापार में आई सुस्ती का देश की वृद्धि पर सीमित प्रभाव पड़ेगा। मल्होत्रा ने कहा कि कोविड-19 महामारी और रूस-यूक्रेन युद्ध के प्रभावों के बावजूद भारत ने तेजी से सुधार करते हुए वैश्विक मंच पर मजबूत स्थिति बनाई है। उन्होंने कहा कि भारत की आर्थिक बुनियाद मजबूत है और यह वैश्विक झटकों का सामना करने में सक्षम है।
मुद्रास्फीति नियंत्रण और घाटे पर काबू
क्रक्चढ्ढ गवर्नर ने बताया कि भारत ने मुद्रास्फीति को 8 प्रतिशत से घटाकर 1.5 प्रतिशत तक लाने में सफलता पाई है, जो पिछले आठ वर्षों का सबसे निचला स्तर है। उन्होंने कहा कि तेल की कीमतों में गिरावट ने भी इसमें अहम भूमिका निभाई है।
इसके अलावा, भारत का राजकोषीय घाटा नियंत्रण में है और केंद्र सरकार का घाटा त्रष्ठक्क का 4.4 प्रतिशत रहने का अनुमान है। मल्होत्रा ने बताया कि भारत का कुल कर्ज वैश्विक स्तर पर सबसे कम में से एक है, और सरकार तथा वित्तीय संस्थाओं के बीच बेहतर समन्वय ने इस उपलब्धि को संभव बनाया है। उन्होंने कहा कि जहां अमेरिकी डॉलर में 10 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई, वहीं भारतीय रुपये में इतनी गिरावट नहीं आई। इसका कारण भारत की सतर्क नीतियां और पूंजी प्रवाह का सुव्यवस्थित प्रबंधन है।
मल्होत्रा ने जोर देकर कहा कि रुपये की स्थिरता भारत की प्राथमिकता है। उन्होंने यह भी जोड़ा कि भारत के पूंजी बाजार गहरे और सशक्त हैं, जो अर्थव्यवस्था को अतिरिक्त स्थिरता और लचीलापन प्रदान करते हैं। वैश्विक अनिश्चितताओं के बावजूद, भारत की नीतिगत स्थिरता, नियंत्रित मुद्रास्फीति और मजबूत घरेलू मांग ने इसे उभरती अर्थव्यवस्थाओं में अग्रणी स्थान दिलाया है।
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