
सिटीजनशिप एक्ट की धारा 6A की वैधता बरकरार, सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला
- 17-Oct-24 06:55 AM
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नई दिल्ली 17 Oct, (Rns) : सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) ने सिटीजनशिप एक्ट (Citizenship act) की धारा 6A की वैधता पर अपना फैसला सुना दिया है। कोर्ट ने धारा 6A की वैधता को बरकरार रखा है। CJI डीवाई चंद्रचूड़ का कहना था कि 6A उन लोगों को नागरिकता प्रदान करता है जो संवैधानिक प्रावधानों के अंतर्गत नहीं आते हैं और ठोस प्रावधानों के अंतर्गत नहीं आते हैं।
Validity of Section 6A of Citizenship Act intact : सिटीजनशिप एक्ट की धारा 6A को 1985 में असम समझौते को आगे बढ़ाने के लिए संशोधन के बाद जोड़ा गया था। असम समझौते के तहत भारत आने वाले लोगों की नागरिकता के लिए एक विशेष प्रावधान के रूप में नागरिकता अधिनियम में धारा 6ए जोड़ी गई थी। इस धारा में कहा गया है कि जो लोग 1985 में बांग्लादेश समेत क्षेत्रों से 1 जनवरी 1966 या उसके बाद लेकिन 25 मार्च 1971 से पहले असम आए हैं और तब से वहां रह रहे हैं, उन्हें भारतीय नागरिकता प्राप्त करने के लिए धारा 18 के तहत अपना रजिस्ट्रेशन कराना होगा। इस प्रावधान ने असम में बांग्लादेशी प्रवासियों को नागरिकता देने की अंतिम तारीख 25 मार्च 1971 तय कर दी। इससे पहले दिसंबर 2023 में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामे दायर किया था और कहा था कि वो भारत में अवैध प्रवास की सीमा के बारे में सटीक डेटा नहीं दे पाएगा क्योंकि प्रवासी चोरी-छिपे आए हैं।
SC ने नागरिकता अधिनियम 1955 की धारा 6ए की वैधता बरकरार रखी और 4:1 के बहुमत से फैसला दिया। जस्टिस जे पारदीवाला ने असहमति जताई। जस्टिस पारदीवाला का कहना था कि यह संभावित प्रभाव से असंवैधानिक है। सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस सूर्यकांत, एमएम सुंदरेश और मनोज मिश्रा बहुमत में रुख रहा। नागरिकता अधिनियम 1955 की धारा 6ए को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी। इन याचिकाओं पर SC की पांच जजों की संविधान पीठ ने सुनवाई की और फैसला सुनाया। कोर्ट का कहना था कि असम में 40 लाख प्रवासी हैं और पश्चिम बंगाल में 56 लाख प्रवासी हैं। लेकिन इसका प्रभाव असम में ज्यादा है। इसलिए असम को अलग करना वैध है। 1971 की कटऑफ तिथि तर्कसंगत विचार पर आधारित है। ऑपरेशन सर्चलाइट के बाद पूर्वी पाकिस्तान से पलायन बढ़ा है।
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