सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला: मध्य प्रदेश सिविल जज भर्ती में तीन साल की प्रैक्टिस अनिवार्यता की रद्द, दिए ये निर्देश

  • 24-Sep-25 02:30 AM

नई दिल्ली/ भोपाल 24 Sep, (Rns) । सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के उस आदेश को रद्द कर दिया, जिसमें सिविल जज के पदों पर भर्ती के लिए तीन साल की लीगल प्रैक्टिस को अनिवार्य किया गया था। जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस अतुल एस. चंदुरकर की पीठ ने मंगलवार को यह महत्वपूर्ण फैसला सुनाया। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की ओर से अधिवक्ता अश्विनी कुमार दुबे ने तर्क दिया कि दोबारा परीक्षा आयोजित करना “असंवैधानिक और अव्यावहारिक” होगा। उन्होंने कहा कि इससे अनावश्यक मुकदमेबाजी शुरू हो सकती है।

सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के बाद हाईकोर्ट के खंडपीठ के फैसले को चुनौती देने वाली अपील को स्वीकार कर लिया। यह आदेश मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के 13 जून, 2024 के उस फैसले के खिलाफ दायर अपील पर आया, जिसमें 14 जनवरी, 2024 को आयोजित प्रारंभिक परीक्षा में सफल उन उम्मीदवारों को बाहर करने का निर्देश दिया गया था, जो संशोधित नियमों के तहत पात्रता मानदंडों को पूरा नहीं करते थे। पिछले साल, सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के उस आदेश पर रोक लगा दी थी, जिसमें तीन साल की लीगल प्रैक्टिस की अनिवार्यता के बिना सिविल जज भर्ती प्रक्रिया को रोका गया था।




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