(इंदौर)असंभव कार्यों के नाम पर असंतुष्टÓ इंदौर नगर की हकीकत.. कांग्रेस
- 06-Aug-25 12:00 AM
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-पुष्यमित्र भार्गव के तीन वर्ष रीलÓ बनाम रियलÓ मेयर के बीच ही झूलते रह गए.. कांग्रेसइंदौर, 6 अगस्त (आरएनएस)। भाजपा और महापौर पुष्यमित्र भार्गव के दावों की वास्तविकता शहर की जमीनी स्थिति से मेल नहीं खाती। तीन सालों में जो असंभव कार्यों को संभवÓ बनाने का दावा हुआ है, असलियत में वही सबसे ज्यादा अधूरे और जनविरोधी साबित हुए हैं।मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रदेश प्रवक्ता राजेश चौकसे एवं प्रवक्ता अमित चौरसिया मे अपने संयुक्त प्रेस बयान में इंदौर नगर निगम भाजपा परिषद एवं महापौर के कार्यकाल पर तीखे प्रशन उठाते हुए कहा कि :1. *सड़कों और बुनियादी सुविधाओं की बदहाली के लिए कौन जवाबदार*: नगर निगम के तमाम वादों के बाद भी शहर की सड़कों की हालत बेहद खराब है। बार-बार पैचवर्क, गड्ढे और अधूरी सड़क परियोजनाएं आम जनता की परेशानी का कारण बनी हुई हैं ? सरवटे टु गंगावल बस स्टेण्ड, चिकमंगलूर टु बड़ागणपति, चन्दन नगर रिंग रोड जैसी महत्वपूर्ण सड़को का निर्माण कार्य अधर मे लटका हुआ है। कांग्रेस प्रवक्ताओं ने कहा कि तीन सालों में सड़कों की हालत बदतर हुई है लगातार मरम्मत जरूरी पड़ी, कई लेफ्ट टर्न और सड़कें अधूरी हैं तथा गड्ढे और टूटी सड़कें दुर्घटनाओं के कारण बने हैं शहर की तमाम सड़को पर घंटो का जाम आम समस्या बन गई है।2. *स्वच्छता और प्रशासनिक पारदर्शिता पर सवाल*: स्वच्छता मिशन और डिजिटल पोर्टल जैसी योजनाओं के बावजूद हजारों शिकायतें निगम एप पर लंबित हैं, और नागरिकों की सुनवाई नहीं हो रही है पूर्व मे डिलीट हुआ सम्पति कर का डाटा अभी तक रिकवर नहीं हुआ।3. *जनहित की अनदेखी ट्रेफीक मित्र निकला जुमला*: इनोवेशन और नई व्यवस्था के नाम पर आम जनता को ज्यादा परेशानी हुई है। यातायात प्रबंधन में बार-बार बदलावों से शहरवासियों को असुविधा हुई और मलिन बस्तियों में बुनियादी सुविधाओं की कमी आज भी बरकरार है। शहर की प्रमुख सड़को पर घंटो का जाम न कभी महापौर दिखे न ही उनके ट्रेफीक मित्र।4. *कर वृद्धि और वित्तीय बोझ*: चुनाव के समय टैक्स न बढ़ाने का वादा महज दिखावा रहा। टैक्स में बेतहाशा बढ़ोतरी कर संपत्ति, जल कर, कचरा शुल्क एवं अन्य करो में 50त्न तक इज़ाफा करते हुए जनता पर सीधा बोझ डाला गया। जिससे आम आदमी पर आर्थिक बोझ बढ़ा है। इस वादा खिलाफ़ी के लिए कौन सी उपाधि से सम्मानित किया जाए? नगर निगम को आत्मनिर्भर बनाने के दावे भी जुमले साबित हुए। सोलर सिटी बनाने के एम पी ई बी के प्रयासों को खुद का बता पीठ थप थापा रहे है। ग्रीन बॉन्ड के नाम से शहर की जनता को ठगा गया है,महापौर बताएं ग्रीन बॉन्ड खरीदने वाले को कितना मुनाफा मिला?5. *प्रचार बनाम असलियत*: डिजिटल अभियान, इंटर्नशिप विद मेयरÓ,प्रवासी भारतीय सम्मलेन और अन्य आयोजनों से केवल अपनी छवि चमकाई गई, जबकि वास्तविक मुद्दों (गंदा पानी, आवास, अवैध कॉलोनियों) का कोई ठोस समाधान नहीं मिला शहर की जनता ने रियल महापौर चुना था पुष्यमित्र भार्गव सोशल मीडिया के रील महापौर बनकर रह गए।6. *विकेंद्रीकरण की हकीकत*: ज़ोन अध्यक्षों और अपील समितियों जैसी बातें केवल कागजों तक सीमित हैं आम नागरिकों की समस्याएं आज भी जस की तस कई बार जोन अध्यक्षों, भाजपा पाषर्दो एवं एमआईसी मेंबरो ओर जोनल अधिकारियो के विवाद सड़को पर आए निगम जोनल कार्यालयों पर क्या कभी महापौर ने जाकर देखा किस तरह जनता के साथ दुव्र्यवहार होता है।7. *नवाचारों पर निशाना*: कांग्रेस ने कहा कि महापौर के नवाचारों से जनता परेशान हुई जैसे- जवाहर मार्ग ह्रठ्ठद्ग ङ्खड्ड4 और मधूमिलन चौराहे की दुर्गति। प्रमुख बस स्टैंड, पार्क व अस्पतालों की दुर्दशा जनता ने उजागर की।8. *जनसुनवाई और निगम एप की शिकायतें*: निगम के 311 एप पर हजारों शिकायतें लंबित हैं, और कई मामलों में शिकायतकर्ताओं को डराया-धमकाया जाता है जिसके कई बार प्रमाण सामने आए।9. *साफ-सफाई और जलप्रदाय की स्थिति*: नर्मदा नलों में गंदे पानी की समस्या अभी तक हल नहीं हुई है। कई सड़क और विकास कार्य अधूरे पड़े हैं। शहर की सड़को पर धूल के गुबार उड़ रहे है क्या इस उपलब्धि के लिए आपका नागरिक अभिन्दन करें ?कांग्रेस नेताद्वय ने भाजपा की निगम परिषद की असलियत उजागर करते हुए कहा की , महापौर अपनी डिजिटल और प्रचार छवि पर ध्यान देते हैं, असल समस्याओं की अनदेखी हो रही है जिसकी उन्हें परवाह ही नहीं है। तीन साल का कार्यकाल इंदौर की जनता के लिए विकल्प से ज्यादा बेबस इंतजारÓ की तरह रहा है। इंदौर नगर निगम को आत्मनिर्भर बनाने, क्लीन सिटी ग्रीन सिटी, जैसे दावे हवा हवाई साबित हुए महापौर बताएं उनकी इलेक्ट्रिक कार कौन स्वागत कबाड़ मे पड़ी है जिसको लेकर शहर की सुर्खिया बटोरी थी ? भाजपा को चाहिए कि वह जमीनी सच्चाइयों को स्वीकार कर, जन आकांक्षाओं के अनुरूप काम करे — न कि सिर्फ आँकड़ों और घोषणाओं के भरोसे अपनी उपलब्धियाँ गिनाए। कांग्रेस ने पूछा- भाजपा नगर परिषद के तीन साल पूरे होने पर कौनसी ऐसी जमनी उपलब्धि है, जिसका जश्न मनाया जाए ? -इंदौर नगर निगम के बेलगाम भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने मे नाकाम साबित हुए महापौर?प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता राजेश चौकसे एवं प्रवक्ता अमित चौरसिया ने इंदौर नगर निगम में व्याप्त भ्रष्टाचार पर प्रकाश डालते हुए कहा कि पिछले तीन वर्षों में इंदौर नगर निगम पर एक के बाद एक बड़े भ्रष्टाचार और घोटालों का खुलासा हुआ है, जिससे जनता का भरोसा बुरी तरह हिल गया है। महापौर और भाजपा परिषद की जिम्मेदारी पर गंभीर सवाल खड़े होते हैं, जिनके कार्यकाल में निगम का कामकाज घोटालों का गढ़Ó बन गया है।1. *फर्जी बिल घोटाला (?125–?200 करोड़ से अधिक)* - ड्रेनेज, नाला टेपिंग और सिवरेज कार्यों में फर्जी बिल बनाए गए, बिना जमीनी कार्य के करोड़ों रुपये का भुगतान कर दिया गया। - श्वष्ठ ने 34 करोड़ की संपत्ति जब्त की, 11 लोग गिरफ़्तार, अभी भी कई फरार, और छापे जारी। - फर्जी बिल और भुगतान से नगर निगम और प्रदेश की छवि खराब हुई।2. *फेक बैंक गारंटी और कॉन्ट्रैक्ट घोटाला (?183 करोड़)* - फर्जी बैंक गारंटी के जरिए कंपनियों को 974 करोड़ के कॉन्ट्रैक्ट दिए गए। - ष्टक्चढ्ढ और पुलिस द्वारा बड़े स्तर पर जांच तथा गिरफ्तारियाँ।3. *बागवानी विभाग और प्लांटेशन घोटाला (?4 करोड़ से अधिक)* - पौधा रोपण एवं आयोजन के नाम पर बड़े पैमाने पर गड़बड़ी हुई। करोड़ों की संपत्ति एक अधिकारी के घर से बरामद, आय से कई गुना अधिक संपत्ति का खुलासा हुआ था।4. *अन्य घोटाले और कमीशन सिस्टम* - कांग्रेस ने आरोप लगाते हुए कहा की एम आई सी में पूरी 30त्न कमीशन व्यवस्था चलती है, कर वसूली से लेकर कार्य फाइल पासिंग तक। 5. *स्ट्रीट लाइट घोटाला*: स्ट्रीट लाइट लगाने, बिजली आपूर्ति और मेंटेनेंस के नाम पर करोड़ों के टेंडर फर्जी तरीके से पास किए गए, जिससे बड़े पैमाने पर घोटाला उजागर हुआ।6.*नाला टेपिंग घोटाला*: नाला टेपिंग कार्यों के नाम पर कागज़ों पर ही काम पूरा दिखा दिया गया, लेकिन ज़मीन पर हालात जस के तस रहे; भुगतान और ठेकेदारी में भारी गड़बड़ी सामने आई।7. *स्ट्रांम वाटर लाइन घोटाला*: स्ट्रांम वाटर लाइन प्रोजेक्ट्स में भी काम का बजट करोड़ों में पास हुआ, पर ग्राउंड लेवल पर कई क्षेत्रों में जलभराव और निकासी की समस्या जस की तस रही; घोटाले में अधिकारियों और ठेकेदारों की मिलीभगत के आरोप लगे।8. *जांच और कार्रवाई* - श्वष्ठ, ष्टक्चढ्ढ, श्वह्रङ्ख समेत कई एजेंसियां लगातार छापे और जांच कर रही हैं। कई बड़े अफसर, कॉन्ट्रैक्टर गिरफ्त में, संपत्तियां जब्त हुई, खातों की जांच अभी तक जारी है।इन लगातार उजागर हो रहे घोटालों ने नगर निगम की विश्वसनीयता पर गहरी चोट की है। महापौर और भाजपा परिषद को जवाब देना चाहिए कि जवाबदेही किसकी है? जब लगातार एक ही पार्टी के महापौर रहे, तो यह भ्रष्टाचार किसके संरक्षण में पनपता रहा? जनता अब जवाब और सख्त कार्रवाई की मांग कर रही है। नेताद्वय ने कहा की यह तो सिर्फ प्रमुख मुद्दे है जो महापौर पुष्यमित्र भार्गव ओर भाजपा की निगम परिषद की पिछले 3 वर्षों की नाकामियों को उजागर करते हैं इसके अलावा और भी अनेक विषय हैं जिस पर लगातार इंदौर नगर निगम जनता को सुविधा देने के नाम पर विफल साबित हुआ है।
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