(इंदौर)नवोदित कलाकारों के लिए देवास में अंतर्राष्ट्रीय स्तर का केंद्र स्थापित करना चाहते हैं अभिनेता चेतन पंडित

  • 07-Sep-25 12:00 AM

-स्टेट प्रेस क्लब, म.प्र. के रूबरू कार्यक्रम में अभिनेता पंडित ने बताई अपनी जीवनगाथाइंदौर 7 सितंबर (आरएनएस)। सुप्रसिद्ध अभिनेता चेतन पंडित की ख्वाहिश है कि कला एवं संस्कृति के उन्नयन के लिए उनकी जन्मस्थली देवास में अंतर्राष्ट्रीय स्तर का केंद्र स्थापित हो। इस कार्य के लिए वे अपनी ओर से जमीन भी उपलब्ध कराने को तैयार हैं। उन्होंने कहा कि अपने जीवन काल में जो तकलीफ सहन की और संघर्ष किया है वो नहीं चाहते नई पीढ़ी यह सब बर्दाश्त करे।श्री पंडित स्टेट प्रेस क्लब, म.प्र. के रूबरू कार्यक्रम में मीडियाकर्मियों से चर्चा कर रहे थे। उन्होंने कहा कि छोटे और बड़े परदे पर लगभग तीस साल के अनुभव के बाद उन्हें यह महसूस हो रहा है कि नई पीढ़ी के कलाकारों को कला एवं संस्कृति क्षेत्र में नई तकनीक और उच्च श्रेणी के प्रशिक्षण की बेहद आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि अपनी मातृभूमि का कर्ज उतारने के लिए देवास में अंतर्राष्ट्रीय स्तर के केंद्र की स्थापना के लिए प्रयास शुरू कर दिए हैं। उन्होंने बताया कि इंदौर, देवास, उज्जैन के कलाकारों के लिए यह केंद्र प्रशिक्षण के साथ प्रदर्शन के लिए भी उपलब्ध रहेगा। उन्होंने कहा कि वे अपने जीवन में अंतिम समय तक रंगमंच के लिए जुनून को जिन्दा रखेगे।गंगाजल, अपहरण, लोकनायक, राजनीति, चक्रव्यूह, जंजीर, तक्षक जैसी फिल्मों और पुनर्विवाह, कहीं तो होगा, सरस्वती चन्द्र, कलश, पवित्र रिश्ता, सपने सुहाने लड़कपन के सीरियल में प्रभावी अभिनय करने वाले श्री पंडित ने कहा कि जब वे इंदौर से नाट्य अभिनय की शिक्षा लेकर मुंबई गए तो उन्हें हतोत्साहित करने की खूब कौशिश हुई। उस दौर में उन्होंने सीखा कि कहाँ क्या करना चाहिए और क्या नहीं। उन्होंने कड़ी मेहनत की और नतीजा यह रहा कि चाहे अमिताभ बच्चन हो या नाना पाटेकर उनके सामने भी किरदार निभाने में कभी कतई अड़चन नहीं आई। उन्होंने फिल्म लोकनायक के अभिनय को अपने जीवन का श्रेष्ठ काम माना। श्री पंडित ने नवोदित कलाकारों का आव्हान किया कि वे खूब पढ़ें। पढने से दृष्टि का विकास होता है। उन्होंने भी डॉ. अशोक बाजपेयी, बसंत पोद्दार, प्रभु जोशी, मानव कोल, रामधारी सिंह दिनकर जैसे अनेक लेखकों की कृतियाँ पढ़कर खुद को समृद्ध किया है। उन्होंने यह भी कहा कि सफल होने के लिए अभिनय के अलावा कॉस्टयूम, लाइटिंग, वीडियोग्राफी, म्यूजिक जैसे क्षेत्र का प्रशिक्षण भी जरूरी है। श्री पंडित ने बताया कि प्रारंभिक दिनों में उन्होंने देवी अहिल्या विश्वविद्यालय से फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी में पीजी डिप्लोमा किया। यहां प्रो. चन्दन गुप्ता ने उन्हें जो बारीकियां सिखाई वो उनके कैरियर में बेहद मददगार साबित हुई। आज वे शूटिंग के दौरान एक्टिंग के साथ कैमरे और एंगल को भी समझते हैं। यह एक और एक ग्यारह जैसा हो जाता है। उन्होंने नब्बे के दशक में इंदौर के धेनु मार्केट से अपने प्रशिक्षण की शुरुआत की और कला निकेतन ग्रुप के नाटक में सिर्फ एक नारे का अभिनय करके मंच का सफऱ शुरू किया। एनएसडी में प्रवेश लेकर उन्होंने वहां मालवीय थियेटर भी कर डाले। रंगमंच का वैराट्य उन्होंने एनएसडी में सीखा। उनके पिता नरेंद्र पंडित और माता पहले गुरु थे जिन्होंने सिखाया कि खुल के बांटो जिसे जो लेना है वह ले लेगा।ओटीटी प्लेटफॉर्म पर सेक्स और हिंसा के बढ़ते प्रदर्शन के संदर्भ में उन्होंने कहा कि अब दुनिया बहुत खुली हो चुकी है। मोबाईल पर ही बहुत कुछ देखा और दिखाया जाता है। उन्हें लगता है कि यह इंडव्यूज्वल सेंसरशिप का मामला है। नई पीढ़ी इस मामले में समझदार है।प्रारंभ में अभिनेता चेतन पंडित का स्वागत प्रवीण खारीवाल, पंकज क्षीरसागर, दीपक माहेश्वरी, राजीव घोलप, अर्जुन नायक, रेशमा द्विवेदी, निष्ठा मौर्य, इदरीस खत्री, नितीश उपाध्याय ने किया। सोनाली यादव ने स्मृति चिन्ह एवं गोविन्द लाहोटी कुमारÓ ने कैरिकेचर भेंट किया। कार्यक्रम का संचालन मोहन वर्मा ने किया।




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