(कुशीनगर)कुशीनगर में फसल सुरक्षा हेतु गेंहू में करनाल बन्ट एवं खरपतवार नियंत्रण की दी जानकारी कृषि अधिकारी ने
- 16-Nov-23 12:00 AM
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कुशीनगर 16 नवंबर (आरएनएस)। उत्तर प्रदेश के कुशीनगर में जिला कृषि रक्षा अधिकारी डा0 मेनका ने गेंहू में विभिन्न प्रकार के लगने वाले रोगों के नियंत्रण के क्रम में बताया कि प्रदेश के तराई क्षेत्रों में गेंहू की फसल में करनाल बन्ट की समस्या रहती है, जो करनाल बन्ट एक बीज जनित रोग है। इसके लिये बुवाई हेतु रोग अवरोधी प्रमाणित बीज का चुनाव करना चाहिए। • बीज को दो प्रतिशत नमक के घोल में डुबा दें तथा जो बीज घोल की सतह पर तैरता दिखाई दे उसे निकाल कर फेंक दें। बीज को पानी से निकालकर छाया में सुखाकर बुवाई करना चाहिए। अनावृत्त कण्डुआ एवं बन्ट के नियंत्रण हेतु थीरम 75त्न डी0एस0 / डब्लू0एस0 की 2.5 ग्राम अथवा कार्बेन्डाजिम 50त्न डब्लू0पी0 2.0 ग्राम प्रति कि0ग्रा0 बीज की दर से बीजशोधन करके बुवाई करना चाहिए। उन्होंने बताया कि गेंहू में खरपतवार नियंत्रण हेतु सकरी पत्ती वाले खरपतवारों यथा- गेंहूसा एवं जंगली जई के नियंत्रण हेतु सल्फोसल्फ्यूरान 75त्न डब्लू0जी0 33 ग्राम (2.5 यूनिट) मात्रा प्रति हे0 की दर से 500-600 लीटर पानी में घोलकर प्रथम सिंचाई के बाद 25-30 दिन की अवस्था पर छिड़काव करना चाहिए। चौड़ी पत्ती वाले खरपतवारों के नियंत्रण हेतु 2,4-डी मिथाइल एमाइन साल्ट 50त्न की 1.25 लीटर अथवा मेटसल्फ्यूरान मिथाइल 20त्न डब्लू0पी0 20 ग्राम मात्रा को 500-600 लीटर पानी में घोलकर प्रति हे0 की दर से फ्लैट फैन नाजिल से प्रथम सिंचाई के बाद 25-30 दिन की अवस्था पर छिड़काव करें। सकरी एवं चौड़ी पत्ती दोनो खरपतवारों के नियंत्रण हेतु सल्फोसल्फ्यूरान 75त्न + मेटसल्फ्यूरान मिथाइल 5त्न डब्लू0जी0 40 ग्राम (25 यूनिट) मात्रा को 300-400 लीटर पानी अथवा मेट्रीब्यूजिन 70त्न डब्लू0पी0 की 250 ग्राम मात्रा 500-600 लीटर में घोलकर प्रति हे0 की दर से फ्लैट फैन नाजिल से प्रथम सिंचाई के बाद 25-30 दिन की अवस्था पर छिडकाव करें।
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