(खुरई)पूर्व गृहमंत्री, विधायक भूपेंद्र सिंह ने 5.82 करोड़ के विकास कार्यों का भूमिपूजन व लोकार्पण किया

  • 09-Jun-25 12:00 AM

-धरमपुर में कलश स्थापना, वृक्षारोपण में कहा हरा वृक्ष काटना हत्या के समानधरमपुर, (खुरई) 9 जून (आरएनएस)। पूर्व गृहमंत्री, पूर्व सांसद, विधायक खुरई श्री भूपेंद्र सिंह ने ग्राम पंचायत धरमपुर में आयोजित कार्यक्रम में 4.36 करोड़ की लागत से निर्मित हो रहे बलोप-धरमपुर-जनराहो सड़क सहित 5.82 करोड़ के विभिन्न विकास कार्यों का भूमिपूजन व लोकार्पण किया। उन्होंने धरमपुर के राजमंदिर में कलश स्थापना व ध्वजारोपण कार्यक्रम में पहुंच कर कलश पूजन किया और मंदिर परिसर में वृक्षारोपण किया। इस अवसर पर उन्होंने सनातन धर्म और संस्कृति की महिमा से ओतप्रोत अपने उद्बोधन में कहा कि वृक्षों में ईश्वर का वास है और हरे वृक्ष को काटना मनुष्यों की हत्या के समान है। पूर्व गृहमंत्री खुरई विधायक श्री भूपेन्द्र सिंह ने इस कार्यक्रम में उक्त सड़क निर्माण के अतिरिक्त वाटर शेड के तहत बलोप में 69 लाख से फलदार वृक्षारोपण, 10 लाख की लागत से रहरोन स्टाप डेम, 5.75 लाख से बलोप रामपुर में खेत तालाब, 5.55 लाख से चैनपुरा खेत तालाब, 3.50 लाख से चैनपुरा कंटूर ट्रैंच, 8 लाख से रहरोन में खेत तालाब व 4 लाख की लागत से खेत तालाब पाली का भूमिपूजन किया। उन्होंने बलोप में 27 लाख की लागत से निर्मित तालाब व बलोप रामपुर में 12 लाख की लागत से बने छोटे तालाब का लोकार्पण किया।अपने संबोधन में पूर्व गृहमंत्री, खुरई विधायक श्री भूपेन्द्र सिंह ने कहा कि धरमपुर में पांच दिवसीय रामकथा का आयोजन चल रहा है जिसमें आना मेरे लिए सौभाग्य है। हम सभी मिलकर धरमपुर में राम राज्य की स्थापना करते हुए इसे अयोध्या की तरह धर्मनगरी में परिवर्तित कर सकते हैं। इसके लिए धर्म संस्कारों,भक्ति, पुण्य कार्य व सेवा कार्य करते हुए स्वयं को बदलते हुए नई पीढ़ी में अच्छे संस्कार डालने चाहिए। उन्होंने कहा कि मैं कभी गलत काम, गलत आचरण वाले व्यक्ति का साथ नहीं दूंगा चाहे वह कितना भी नजदीकी व्यक्ति हो। मेरा उद्देश्य पवित्र है और मैं सिर्फ धर्म संस्कारों की स्थापना, गरीबों का कल्याण, सेवा कार्य करते हुए राजधर्म का पालन करता हूं। उन्होंने कहा कि धर्म शास्त्रों में रामराज्य को आदर्श राज्य माना गया है और यह मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम की तरह त्याग व मर्यादाओं के पालन से ही संभव है। उन्होंने कहा कि भगवान राम ने अपने मनुष्य जीवन में ही अपने आचरण से एक श्रेष्ठ पुत्र,भाई, पति और राजा की मर्यादाओं का सर्वोच्च आदर्श स्थापित किया। उन्होंने अनीति, अधर्म, अत्याचार के विरूद्ध संघर्ष किया। आज की समाज में छोटे से पद का अभिमान और लोभ मनुष्य को हो जाता है लेकिन भगवान राम ने राजपाट का त्याग कर वनवास के कष्टपूर्ण जीवन को सहज स्वीकार करके त्याग किया इसीलिए उन्हें एक राजपुरुष की तरह नहीं भगवान के रूप में स्वीकार किया गया।उन्होंने कहा कि मनुष्य जीवन में सुख दुख का चक्र रात और दिन की तरह है। हम धर्म के मार्ग पर चलते रहें तो बड़े बड़े संकट छोटी सी दुख तकलीफों में निकल जाते हैं। यह मंदिर जो हम बनाते हैं यह सभी आध्यात्मिक ऊर्जा के केंद्र हैं जहां हमारे मन, आत्मा,शरीर की सकारात्मक चार्जिंग होती है। उन्होंने बताया कि मंदिर में आने वाले भक्तों, श्रद्धालुओं के भावों, ध्यान और भजनों से भी ऊर्जा का संचार मंदिर में होता है और मंदिर की ऊर्जा गर्भगृह के ऊपर शीर्ष पर स्थापित कलश में संग्रहीत होती जाती है। यही कारण है कि मंदिर के कलश का महत्व इतना है कि यदि कभी मंदिर न भी जा पाएं तो कलश के दर्शन से ही पुण्य फल की प्राप्ति हो जाती है। उन्होंने कहा कि धर्म के साथ कर्म की साधना वैसी ही है कि ईश्वर और माता पिता की कृपा से किसान को भूमि तो मिल जाती है लेकिन उस भूमि पर बखरनी, बुआई, सिंचाई के कर्म करके ही फल की प्राप्ति हो सकती है। इसलिए जीवन में कर्म का महत्व धर्मपथ पर चलते हुए करना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि जीवन के सारे नशे भगवान की भक्ति ,भजन के नशे के सामने व्यर्थ हैं।पर चलते हुए करना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि जीवन के सारे नशे भगवान की भक्ति ,भजन के नशे के सामने व्यर्थ हैं।पूर्व गृहमंत्री श्री भूपेन्द्र सिंह ने कहा कि धर्म और सेवा के लिए धन का व्यय अनिवार्य नहीं है। अनेक ऐसे सेवा और पुण्य के कार्य हैं जो धन के बिना हो सकते हैं। यदि आप एक वृक्ष लगाते हैं या रक्तदान करते हैं तो यह बड़ा सेवा और पुण्य का कार्य है। उन्होंने कहा कि वृक्षों में भी जीवन और आत्मा होती है। वृक्ष वर्षा से झल, सूर्य से भोजन लेता है, सोता व जागता है। धर्म शास्त्रों ने वृक्षों में ईश्वर का वास माना है। बेलपत्री और पीपल में भगवान शिव, बरगद में भगवान ब्रह्मा, केले में भगवान शिव, कदंब में भगवान श्री कृष्ण का वास है। हरे वृक्षों को काटना हत्या से कम नहीं है। उन्होंने पार्थिव शिवलिंग का महत्व बताते हुए कहा कि भगवान श्री राम ने लंका विजय के पूर्व पार्थिव शिवलिंग बनाकर भगवान शिव का अभिषेक किया तब रावण वध की शक्ति उन्हें मिली। यदि हम भी प्रतिदिन पार्थिव शिवलिंग बना कर अभिषेक करें तो उसके पुण्य से हाथ की रेखाएं और भाग्य भी बदल जाता है। इस अवसर पर पं. विनय महाराज, राजपाल सिंह राजपूत, राजाभाई, मूरत सिंह, जितेन्द्र सिंह, साहब सिंह, मालक सिंह, ओमप्रकाश सिंह, राजेन्द्र सिंह, निर्भय सिंह, कुंवर सिंह, सुमेर सिंह, मूरत सिंह धरमपुर, शेरसिंह, प्रकाश सिंह, विशाल सिंह, कुंजर सिंह, भूपेन्द्र चौबे, मोहन सिंह, रामजी सिंह, रमेश सिंह, साहूकार सिंह, देव सिंह, रघुराज सिंह, कल्लू नायक, गोपाल सिंह, नरेन्द्र सिंह, माखन प्रजापति, राहुल, सुरेन्द्र, रामराजा, महेश खैरा, डब्बू पटवा, शत्रुघन, अविनाश राजपूत, रंजीत राजपूत, दीपक यादव, प्रफुल्ल बोहरे, रतिराम, देशराज, राजेश, जयपाल, लोकेन्द्र सिंह, प्रमोद सिंह, शिवराज कुशवाहा, राजू, लाखन सिह तथा बड़ी संख्या में श्रद्धालु, ग्रामीण जन उपस्थित रहे।




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