(छिंदवाड़ा)छिंदवाड़ा में अंशकालीन कर्मचारियों की बैठक का फैसला

  • 26-Jul-24 12:00 AM

-न्यूनतम वेतन के लिए अन्याय के शिकार पीडि़त कर्मियों की बनाएंगे एकता, मिलकर करेंगे आर-पार का संघर्षछिंदवाड़ा 26 जुलाई (आरएनएस)। स्कूलों, छात्रावासों में कार्यरत अंशकालीन कर्मचारियों के प्रमुख पदाधिकारियों की बैठक अध्यक्ष सुरेश पवार की अध्यक्षता में एमपीईबी के डिवीजन कार्यालय के प्रांगण में संपन्न हुई, जिसमें लोकप्रिय कामगार कर्मचारी नेता प्रदेश अध्यक्ष वासुदेव शर्मा मुख्यरूप से उपस्थित रहे। दो घंटे तक चली बैठक में सर्वसम्मति से तय किया गया कि न्यूनतम वेतन से वंचित कर्मचारियों की व्यापक एकता बनाकर सबको साथ लेकर निर्णायक संघर्ष करना पडेगा, तभी सोती हुई सरकार को जगाया और न्यूनतम वेतन से वंचित कर्मचारियों को उनका हक एवं सम्मानजनक वेतन हासिल किया जा सकता है। बैठक में बोलते हुए अंशकालीन कर्मियों के नेता सुरेश पवार ने कहा कि हम लोग 15-20 साल से नौकरी कर रहे हैं, लेकिन हमें 5 हजार रूपए ही मिलते हैं, हमारी तरह के दूसरे विभागों के कर्मचारी भी हैं, जिनमें ग्राम पंचायतों के चौकीदार, भृत्य, पंप आपरेटर, नल दल चालक, सफाई कर्मी, स्कूलों छात्रावासों की मध्यान्ह भोजनकर्मी, चौकीदार, भृत्य सहित हर विभाग में ऐसे कर्मचारी हैं जिनसे 2 से 4 हजार में काम कराया जा रहा है, इनकी और हमारी एक ही मांग है सभी कर्मियों को न्यूनतम वेतन के दायरे में लाकर जिंदा रहने लायक वेतन दिया जाए, कम से कम सरकार द्वारा निर्धारित न्यूनतम वेतन मिलना ही चाहिए। इसलिए हम लोगों को इन सभी कर्मियों की एकता बनाकर निर्णायक संघर्ष करना होगा। बैठक में निर्णय लिया गया कि 9 से 11 सितंबर तक विशाल धरना, अनशन, प्रदर्शन किया जाएगा, जिसकी तैयारियां अभी से शुरू की जाएं।बैठक को मार्गदर्शन देते हुए वासुदेव शर्मा ने कहा कि चतुर्थ एवं तृतीय श्रेणी की सरकारी नौकरियां खत्म की जा रही है, इनका काम अंशकालीन, अस्थाई, आउटसोर्स कर्मचारियों से 2 से 5 हजार में करा रही है, जो कामगारों के संवैधानिक अधिकारों को खत्म करने जैसा है। हमारा संविधान सबको सम्मान से जीने, आर्थिक समानता का अधिकार हर नागरिक को देता है लेकिन मप्र सरकार ने आप लोगों से सम्मान से जीने, जिंदा रहने लायक वेतन का अधिकार भी छीन लिया है, इसलिए अब आपको अपने संवैधानिक अधिकारों के लिए संघर्ष करना ही होगा, अन्याय के खिलाफ संघर्ष में हमारा संगठन आपके साथ है और न्याय मिलने तक साथ रहेगा।




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