(भोपाल)कॉलेज संचालक के घर पर चला बुलडोजर
- 01-Aug-25 12:00 AM
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भोपाल 1 अगस्त (आरएनएस)। कोलार इलाके स्थित ग्राम बंजारी में एक्स्टॉल कॉलेज के संचालक ज्ञानेंद्र भटनागर के घर नगर निगम की टीम ने बुलडोजर चला दिया। गेट बाउंड्रीवॉल को भी तोड़ दिया गया। ज्ञानेंद्र ने इस पूरी कार्रवाई को अवैधानिक और गुंडों के इशारे पर कब्जे की मंशा से किया जाने वाला बताया है।पूरी कार्रवाई 18 जुलाई की है, जिसकी शिकायत ज्ञानेंद्र की ओर से बुधवार को एडिशनल पुलिस कमिश्नर अवधेश गोस्वामी के कार्यालय तक पहुंची। तब पूरा मामला उजागर हुआ। ज्ञानेंद्र का आरोप है कि जिस हिस्से को अवैध बताकर तोड़ा गया है, वहां सोनू पचौरी ने अपने गुंडो की तैनाती कर दी है। कार्रवाई के बाद से ही उन्हें उन्हीं की घर और जमीन पर नहीं जाने दिया जा रहा है।ज्ञानेंद्र भटनागर के मुताबिक जहां कार्रवाई की गई वहां उनका बीस साल पुराना निर्माण था। आस पास की एक एकड़ जमीन उन्हीं की है। नगर निगम की टीम ने पुलिस की मौजूदगी में मेरे निर्माण को ध्वस्त किया है। जिससे करीब 15-20 लाख रुपए का नुकसान हुआ है। कार्रवाई के दौरान गुंडे पुलिस की मौजूदगी में मेरे बेटे को धमकाते रहे। पुलिस भी उन्हीं की भाषा बोलकर हमें धमकाती रही। थाने शिकायत करने पहुंचे तो शिकायत नहीं सुनी गई।ज्ञानेंद्र ने बताया कि कार्रवाई निगम ने की है तो किस हक से कोचिंग संचालक सोनू के लोगों ने कार्रवाई के बाद नियम विरुद्ध बताकर तोड़े गए मकान के हिस्से पर कब्जा कर रखा है। इस बात का जवाब कोई देने के लिए तैयार नहीं है। कई बदमाश लगातार हमें धमका रहे हैं, हमारी जमीन छोडऩे का दबाव बना रहा हैं। लेकिन कोई भी सुनने को तैयार नहीं है।ज्ञानेंद्र की ओर से बताया गया कि कार्रवाई की दौरान एक पुलिसकर्मी ने उनके बेटे को धमकाया है, इसका वीडियो उनके पास है। वहीं नगर निगम के अतिक्रमण अधिकारी मधुसूदन तिवारी ने बताया कि कार्रवाई नगर निगम की बिल्डिंग परमिशन शाखा की टीम ने की है। नियम विरूद्ध बने हिस्से को तोड़ा गया है।कोलार थाने के थाना प्रभारी संजय सोनी ने बताया कि पुलिस पर लगे बदसलूकी के आरोप निराधार हैं। नगर निगम ने कार्रवाई के लिए लिखत में बल की मांग की थी। कानून व्यस्था को बनाए रखने के लिए कार्रवाई के दौरान बल को मौके पर भेजा गया था।सोनू पचौरी ने बताया कि प्रापर्टी उन्होंने एक बैंक से नीलामी में खरीदी थी। संपत्ति पर उन्हीं का मालिकाना हक है। ज्ञानेंद्र और उनका परिवार अवैध रूप से कब्जा करे हुए थे। नगर निगम ने उनके अवैध निर्माण को तोड़ा है, बैंक ने उन्हें संपत्ति पर पजेशन दिलाया है। ज्ञानेंद्र और उनके बेटे झूठी शिकायतें कर दबाव बनाना चाह रहे हैं। संपत्ति को खाली करने के एवज में उनकी ओर से लगातार रकम देने की मांग की जा रही थी। मेरे ऊपर दर्ज तमाम केस फर्जी थे, इन पर अदालत से खात्मा लगाया जा चुका है।
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