(भोपाल)नहीं समझोगे तो मिट जाओगे हे चतरा वासियों। तुम्हारी दास्तां तक नहीं होगी दास्तानों में

  • 16-Oct-23 12:00 AM

-हमें अपनों ने लूटा, गैरों में कहां दम था। मेरी कश्ती वहां डूबी, जहां पानी कम थाभोपाल 16 अक्टूबर (आरएनएस)। चतरा संसदीय क्षेत्र राजनीतिक बंटवारे के कारण पंगु साबित हो रहा है। चतरा लोकसभा मुख्यालय के लोगों का बहुप्रतीक्षित रेल लाइन का सपना अब तक पूरा नहीं हो सका है. जिसका चर्चा चुनाव के बाद से लेकर चुनाव के पहले तक किया जाता है, लेकिन जैसे ही चुनाव की अधिसूचना जारी होती है, जनता यानी मतदाता को दिग्भ्रमित किया जाता है और बेवजह के मुद्दों में उलझा दिया जाता है. 2024 ई. के लोकसभा चुनाव में न सिर्फ बाहरी उम्मीदवारों की सुगबुगाहट है, बल्कि चतरा लोकसभा क्षेत्र से चुनाव लडऩे की घोषणा भी शुरू हो गयी है. राजनीतिक दलों के आलाकमान द्वारा थोपे गये उम्मीदवारों को न केवल स्थानीय यानी चतरा लोकसभा क्षेत्र के विभिन्न राजनीतिक दलों के कार्यकर्ता और नेता स्वीकार करते हैं. बल्क उस उम्मीदवार के हक़ प्रशंसा की बखान करने में जुट जाते हैं। जबकि यह समय चतरा के हितैषियों को पहचानने का होता है. चतरा में किया हो रहा है जगजाहिर है।चतरा की जुबानी अगर यूं कही जाए तो अतिश्योक्ति नहीं होगी कि *" हमें अपनों ने लूटा, गैरों में कहां दम था। मेरी कश्ती वहां डूबी, जहां पानी कम था.* 1957 से अब तक चतरा लोकसभा चुनाव में सांसद बनने वाले सांसदों के नाम से स्पष्ट हो जाता है।1957: विजया राजे, छोटा नागपुर संथाल परगना जनता पार्टी, 1962: विजया राजे, निर्दलीय, 1967: वी. राजे (विजया राजे), निर्दलीय, 1971: शंकर दयाल सिंह, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस, 1977: सुखदेव वर्मा, जनता पार्टी, 1980 : रणजीत सिंह, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस,1984: योगेश्वर प्रसाद योगेश, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस, 1989: उपेन्द्र नाथ वर्मा, जनता दल 1991: उपेन्द्र नाथ वर्मा, जनता दल, 1996: धीरेन्द्र अग्रवाल, भारतीय जनता पार्टी, 1998: धीरेन्द्र अग्रवाल, भारतीय जनता पार्टी, 1999: नागमणि कुशवाहा, राष्ट्रीय जनता दल, 2004: धीरेन्द्र अग्रवाल, राष्ट्रीय जनता दल। 2009: इंदर सिंह नामधारी, निर्दलीय, 2014: सुनील कुमार सिंह, भारतीय जनता पार्टी 2019: सुनील कुमार सिंह, भारतीय जनता पार्टी।चतरा एक अनारक्षित लोकसभा क्षेत्र है. स्थानीय उम्मीदवार की मांग लंबे समय से की जा रही है, लेकिन चतरा लोकसभा क्षेत्र के लिए यह मांग अब भी लंबित है. इसके लिए राजनीतिक दलों से ज्यादा यहां के मतदाता और राजनीतिक दलों के स्थानीय कार्यकर्ता व नेता जिम्मेदार हैं. *नहीं समझोगे तो मिट जाओगे हे चतरा वासियों। तुम्हारी दास्तां तक नहीं होगी दास्तानों में* चतरा लोकसभा क्षेत्र खनिज संपदाओं से भरा पड़ा है।यहां की खनिज संपदा से देश के विभिन्न राज्यों एंव प्रांतों में खुशहाली आ रही है।परंतु चतरा खुद इस खुशहाली से सैकड़ों कोस दूर है।इसके लिए कौन है जिम्मेदार ?




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