(भोपाल) एंटी इनकंबेंसी के अलावा आदिवासी व सरकारी कर्मचारी भाजपा का टेंशन
- 15-Oct-23 12:00 AM
- 0
- 0
भोपाल,15 अक्टूबर (आरएनएस)। भाजपा प्रदेश कोर समिति की महत्वपूर्ण बैठक हुई। इस बैठक में शेष बची 94 सीटों पर चर्चा की गई। भाजपा की आने वाले दिनों में केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक होने वाली है जिसमें मध्यप्रदेश की बची हुई सीटों के मामले में फैसला होगा। इधर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह लगातार भाजपा की चुनाव अभियान की समीक्षा कर रहे हैं। सूत्रों के अनुसार पार्टी के रणनीतिकार मानते हैं कि प्रदेश में एंटी इनकंबेंसी के अलावा आदिवासी सीटें और सरकारी कर्मचारियों के नारागी ऐसे तीन बड़े फेक्टर हैं जिन पर काबू नहीं पाया जा सका है। कांग्रेस का सबसे अधिक जोर इस समय आदिवासी सीटों पर है। कांग्रेस ने पिछली बार 47 आदिवासी आरक्षित सीटों में से 30 में सफलता प्राप्त की थी। कांग्रेस इस बार संख्या को आगे ले जाना चाहती है। 2018 के विधानसभा चुनाव में, भाजपा को केवल 16 आदिवासी सुरक्षित सीटें मिली थीं। आदिवासी समुदाय का भारी समर्थन मिलने से कांग्रेस 15 वर्षों बाद सत्ता में वापसी कर सकी थी। कांग्रेस आदिवासी समुदाय और अपना वर्चस्व रखना चाहती है। इसी वजह सेरहाुल गांधी और प्रियंका गांधी के अधिक से अधिक दौरे आदिवासी अंचल में हो रहे हैं। खासतौर पर प्रियंगा गांधी की अब तक लगातार तीन सभाएं आदिवासी अंचल में हो चुकी हैं। उन्होंने 12 जून को जबलपुर से प्रचार अभियान की शुरुआत की थी। जबलपुर महाकौशल अंचल का मुख्यालय माना जाता है। इस अंचल में 12 आदिवासी सुरक्षित सीटें हैं। इसके अलावा प्रियंका मोहनखेड़ा और मंडला जैसे आदिवासी बाहुल्य अंचल में सभाएं कर चुकी हैं। राहुल गांधी भी शहडोल आ चुके हैं जो आदिवासी बाहुल्य जिला है। विंध्य क्षेत्र में दस आदिवासी सुरक्षित सीटें हैं। प्रदेश के दो करोड़ आदिवासियों में से सबसे अधिक आदिवासी में से सबसे अधिक आदिवासी भील और गोंड समुदाय के हैं। इनके बाद कोल आदिवासियों का नंबर आता है। इन तीनों समुदायों में कांग्रेस का परंपरागत रूप से वर्चस्व है। प्रदेश की 47 विधानसभा सीटें भले ही आदिवासियों के लिये सुरक्षित हों लेकिन आदिवासी मतदाताओं का प्रभाव प्रदेश की 80 सीटों पर है। राहुल, प्रियंका और कमलनाथ भ्रष्टाचार के मुद्दे पर भी बहुत अधिक जोर दे रहे हैं। भ्रष्टाचार का मुद्दा शहरी मध्यम वर्ग को प्रभावित करता है। खास बात यह है कि भ्रष्टाचार के मुद्दे के कारण एंटी इनकंबेंसी बढ़ती है। कांग्रेस को चार लाख सरकारी कर्मचारियों का भी अच्छा समर्थन मिलेगा। प्रदेश के सरकारी कर्मचारी ओल्ड पेंशन स्कीम के मुद्दे पर भाजपा सरकार से नाराज हैं। सरकारी कर्मचारियों के परिवारों के करीब 20 लाख मतदाता हैं। जाहिर है कि सरकारी कर्मचारियों की नाराजगी भी भाजपा को भारी पडऩे वाली है। सरकारी कर्मचारियों की नाराजगी का खामियाजा पार्टी हिमाचल प्रदेश में भुगत चुकी है। भाजपा के रणनीतिकार भी इस हकीकत को समझते हैं। इसी वजह से भाजपा का सारा जोर आदिवासी अंचल और एंटी इनकंबेंसी को दूर करने में लगा हुआ है। अनिल पुरोहित
Related Articles
Comments
- No Comments...