(भोपाल) चुनाव अभियान को बेवजह डिरेल कर रहे हैं कांग्रेसी

  • 13-Oct-23 12:00 AM

भोपाल,13 अक्टूबर (आरएनएस)। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पर व्यक्तिगत हमले करना कांग्रेस को भारी पड़ सकता है। प्रदेश में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से बड़ा कम्युनिकेटर कोई और नहीं है। जनता से जितना कनेक्ट मुख्यमंत्री का है उतना प्रदेश में किसी का नहीं है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान हर विपरीत परिस्थिति को अवसर में बदलने में माहिर हैं। लाड़ली बहना येाजना लांच होने के बाद उनकी लोकप्रियता और बढ़ी है। वे जितने प्रयास करते हैं, उतना जनता के बीच और कोई नहीं जाता। इसलिए कांग्रेस ने मुख्यमंत्री के खिलाफ व्यक्तिगत हमले करने की गलती नहीं करनी चाहिए। ऐसा करने से पार्टी का चुनाव अभियान डिरेल होने का खतरा है। कांग्रेस को इस मैदानी हकीकत से अच्छी तरह रुबरु होना पड़ेगा कि 17 वर्ष से अधिक के कार्यकाल के बाद भी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की लोकप्रियता कम नहीं हुई, बल्कि बढ़ी ही है। हाल ही में उनके प्रदेश में जितने भी दौरे हुए हैं, उनमें भारी संख्या में भीड़ उमड़ी है। खास तौर पर लाड़ली बहना योजना लॉन्च होने के बाद मुख्यमंत्री की सभाओं में महिलाओं की जबरदस्त भीड़ उमड़ रही है। मुख्यमंत्री की भीड़ भरी सभाओं से भाजपा के चुनाव अभियान को नई गति मिली है। खास बात यह हे कि पिछले दिनों मध्य प्रदेश सरकार के कामकाज को नीति आयोग ने भी सराहा है। नीति आयोग ने कहा कि प्रदेश सरकार के कामकाज और आर्थिक नीतियों के कारण राज्य में एक करोड़ 36 लाख लोग गरीबी रेखा से ऊपर आ गए हैं। मध्य प्रदेश में गरीबी में 15.94 प्रतिशत कमी आई है। 1.36 करोड़ लोग गरीबी रेखा से बाहर आए हैं। ग्रामीण, शहरी क्षेत्रों में गरीबी में कमी है। गरीबी की संख्या में कमी के मामले में सबसे उल्लेखनीय सुधार अलीराजपुर, बड़वानी, खंडवा, बालाघाट और टीकमगढ़ में हुआ है। लाड़ली लक्ष्मी योजना लागू करने के बाद से लिंगानुपात में सुधार हुआ है। आरक्षण पुलिस भर्ती में महिलाओं को आरक्षण दिया है। महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए लाड़ली बहना योजना लाई गई है प्रत्येक माह लाड़ली बहनों के खाते में 1250रुपए डाले जाते हैं। मध्य प्रदेश की कृषि विकास दर 20 प्रतिशत के लगभग है जबकि आर्थिक विकास दर 16 फीसदी है। आधारभूत ढांचे के विकास में मध्य प्रदेश सरकार ने पिछले तीन वर्षों में जितना निवेश किया है उतना पहले कभी नहीं हुआ। सड़क, पानी और बिजली के संदभ्र में प्रदेश सरकार का कामकाज बेहद सकारात्मक रहा है। इस कारण से प्रदेश तेजी से विकसित राज्यों की श्रेणी में आता जा रहा है। पिछले तीन सालों में मुख्यमंत्री अलग ही अंदाज में नजर आ रहे हैं। उन्होंने अपने तेवर आक्रामक रखे हैं। स्थिति यह रही कि विधानसभा में 96 सदस्यीय विपक्ष के बावजूद कांग्रेस को बीते तीन वर्षों में अधिक स्पेस नहीं मिली। मुख्यमंत्री ने प्रशासनिक मोर्चे पर भी जमकर बल्लेबाजी की और शानदार प्रदर्शन किया। लापरवाह अधिकारियों को दंडित करने के मामले में बीते साढ़े तीन वर्ष सबसे अधिक महत्वपूर्ण साबित हुए। इस दौरान माफियाओं के खिलाफ अभियान चलाकर 23000 एकड़ भूमि को अतिक्रमण से मुक्त कराया गया जिनमें सुराज आवास योजना के नाम पर गरीबी को मकान बनाकर दिए जाएंगे। मुख्यमंत्री की योजनाएं भी पार्टी के लिए गेम चेंजर साबित हो रही हैं। इनमें लाड़ली लक्ष्मी योजना-दो और लाड़ली बहना योजना के अलावा पेसा एक्ट है। पेसा एकट के तहत प्रदेश के 89 आदिवासी विकास खंडों को अधिकार सम्पन्न बनाया गया है। इस एक्ट का असर देखने को मिल रहा है। पिछले तीन वर्षों के दौरान कृषि विकास दर और जीडीपी के मामले में मध्यप्रदेश में बेहतरीन प्रदर्शन किया है। राजनीतिक मोर्चे पर मुख्यमंत्री को एक सफलता प्रादेशिक नेताओं के साथ तालमेल के रूप में भी मिली। प्रदेश भाजपा के बड़े नेताओं में इस समय जितना अच्छा तालमेल है उतना पहले कभी नहीं था। शिवराज सिंह चौहान आज भी ऐसे मुख्यमंत्री हैं, जिन्हें भाजपा के कार्यक्र्ता आसानी से अप्रोच कर सकते हैं। प्रदेश के जितने कार्यकर्ताओं और नेताओं को मुख्यमंत्री नाम से जानते हैं, वह अपने आप में मिसाल है। भाजपा के किसी अन्य नेता का कार्यकर्ताओं से इतना व्यापक संवाद नहीं है। मुख्यमंत्री मिशन 2023 के तहत भी संघ के एजेंडे को पूरा करने में लगे हुए हैं। मुख्मयंत्री का पूरा फोकस आदिवासियों पर लगा हुआ है। वे आदिवासी क्षेत्र के लगातार दौरे कर रहे हैं। मुख्यमंत्री ने संघ के एजेंडे पर चलते हुए लव जिहाद के खिलाफ कानून बनाया और प्रदेश में प्रमुख मंदिरों को भव्य रूप में फिर से बनाने का जिम्मा भी लिया। इसी के तहत महाकाल परिसर को भव्य बनाया गया है। आने वाले दिनों में ओंकारेश्वर में भी करोड़ों रुपए के कार्य होंगे। इनके अलावा अन्य प्रमुख मंदिरों को भी व्यवस्थित किया जाएगा। कांग्रेस के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती भाजपा का शक्तिशाली संगठन और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की लोकप्रियता है। इन दोनों का कांग्रेस के पास जवाब नहीं है। शिवराज सिंह चौहान की जनता से संवाद करने की शैली,जबरदस्त है। तो बेजोड़ मास कम्युनिकेटर हैं। इस मामले में कमलनाथ उनके समक्ष नहीं टिकते। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जिस जुनून के साथ चुनाव प्रचार करने मैदान में उतरते हैं उसका मुकाबला भी 77 वर्षीय कमलनाथ नहीं कर सकते। हालांकि कमलनाथ अब बेहतर वक्ता हो गए हैं लेकिन फिर भी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के समक्ष नहीं टिकते। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पूरी प्रदेश की प्रत्येक तहसील का कई बार दौरा किया है। जबकि मलनाथ ने प्रदेश का कभी भी इतना व्यपक दौरा नहीं किया। ग्रामीण पृष्ठभूमि और कृषक होने के कारण शिवराज सिंह चौहान की प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्र में अपील कमलनाथ के मुकाबले कहीं अधिक है। दूसरी ओर कमलनाथ का व्यक्तित्व शहरी क्षेत्रों में है लेकिन कांग्रेस शहरों में इतनी कमजोर है कि इसका लाभ उठाने की स्थिति में नहीं है। मुख्यमंत्री की महिलाओं में लोकप्रियता भी कांग्रेस के लिए चुनौती है। कुल मिलाकर मुख्यमंत्री कांग्रेस के समक्ष एक चुनौती बन गए हैं। अनिल पुरोहित




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