(भोपाल) पहली सूची घोषित होने के बाद 37 विस क्षेत्र में कांग्रेस में गंभीर बगावत, कमलनाथ और दिग्विजय डैमेज कंट्रोल में जुटे
- 18-Oct-23 12:00 AM
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भोपाल,18 अक्टूबर (आरएनएस)। कांग्रेस की आदिवासियों में बढ़त को पैसा एक्ट और जयस ने कम कर दिया ळै। रही सही कसर बगावत के कारण पूरी हो रही है। कांग्रेस ने रविवार को घट स्थापना के दिन अपनी पहली सूची घोषित की। जिसमें 144 उम्मीदवार थै। सूची घोषित होते ही 37 सीटों पर खुली बगावत भड़क गई। प्रत्याशियों के पुतले दहन किए गए तथा विरोध में जुलूस निकाले गए। अनेक कांग्रेसियों ने इस्तीपुे दे दिए। इनमें से कुछ ने बहुजन समाज पार्टी और कुछ ने आम आदमी पार्टी का दामन थाम लिया। कम से कम आधा दज्रन ऐसे गंभीर दावेदर हैं, जो अब निर्दलीय चुनाव लड़कर कांग्रेस की संभावनाओं पर तुषारापात करेंगे। गजेंद्र सिंह राजूखेड़ी जैसे नेता चुनाव लडऩे संबंधी आज फैस्ला करने वाले हैं। उन्होंने धरमपुरी से निर्दलीय चुनाव लडऩे का मानव बनाया है। कांग्रेस में जुट गए हैं। दिग्विजय सिंह ने अपने निकटवर्तियों से कहा हे कि कुछ टिकटों में गलती स्पष्ट दिख रही है। पूर्व मुख्यमंत्री दिल्ली रवपाना हो गए जहां वे आलाकमान से मिलकर इस संबंध में चर्चा करेंगे। कांग्रेस की केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक कल हो रही हे। इसमें शेष बचे प्रत्याशियों पर विचार किया जाएगा। सूत्रों का कहना है कि पार्टी आधा दर्जन प्रत्याशियों को आखिरी समय में बदल सकती है। इसकी तैयारियां की जा रही हैं। कांग्रेस का वचन पत्र जारी होगा। इसमें अनेक तरह के लोकलुभावन वादे होंगे। सूत्रों के अनुसार आदिवासी विधानसभा सीटों को लेकर कांग्रेस चिंता में दिख रही है। आदिवासी अंचल में कांग्रेस को पिछले वर्ष तक स्पष्ट रूप से बढ़त प्राप्त थी। ऐसा लग रहा था कि पार्टी 2018 के चुनाव परिणामों को न सिर्फ दोहराएगी बल्कि उसे और मजबूत करेगी। पिछली बार पार्टी ने 47 आदिवासी सीटों में से 30 में जीत हासिल की थी। कांग्रेस को उम्मीद थी कि इस बार यह बढ़त 35 सीटों तक जा सकती है, लेकिन मुख्यमंत्री ने पैसा एक्ट और लाड़ली बहना योजना के जरिए गेम चेंजर करने का प्रयत्न किया। इन दोनों के कारण भाजपा को फायदा भी दिख रहा है। कांग्रेस की बढ़त जयस की फूट ने भी कम की है। मनावर से कांग्रेस डॉ. हीरालाल अलावा को टिकट दे रही ळै। उनके दोनों विरोधी लोकेश मुजाल्दा और लाल सिंह बर्मन अपने-अपने तरीके से कांग्रेस का विरोध कर रहे हैँ। लाल सिंह बर्मन ने तो आम आदमी पार्टी ज्वाइन कर ली है। जबकि लोकेश मुजाल्दा ने जयस के प्रत्याशियों को आदिवासी सीटों पर उतरना प्रारंभ कर दिया है। जयस राजनीतिक पार्टी नहीं है। इस वजह से उसके नेता दूसरे दलों के टिकट पर निर्दलीय चुनाव लड़ते हैं। जय आदिवासी संगठन के कारण पिछली बार निमाड़ अंचल में कांग्रेस ने एक तरफा जीत दर्ज की थी। इस बार भी कांग्रेस निमाड़ में मजबूत है लेकिन अपना पुराना प्रदर्शन दोहराने की स्थिति में नहीं है। इंदौर संभाग की 37 विधानसभा सीटों में से 22 आदिवासियों के लिए सुरक्षित हैं। इनमें से 16 में कांग्रेस ने जीत दर्ज की थी। इस बार भाजपा इन सभी सीटों पर कांग्रेस को कड़ी चुनौती देने की स्थिति में है। पेसा एक्ट ओर लाड़ली बहना योजना ने भी काफी परिवर्तन किया है। पेसा एक्ट को लेकर विशेष रूप से कांग्रेसी चिंतित हैं। इसी वजह से प्रियंका गांधी ने अपनी पिछली सभा में छठी अनुसूची को लागू करने की बात कही है। आदिवासी अंचल में यदि भाजपा ने कांग्रेस को बराबरी की टक्कर दे दी या बढ़त को भी कम दिया तो भी प्रदेश में कांग्रेस के लिए सत्ता में वापसी कठिन हो जाएगी। अनिल पुरोहित
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