(भोपाल) भाजपा आदिवासी सीटों पर कमजोर, जबकि जयस, गोंडवाना गणतंत्र पार्टी ने कांग्रेस का खेल भी बिगड़ा

  • 03-Nov-23 12:00 AM

भोपाल,03 नवम्बर (आरएनएस)। कांग्रेस और भाजपा के बीच आदिवासी वोटों के लिए घमासान मचा हुआ है। भाजपा ने जहां आदिवासियों को रिझाने का मोर्चा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पर डाल दिया है, वहीं कांग्रेस सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के सहारे आदिवासियों को रिझाने की कोशिश कर रही है। दोनों पार्टियों ने अपने सुपर स्टार प्रचारकों की सभाएं इस तरह से आयेाजित की हैं कि अधिक से अधिक विधानसभा सीटों पर उसका असर हो सके। मध्यप्रदेश मध्य प्रदेश में दो करोड़ आदिवासी मतदाता और 47 विधानसभा सीटें आदिवासियों के लिए सुरक्षित हैं लेकिन कुल मिलाकर आदिवासी मतदताओं का प्रभाव लगभग 80 विधानसभ सीटों पर है। इसीलिए सत्ता की कुंजी आदिवासियों के पास मानी जाती है। कांग्रेस ने जब भी प्रदेश में सरकार बनाई है तो उसमें आदिवासी मतदाताओं का बहुत बड़ा रोल रहा है। 2018 में भी कांग्रेस ने 47 में से 31 आदिवासी सुरक्षित सीटें जीतने में सफलता प्राप्त की थी। प्रदेश में मालवा, निमाड़, विंध्य और माहकौशल में आदिवासी निवास करते हैं। मालवा और निमाड़ में जय आदिवायी युवा संगठन यानी जयस और महाकौशल में गोंडवाना गणतंत्र पार्टी कांग्रेस के लिए समस्या बन गई है। अन्यथा इन दोनों अंचलों में आदिवासी सीटों भाजपा को दिक्कत है। दोनों ही दल लगातार आदिवासी अंचल पर फोकस किए हुए हैं। खास बात यह है कि कांग्रेस और भाजपा दोनों ही दल आदिवासी अंचल में बूथ मैनेजमेंट के लिए गुजरात और झारखंड से कार्यकर्ता और नेता बुलवा रहे हैं। गुजरात में भाजपा ने आदिवासी सीटों पर एकतरफा सफलता प्राप्त की थी। पार्टी इस बार मालवा निमाड़ अंचल में आदिवासी सीटों की जिम्मेदारी गुजरात के नेताओं को और विंध्य बघेलखंड तथा महाकौशल अंचल के आदिवासियों की जिम्मेदारी झारखंड के आदिवासी नेताओं को दे रही है। कांग्रेस भी अन्य राज्यों के आदिवासी नेताओं को मध्यप्रदेश में लगाने वाली है।




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