(भोपाल) भाजपा के खिलाफ आरक्षण को अंतिम हथियार मान रहा विपक्ष?

  • 30-Apr-24 12:00 AM

भोपाल,30 अप्रैल (आरएनएस)। लोकसभा चुनाव के तीसरे चरण के पूर्व इंडिया गठबंधन ने अंतिम हथियार के रूप में आरक्षण का ब्रह्मास्त्र फेंकने की कोशिश की है। विपक्ष को लगता है कि आरक्षण के मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा को बैकफुट पर लाया जा सकता है। संघ परिवार और भाजपा को दलित, आदिवासी और पिछड़ा विरोधी बताने की कोशिश हो रही है। आरक्षण विपक्ष का अंतिम हथियार इसलिए है क्योंकि पिछले साल भर से, जब से इंडिया गठबंधन बना है तब से उसने अलग-अलग मुद्दों पर भाजपा को घेरने की कोशिश की है। राहुल गांधी ने भारत जोड़ो और भारत जोड़ो न्याय यात्रा के दौरान जातीय जनगणना, अंबानी और अडानी तथा लोकतंत्र खतरे में है जैसे मुद्दे खूब उठाए। इन मुद्दों के आधार पर राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में चुनाव लड़े गए। लेकिन कांग्रेस और विपक्ष की सारी कोशिशें सफल नहीं हो पाई। लोकसभा चुनाव के महीने भर पूर्व सुप्रीम कोट्र द्वारा इलेक्ट्रोल बॉन्ड की योजना खारिज होने के बाद विपक्ष ने इलेक्टोल बॉन्ड को मुद्दा बनाने की कोशिश की, लेकिन दो चरणों के बाद भी विपक्ष भाजपा सरकार के खिलाफ कोई नैरेटिव नहीं बना पाया। महंगाई, बेरोजगारी और किसानों को उनकी उपज का वाजिब मूल्य नहीं मिलना ऐसे मुद्दे थे जिन पर भाजपा सरकार को आसानी से घरा जा सकता था, लेकिन खुद विपक्ष मुद्दों से भटक गया। स्थिति यह हो ई कि राहुल गांधी के हर भाषण से विपक्ष का चुनाव अभियान डिरेल होता गया। अब विपक्ष संविधान बदलने और आरक्षण समाप्त करने को अपना अंतिम हथियार मान रही है। विपक्षी नेताओं को यह नहीं भूलना चाहिए कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रहते भाजपा को दलित, पिछड़ा वर्ग और आदिवासियों का विरोधी नहीं बताया जा सकता। प्रधानमंत्री ने रोहिणी कमिशन के जरिए अति पिछड़ों की भागदारी सुनिश्चित की है। ओबीसी कमिशन को संवैधानिक दर्जा दिया गया है। अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति आयेाग को पहले की तुलना में शक्ति सम्पन्न बनाया गया है। भाजपा की टिकट वितरण प्रक्रिया और सत्ता के भीतर की जा रही सोशल इंजीनियरिंग जानी-मानी है। खुद प्रधानमंत्री ओबीसी हैं। उनके मंत्रिमंडल में भारत के इतिहास के सर्वाधिक 27 ओबीसी मंत्री हैं। उन्होंने आरक्षण का दायरा बढ़ाकर महिलाओं को आरक्षण देने का कानून बना दिया है। राज्यपालों की नियुक्तियों, राज्यसभा का टिकट वितरण हो या पद्म पुरस्कारेां की घोषणा हो सभी में प्रधानमंत्री सोशल इंजीनियरिंग का ध्यान रखते हैं। ऐसे में भाजपा को आरक्षण विरोधी नहीं बताया जा सकता। सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने आरक्षण पर संघ ज् का समर्थन फिर जाहिर किया है। विपक्ष को यह नहीं भूलना चाहिए कि संघ के तीसरे सरसंघ चालक स्वर्गीय बाला साहब देवरस ने 1973 में पदभार ग्रहण करते ही पुणे की वसंधरा व्याख्यान माला में कहा था कि यदि अस्पृश्यता पान नहीं है तो दुनिया में कुछ भी पाप नहीं है। बाला साहेब देवरस और उनके अनुज भाऊराव देवरस सामाजिक समरसता कार्यक्रम चलाने के लिए जाने जाते हैं। देवरस बंधुओं ने संघ में सेवा प्रकल्पों की झड़ी लगा दी। संस्कृत भारती आदिवासियों और दलितों को देव भाषा सीख रही है। ऐसे में भाजपा को आरक्षण विरोधी नहीं बताया जा सकता खासकर तब, जब बाबा साहेब अंबेडकर के साथ कांग्रेस ने हमेशा अन्याय किया। अनिल पुरोहित




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