(भोपाल) विद्रोह और नाराजगी से कांग्रेस और भाजपा दोनों परेशान

  • 01-Nov-23 12:00 AM

भोपाल,01 नवम्बर (आरएनएस)। कांग्रेस और भाजपा की तमाम कोशिशों के बावजूद प्रदेश में बगावत की आग को काबू में नहीं पाया जा सका है। अभी भी दोनों दल शक्तिशाली विद्रोही उम्मीदवारों से परेशान हैं। विद्रोह को थामने की कवायद आज भी चलने वाली है। भाजपा की ओर से केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने खुद मोर्चा संभाल हुआ है। जबकि कांग्रेस की ओर से सोनिया गांधी हस्तक्षेप कर रही हैं। सोनिया ने इस संबंध में मल्लिकार्जुन खडग़े और राहुल गांधी को कहा है कि वो कमलनाथ, दिग्विजय सिंह औररणदीप सुरजेवाला को एक साथ बिठाकर समस्या का समाधान करें। मल्लिकार्जुन खडग़े के साथ इन तीनों की बीती रात बैठक भी हुई है। सूत्रों के अनुसार दिग्विजय सिंह और रणदीप सुरजेवाला कमलनाथ को ऑटोकेट शैली से परेशान हैं। कमलनाथ जिद्दी हैं। एक बार जो स्टेड ले लेते हैं उस पर कायम रहते हैं। कांग्रेस में उन्हें समझाने की की हैसियत केवल सोनिया गांधी में है। राहुल और प्रियंका भी कमलनाथ से अप्रिय शब्दों में बात नहीं कर सकते, क्योंकि दोनों से बचपन से उन्हें अपने पिता स्वर्गीय राजीव गांधी के साथ देखा है। मल्लिकार्जुन खडग़े भी कमलनाथ से केवल इसलिए बात कर सकते हैं क्योंकि वो उम्र में उनसे बड़े हैं। अन्यथा कांग्रेस की राजनीति में मल्लिकार्जुन खडग़े कमलनाथ से बहुज जूनियर हैं। कमलनाथ का कद और उनकी हैसियत को देखते हुए खुद सोनिया गांधी को आगे आना पड़ा है। सूत्रों के अनुसार कमलनाथ और दिग्विजय सिंह के मतभेदों के चलते कांग्रेस का चुनाव अभियान बुरी तरह प्रभावित हुआ है। हालांकि कांग्रेस ने कुछ महत्वपूर्ण बागी प्रत्याशियों को मनाने में जरूर सफलता प्राप्त की है लेकिन पार्टी के समक्ष सबसे बड़ी समस्या दिग्गजों के आपसी मतभेद हैं। भाजपा में प्रदेश स्तर पर इस तरह के मतभेद नहीं सामने आए हैं। शिवराज सिंह चौहान, कैलाश विजयवर्गीय, प्रहलाद पटेल, विष्णु दत्त शर्मा और नरेन्द्र सिंह तोमर के बीच पूरा तालमेल है। केवल ज्योतिरादित्य सिंधिया और नरेंद्र सिंह तोमर के बीच उतनी सहजता नहीं है। हालांकि ज्योतिरादित्य सिंधिया ग्वालियर चंबल के उन सभी प्रत्याशियों के कलिए भी पूरी ताकत से जुटे हुए हैं जिनको नरेंद्र सिंह तोमर विष्णु दत्त शर्मा ने टिकट दिलवाए हैं। ज्योतिरादित्य सिंधिया मानते हैं कि ग्वालियर चंबल अंचल में परिणाम सीधे उनके राजनीतिक जीवन को प्रभावित करेंगे। इसलिए वो पूरी ताकत से इस अंचल में लगे हैं। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शहा को भी यह महसूस हो रहा है कि भाजपा को सबसे अधिक समस्या महाकौशल और ग्वालियर अंचल में ही है। अमित शाह ने डैमजे कंट्रेाल करने की कोशिश करते हुए पिछले करीब ढाई दिनों मं जबलपुर, सागर, भोपाल, नर्मदापुरम, इंदौर, उज्जैन और ग्वालियर संभाग की बैठकें लीं हैं। उनके इस दौरे से भाजपा में जो संवादहीनता थी उसमें कमी आई है। निश्चित रूप से कार्यकर्ता स्तर पर इसका प्रभाव पडऱहा है हालांकि मालवा और निमाड़ अंचल में अभी भी कुछ सीटों पर शक्तिशाली विद्रोही उम्मीदवार डटे हुए हैं। अनिल पुरोहित




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