(रामगढ़)वार्षिक बोंगा बुरु कार्यक्रम हुआ सम्पन्न,हजारों महिलाएं,पुरुष हुए शामिल

  • 18-Oct-24 12:00 AM

शिक्षा के अलख से ही समाज होगा समृद्ध:दुर्गा चरणरामगढ़ 18 अक्टूबर (आरएनएस)। रजरप्पा स्थित जोहार जाहेर आयो धोरोमगाढ़ में वार्षिक बोंगा बुरु सम्पन्न हुआ।बोंगा बुरु कार्यक्रम में दूर दराज से समाज के हजारों महिला,पुरुष शामिल हुए।इसी उपलक्ष्य में समाजिक विचार सह संस्कृति और घाट पारगना,पारानिक एवं होयो सुसारिया को सर्वसम्मति से चयन कर पागड़ी ताजपोशी समारोह कार्यक्रम आयोजित किया गया।रजरप्पा तुपुनाई घाट के पारगना बाबा के रूप में पुर्व घाट पारगना स्वर्गीय दुर्गा सोरेन के ज्येष्ठ पुत्र जोगेश्वार सोरेन को पागड़ी ताजपोशी किया गया।घाट पारानिक विरेन्द्र कुमार मुर्मू तथा होयो सुसारिया फानू हेम्ब्राम को पागड़ी ताजपोशी किया गया।साथ ही तुपुनाई घाट का सफल संचालन हेतु घागरी ग्राम माझी बाबा कमल सोरेन, पारानिक माहाबीर मुर्मू,महेश मुर्मू को संरक्षक और 21 सक्रिय सदस्यों को बनाया गया। मौके पर उपस्थित अतिथियों ने वर्तमान समय में आदिवासी समाज के स्थिति - परिस्थिति, समाज के सर्वांगीण विकास,पारंपरिक स्वशासन व्यवस्था, रिती रिवाज,धर्म संस्कृति,पूजा पद्धति,शिक्षा,स्वास्थ्य,आर्थिक स्वालंबन,व्यवसाय,जल जंगल जमीन को बचाते हुए संविधान में प्रदत्त आदिवासियों को संवैधानिक अधिकार के विषय पर गहन विचार विमर्श किया गया।वक्ताओं ने कहा कि आदिवासी समाज अपने अस्तित्व को बचाने के लिए दुनिया भर में संघर्षरत है,ऐसी विषम परिस्थिति में हमारे युवा पीढ़ी आधुनिकता की चकाचौंध में पारंपरिक स्वशासन व्यवस्था, रिती रिवाज, पूजा पद्धति धर्म संस्कृति से दूर होते जा रहे हैं जो समाज के लिए चिंता का विषय है।समाज के अगुवाओं को ऐसी स्थिति से युवा पीढ़ी को संस्कारवान बनाने के लिए निस्वार्थ भाव से मार्गदर्शन करें व नेतृत्व करें। समाज में व्याप्त नशा को दूर करते हुए शिक्षा का अलख जगाना है, शिक्षा के बगैर समाज का सर्वांगीण विकास की परिकल्पना व्यर्थ है। संथाली भाषा उनकी लिपि ओल चिकी का प्रचार प्रसार एवं विकास के लिए प्रत्येक गांव में ईतून आसड़ा चलाने का संकल्प लिया गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि दुर्गा चरण मुर्मू देश पारानिक बाबा धाड़ दिशोम, शंकर सोरेन महासचिव आसेका, झारखंड, डॉ राजेन्द्र प्रसाद टुडू ठाकुर बाड़ी घाट पारगना, पानबाबू सोरेन, लखन मार्डी, बाबुली सोरेन अध्यक्ष लुगु बुरु घांटा बाड़ी धोरोमगाढ़, धानेश्वर सोरेन, बृजमोहन टुडू, जीतलाल हांसदा, रामलाल टुडू, बाबूराम मुर्मू, रामविलास किस्कू, संतोष हांसदा, बिनोद मुर्मू, विश्वनाथ सोरेन, लेदेम किस्कू, जगदीश बास्के आदि काफी संख्या में समाज के लोग शामिल थे।




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