(लखनऊ)बीबीएयू ने दर्ज की ऐतिहासिक उपलब्धि, वैश्विक शोध मानचित्र पर मजबूत उपस्थिति
- 26-Sep-25 12:00 AM
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लखनऊ 26 सितंबर (आरएनएस ) बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय (बीबीएयू) ने वैश्विक और राष्ट्रीय स्तर पर अपने उत्कृष्ट शोध योगदान के बल पर ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है। विश्वविद्यालय के पंद्रह संकाय सदस्यों को स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय द्वारा जारी विश्व-प्रसिद्ध टॉप दो प्रतिशत वैज्ञानिकों की सूची में स्थान मिला है। यह चयन उनके निरंतर उत्कृष्ट प्रकाशनों, उच्च संदर्भों (साइटेशन) और वैश्विक प्रभाव के आधार पर हुआ है, जिसने बीबीएयू की शोध-प्रतिष्ठा को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नई ऊँचाई प्रदान की है। सम्मानित वैज्ञानिकों में प्रोफेसर नवीन कुमार अरोड़ा, प्रोफेसर राम चंद्र, डॉ. जयशंकर सिंह, डॉ. राम नरेश भार्गव, प्रोफेसर बी.सी. यादव, प्रोफेसर बी.एस. भदौरिया, प्रोफेसर देवेश कुमार, डॉ. राजेश कुमार सिंह, डॉ. आदित्य खानपरिया, डॉ. अभिषेक वर्मा, डॉ. मुकेश कुमार अवस्थी समेत तीन अन्य शामिल हैं। इस सूची का प्रकाशन अंतरराष्ट्रीय मंच पर बीबीएयू की मजबूत उपस्थिति को रेखांकित करता है।राष्ट्रीय स्तर पर भी विश्वविद्यालय ने अपने शोध योगदान से नई पहचान अर्जित की है। 18 सितंबर 2025 को बीबीएयू को क्लैरिवेट इंडियन रिसर्च एक्सीलेंस – साइटेशन अवार्ड 2025 से नवाजा गया। यह सम्मान केंद्रीय विश्वविद्यालय श्रेणी में दिया गया और बीबीएयू को भारत के उन शीर्ष संस्थानों में स्थापित किया, जिनके शोध-प्रकाशन और संदर्भ प्रदर्शन असाधारण माने गए। इस उपलब्धि ने विश्वविद्यालय को देश के अग्रणी प्रदर्शनकारी विश्वविद्यालयों की श्रेणी में स्थान दिलाया है।अपने शैक्षणिक वातावरण को और अधिक समृद्ध बनाने के लिए बीबीएयू ने एमिनेंट लेक्चर सीरीज़ की भी शुरुआत की है। इस पहल के अंतर्गत विभिन्न विभागों में विशेषज्ञ विद्वानों को आमंत्रित किया जा रहा है, जिससे अंत:विषयी संवाद और ज्ञानवर्धन की परंपरा को बढ़ावा मिले। विश्वविद्यालय की शोध-प्रतिबद्धता उसके उच्च हृ्र्रष्ट प्रत्यायन स्कोर से भी परिलक्षित होती है। हाल के वर्षों में शोध परियोजना प्रस्तावों, पोस्ट-डॉक्टोरल फेलोशिप आवेदनों और विभिन्न फंडिंग प्रस्तावों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, जो एक सक्रिय और समर्पित शैक्षणिक समुदाय का प्रमाण है।नवाचार और समाजोपयोगी शोध को बढ़ावा देने की दिशा में विश्वविद्यालय प्रशासन ने भी ठोस पहल की है। कुलपति प्रोफेसर आर.के. मित्तल ने घोषणा की है कि समाजोपयोगी शोध परियोजनाओं के लिए अध्यापकों और विद्यार्थियों को इंट्राम्यूरल ग्रांट उपलब्ध कराए जाएंगे, ताकि वे आत्मनिर्भर उत्तर प्रदेश और आत्मनिर्भर भारत के मिशन में अपनी सक्रिय भूमिका निभा सकें। इस योजना के दिशा-निर्देश तैयार कर लिए गए हैं और शीघ्र ही अधिसूचित किए जाएंगे। साथ ही शोधार्थियों को फेलोशिप प्राप्त करने में सुविधा देने के उद्देश्य से विस्तृत गाइडलाइन भी जारी की गई है।इन उपलब्धियों और पहलों ने बीबीएयू को लगातार शैक्षणिक उत्कृष्टता का एक प्रकाशस्तंभ बना दिया है। विश्वविद्यालय न केवल परिवर्तनकारी शोध को प्रोत्साहित कर रहा है बल्कि भविष्य के नेतृत्वकर्ताओं को तैयार करने की दिशा में भी दृढ़तापूर्वक आगे बढ़ रहा है।
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