(सिंगरौली)कार्यकर्ताओं की उपेक्षा से गुटों में बंटी भाजपा?
- 29-Oct-23 12:00 AM
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सिंगरौली 29 अक्टूबर (आरएनएस)। मप्र विधानसभा का चुनाव अपने शबाब पर पहुंच गया है। वोटिंग 17 नवम्बर को होने वाली है।?इससे पहले चुनावी समर में कूदी सभी पार्टियां अपना सबकुछ दांव पर लगा चुकी हैं। भाजपा का लम्बे समय से शासन रहा।?इस बार सिंगरौली विधानसभा से रामनिवास शाह को टिकट दिया गया है जिससे पार्टी के कई?वरिष्ठ नेता नाराज हो गये हैं।?यह की जानकारी मिल रही है कि पार्टी अब कई?गुटों में विभाजित हो गयी है।?जिस गुटबाजी के कांग्रेस पार्टी?प्रसिद्ध थी वही गुटबाजी अब भाजप में दिखायी देने लगी है।??यदि समय रहते भाजपा के जिले के सूत्रधार तथा ओहदेदारों ने ध्यान नहीं दिया तो कीमत चुकानी पड़ सकती है।?मजदूर मतदाता स्तर तक जो जमीनी कार्यकर्ता लगातार काम कर रहे हैं उनकी उपेक्षा की शिकायतें अब आम होती जा रही हैं।?बताते हैं कि जिन मजदूर मतदाताओं का पार्टी?को जीत तक ले जाने में महत्वपूर्ण योगदान होता है वहां जमीनी कार्यकर्ताओं का तिरस्कार करके मौसमी कार्यकर्ताओं को प्रोत्साहन दिया जा रहा है?और उन्हीं के भरोसे मतों को हथियाने की कवायद जारी है।?भाजपा जिला संगठन ने अब चमचों को आगे करने की प्रथा चालू हो गयी है।?इसलिये जमीनी कार्यकर्ता असंतुष्ट हैं।?बताते चलेंकि पिछले विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी की प्रत्याशी रानी अग्रवाल को इन्हीं मतदाताओं से बढ़त मिली थी। मोरवा में चटका बस्ती, टीना बस्ती, बरहवा टोला, जगमोरवा तथा मुहेर बस्ती आदि में तकरीबन पच्चीस हजार मतदाता बताये जाते हैं जो कि मजदूरी करके अपना पेट?पाल रहे हैं। इनकी बहुत सी समस्याएं हैं जिनके निराकरण की तवज्जो भाजपा के नुमाइंदों ने नहीं दी।?जयंत क्षेत्र में मुड़वानी बस्ती, बस स्टैण्ड बस्ती, बलिया नाला बस्ती, सिम्पलेक्स बस्ती, चर्च बस्ती, गोलाई?बस्ती तथा नेहरू शताब्दी चिकित्सालय के आस-पास की बस्तियों में मजदूर वर्ग का मतदाता निवास करता है।?जो मूलभूत आवश्यकतओं से बराबर जूझ रहा है। जयंत क्षेत्र में ऐसे मतदाताओं की संख्या करीब बीस हजार बतायी जाती है।?इसी प्रकार विन्ध्यनगर क्षेत्र में ग्रीन हाट बस्ती, मटवई बस्ती, नवजीवन बिहार बस्ती में लगभग दस हजार श्रमिक मतदाता हैं।?जो फटेहाली से जूझ रहे हंै।?इसी प्रकार वैढऩ क्षेत्र में श्रमिक मतदाताओं की संख्या तकरीबन दस हजार बतायी जा रही है।?भाजपा के ही कुछ नेताओं ने बताया कि जुझारू कार्यकर्ता असुविधाओं को झेलते हुये तथा जिले के ओहदेदारों की उपेक्षा को झेलते हुये आज भी निष्ठा से भारतीय जनता पार्टी के लिए कार्य कर रहे हंै।?उनके अंदर संगठन के प्रति असंतोष स्पष्ट देखा जा रहा है।?चुनाव आसन्न है इसलिए ऐसे जमीनी कार्यकर्ताओं को प्रोत्साहन की जरूरत है जिससे की मलीन बस्तियों में जाकर मतदाताओं को जगाने तथा उन्हें अपनी तरफ ले आने की मुहिम में कोई?कठिनाई न आये। उल्लेखनीय है?कि मलीन बस्तियों के इन मतदाताओं के प्रति क्षेत्र की सभी प्रमुख पार्टी लालायित रहती हैं। विधानसभा के इस चुनाव में कौन किस पार्टी के जनाधार में सेंध लगाकर कितने मतदाताओं को अपने पक्ष में कर लेगा इसका अंदाजा तो चुनाव परिणाम से ही लगाया जा सकता है।
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