(सिरसा)जिस देश में, समाज में पेड़-पौधों को पूजने की प्रथा रही है, अब उसी देश में, उसी समाज में पेड़ कम हो रहे हैं-- सन्नी बांसल

  • 17-Jun-24 12:00 AM

-पौैधारोपण अभियान के तहत संस्थाओं के पदाधिकारियों ने लगाए पौधे सिरसा 17 जून (आरएनएस)। अग्रवाल वैश्य समाज हरियाणा, महाराजा अग्रसैन सेवादल (रजि.) सिरसा व सतगुरु सेवा ट्रस्ट सिरसा के संयुक्त तत्वावधान में 15 अगस्त तक पौैधारोपण अभियान शुरू किया हुआ है जिसके तहत संस्थाओं के पदाधिकारियों ने बीते दिवस स्थानीय भादरा पार्क में एकत्रित हुए, जहाँ नीम, आंवला, शहतूत, जामुन, टाली, मोगनी, जेकेन्डा के पौधे लगाए गए। संस्था की तरफ से सन्नी बांसल, आकाश चाचाण, शिवा बांसल ने बताया कि जब से दुनिया शुरू हुई है, तभी से इंसान और क़ुदरत के बीच गहरा रिश्ता रहा है। पेड़ों से पेट भरने के लिए फल-सब्जिय़ां और अनाज मिला। तन ढकने के लिए कपड़ा मिला। घर के लिए लकड़ी मिली। इनसे जीवनदायिनी ऑक्सीजऩ भी मिलती है, जिसके बिना कोई एक पल भी जि़न्दा नहीं रह सकता। इनसे औषधियां मिलती हैं। पेड़ इंसान की ज़रूरत हैं, उसके जीवन का आधार हैं। अमूमन सभी मज़हबों में पर्यावरण संरक्षण पर ज़ोर दिया गया है। भारतीय समाज में आदिकाल से ही पर्यावरण संरक्षण को महत्व दिया गया है। भारतीय संस्कृति में पेड़-पौधों को पूजा जाता है। विभिन्न वृक्षों में विभिन्न देवताओं का वास माना जाता है। पीपल, विष्णु और कृष्ण का, वट का वृक्ष ब्रह्मा, विष्णु और कुबेर का माना जाता है, जबकि तुलसी का पौधा लक्ष्मी और विष्णु, सोम चंद्रमा का, बेल शिव का, अशोक इंद्र का, आम लक्ष्मी का, कदंब कृष्ण का, नीम शीतला और मंसा का, पलाश ब्रह्मा और गंधर्व का, गूलर विष्णू रूद्र का और तमाल कृष्ण का माना जाता है। इसके अलावा अनेक पौधे ऐसे हैं, जो पूजा-पाठ में काम आते हैं, जिनमें महुआ और सेमल आदि शामिल हैं। वराह पुराण में वृक्षों का महत्व बताते हुए कहा गया है- जो व्यक्ति एक पीपल, एक नीम, एक बड़, दस फूल वाले पौधे या बेलें, दो अनार दो नारंगी और पांच आम के वृक्ष लगाता है, वह नरक में नहीं जाएगा। यह हैरत और अफ़सोस की ही बात है कि जिस देश में, समाज में पेड़-पौधों को पूजने की प्रथा रही है, अब उसी देश में, उसी समाज में पेड़ कम हो रहे हैं। बदलते दौर के साथ लोगों का प्रकृति से रिश्ता टूटने लगा। बढ़ती आबादी की ज़रूरतों को पूरा करने के लिए वृक्षों को काटा जा रहा है। नतीजतन जंगल ख़त्म हो रहे हैं। देश में वन क्षेत्रफल बहुत ही कम है। इससे पर्यावरण के सामने संकट खड़ा हो गया है। घटते वन क्षेत्र को राष्ट्रीय लक्ष्य के स्तर पर लाने के लिए ज़्यादा से ज़्यादा वृक्ष लगाने होंगे।इस मौके पर समाजसेवी रंजीत सिंह टक्कर, एडवोकेट प्रतीक बांसल, आकाश, उमेश गर्ग, लोकेश सिंगला, प्रवीण कुमार, राघव, रवि सहित अन्य मौजूद थे।




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