(हजारीबाग)हजारीबाग की शान, कलाकारों की पहचान
- 24-Dec-24 12:00 AM
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-उस्तादों के उस्ताद हैं आनंद दुबे, गायकी और तबला वादन में है महारत हासिलहजारीबाग 24 दिसंबर (आरएनएस)। दो पीढिय़ों ने गायकी में अपना जलवा बिखेरा तो इस परिवार की तीसरी पीढ़ी आनंद दुबे इस विरासत को बेहद कुशलता से आगे बढ़ा रहे हैं। उनकी मधुर आवाज ने जहां गायकी में उनकी पहचान बनाई है, वहीं तबला वादन में भी उनकी गिनती एक मंजे वादक के रूप में होती है। इनके पिता स्व0 सीताराम दुबे भी संगीत के शिक्षक थे। आनंद ने इन्हीं के सानिध्य में संगीत की शिक्षा पूरी की। उससे बड़ी बात आनंद के दादा वासुदेव दुबे प्रतापपुर महाराजा के दरबार में जाने माने संगीतज्ञ थे। स्व0 वासुदेव दुबे के तीन पुत्रों में शिवकुमार दुबे, दीनानाथ दुबे और आनंद के पिता सीताराम दुबे सभी संगीत के नामी गिरामी शिक्षक थे। पूरा जीवन इसी में समर्पित कर रखा था। शायद यही वजह भी है कि दो पीढिय़ों ने संगीत को आत्मा में बसाया तो तीसरी पीढ़ी के आनंद की रग-रग में सुर और ताल सम्माहित है। आनंद गायकी ही नहीं बल्कि तबला में भी संगीत प्रवीण हैं। मल्लिक घराना से संबद्ध आनंद ने प्रयाग संगीत समिति इलाहाबाद से संगीत में प्रवीण किया है। हजारीबाग जावरा रोड कोर्रा गुरुकुल स्वर साधना केन्द्र की स्थापना 2016 में की है। वर्तमान में शहर के 82 बच्चों को गायन, वादन, पेंटिंग, डांस व गिटार वादन की शिक्षा दे रहे हैं। संगीत के क्षेत्र में कई उनके शिष्य बड़े-बड़े स्टेज कर रहे हैं एवं अपना नाम रौशन कर रहे हैं। बच्चों को संगीत की तालीम देने के अलावा आनंद रेडियो आर्टिस्ट भी हैं और उनके भजन गायकी कार्यक्रम रांची आकाशवाणी द्वारा प्रसारित होते रहते हैं। अपने छात्र जीवन में आनंद ने हजारीबाग, रांची, कलकत्ता समेत कई शहरों में संगीत कार्यक्रमों में हिस्सा लिया है। पर इन दिनों शहर में होने वाले कई आयोजनों में वे जज की भूमिका में नजर आते रहते हैं। उनकी पत्नी करुणा देवी भी संगीत में प्रभाकर हैं और इनके सानिध्य में परिवार की चौथी पीढ़ी इनकी दोनों बेटियां भी संगीत में तालीम ले रही हैं। श्री दुबे जेजे कॉलेज तिलैया में बीएड सेक्सन में म्यूजिक लेक्चरर हैं। अपने कामों से अपना नाम एवं हजारीबाग का नाम रौशन कर रहे हैं।
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