अनाज: आंकड़े और अंतर्विरोध

  • 26-Oct-23 12:00 AM

अनाज पैदावार के वास्तविक आंकड़ों के आने के बाद ही सरकार के ताजा अनुमानों की पुष्टि हो सकेगी। इस बीच यह आवश्यकता जरूर है कि सरकार आंकड़े जुटाने और अनुमान लगाने के अपने सिस्टम को बेहतर बनाए, ताकि पिछले वर्ष जैसी स्थिति आगे ना हो।केंद्रीय कृषि मंत्रालय ने अपने ताजा आंकड़ों के जरिए अंदाजा लगाया है कि 2022-23 में अनाज की रिकॉर्ड पैदावार हुई। इस अनुमान के मुताबिक अनाज की कुल पैदावार 32 करोड़ 90 लाख टन हुआ है। यह 2021-22 की तुलना में 4.5 प्रतिशत ज्यादा है। हालांकि बढ़ोतरी चावल और गेहूं की पैदावार में भी हुई, लेकिन सबसे ज्यादा वृद्धि मोटे अनाजों के मामले में दर्ज हुई। यह वृद्धि 12 प्रतिशत तक रहने की बात कही गई है। हालांकि दलहन की पैदावार पिछले वर्ष की तुलना में 4.4 प्रतिशत गिरी, लेकिन पांच वर्ष के औसत से तुलना करें, तो उसमें भी छह फीसदी की बढ़ोतरी नजर आती है। इन आंकड़ों ने कृषि क्षेत्र के प्रदर्शन पर नजर रखने वाले विशेषज्ञों को चौंकाया है।यह सवाल सहज ही उठा है कि कृषि पैदावार इतनी दुरुस्त है, तो देश में खाद्य मुद्रास्फीति इतनी ऊंची क्यों बनी हुई है? और सरकार को कुछ फसलों के निर्यात पर रोक क्यों लगानी पड़ी? फिर ओर भी ध्यान जाता है कि पिछले साल सरकार ने गेहूं की पैदावार के बारे में गलत अंदाजा लगाया था, जिस कारण पहले लगाए गए अनुमान की तुलना में वास्तविक पैदावार कम रही थी। केंद्र ने पूर्व अनुमान के आधार पर ही यह एलान कर दिया कि यूक्रेन युद्ध के कारण विश्व बाजार में हुई गेहूं की कमी की पूर्ति भारत करेगा। लेकिन बाद उसे निर्यात रोकने का निर्णय लेना पड़ा। तब कम पैदावार के कई कारणों का जिक्र किया गया था। 2022-23 में भी कई ऐसे कारण हैं, जो सरकार के अनुमान पर संदेह का कारण बन रहे हैं। मसलन, इस वर्ष कई राज्यों में मानसून की बारिश सामान्य से कम रही है, और कई राज्यों में बाढ़ से नुकसान हुआ है। दरअसल, सरकारी अधिकारी घरेलू बाजार में अनाज की महंगाई का कारण इन्हीं तथ्यों को बताते रहे हैं। जाहिर है, ऐसे में पैदावार के वास्तविक आंकड़ों के आने के बाद ही सरकार के ताजा अनुमानों की पुष्टि हो सकेगी। इस बीच यह आवश्यकता जरूर है कि सरकार आंकड़े जुटाने और अनुमान लगाने के अपने सिस्टम को बेहतर बनाए, ताकि पिछले वर्ष जैसी स्थिति आगे ना हो।




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