असरदार कदम उठाए जाएं

  • 23-May-24 12:00 AM

भारत डोगरालोकतंत्र को सशक्त करने के लिए और भ्रष्टाचार को मिटाने के लिए पारदर्शी कार्यपण्रालियों, निर्णय प्रक्रियाओं और शासन पद्धतियों के महत्त्व को निरंतर बढ़ती मान्यता मिल रही है।ग्रामीण विकास के विभिन्न आयामों के संदर्भ में पारदर्शिता अपनाने से योजनाओं व कार्यक्रमों में आम गांववासियों की भागेदारी बढ़ेगी और उपलब्ध बजट का लाभ उन लोगों तक पहुंचने की संभावना बढ़ेगी जो उसके वास्तविक हकदार हैं। इतना ही नहीं, पारदर्शिता अपनाने से गलतियों के बारे में आरंभिक स्थिति में ही पता चल जाएगा जिससे अधिक क्षति हुए बिना ही उन्हें सुधारा जा सकेगा।कल्पना कीजिए, किसी प्रखंड के आदिवासी परिवारों की जिन्हें सदा हाशिये पर ही रखा गया है, वे भीषण अभाव व गरीबी सहने को मजबूर हैं। इस स्थिति में सरकार उनके बहुपक्षीय लाभ की एक योजना बनाती है व इसके लिए पर्याप्त बजट की व्यवस्था की जाती है। पर यह योजना जब ब्लॉक मुख्यालय तक पहुंचती है तो पारदर्शिता के अभाव में इसकी कोई जानकारी आदिवासी परिवारों को नहीं मिलती है। जब उन्हें नई योजना की जानकारी ही नहीं है तो इसकेउ चित क्रियान्वन के लिए भला आवाज क्या उठाएंगे। यह स्थिति उन निहित स्वाथरे के लिए अनुकूल है जो पहले से कमजोर लोगों के हक हड़पते रहे हैं। वे इस नई योजना के बजट का उपयोग भी उस तरह करते हैं कि अधिक लाभ उन्हीं को मिले। आदिवासी परिवारों से उधार के कागजों पर हस्ताक्षर करवा कर उन्हें थोड़ा बहुत धन अहसान की तरह दे दिया जाता है पर योजना का वास्तविक लाभ तो निहित स्वार्थ ही उठाते हैं। दूसरी ओर पारदर्शिता पर आधारित व्यवस्था में किसी भी योजना या कार्यक्रम की उपलब्ध जानकारी लाभार्थियों व अन्य प्रभावित लोगों तक पहुंचाना अनिवार्य होता है। इस स्थिति में लाभार्थी आरंभिक दौर से ही सचेत हो जाते हैं कि उनके लिए जो बजट आया है, उसका पर्याप्त लाभ उन्हें मिलना चाहिए।ग्राम सभा को सशक्त करना बहुत जरूरी है। सबसे पहला कदम तो यह सुनिश्चित होना चाहिए कि ग्राम सभा व वार्ड सभा की नियमित बैठकें हों तथा आम लोगों के विचार इस मामले में खुलकर सामने आएं कि विकास की प्राथमिकताएं क्या हैं। इस विचार-विमर्श में कमजोर वर्ग के परिवारों और महिलाओं को अपनी बात कहने का पूरा अवसर मिलना चाहिए। लोगों की इन प्राथमिकताओं के आधार पर ही गांव के विकास कायरे का नियोजन होना चाहिए। जो भी योजना, कार्यक्रम या विकास कार्य हो उसे सभी गांववासियों के सामने ग्राम सभा में रखना चाहिए। विकास कार्य हो या राहत कार्य, कार्य स्थल पर उसके बजट, खरीदे गए साज-सामान, मजदूरों की संख्या, मजदूरी आदि की जानकारी प्रदर्शित की जानी चाहिए। साथ ही, अन्य सूचना प्राप्त करने का अधिकार भी उपलब्ध होना चाहिए। संविधान के 73वें संशोधन के अनुसार देश भर में जिला, ब्लॉक, पंचायत एवं गांव स्तर पर पंचायती राज का गठन हुआ है, और इन विभिन्न स्तरों पर जनप्रतिनिधि निर्वाचित हो रहे हैं। ग्रामीण विकास के बजट का बढ़ता हिस्सा ग्राम पंचायतों के माध्यम से खर्च होने लगा है।पंचायतों के पास विकास कायरे का जो बजट पहुंच रहा है, उसमें कुछ न कुछ वृद्धि प्राय: हो रही है। भविष्य में पंचायतों के माध्यम से खर्च होने वाले विकास के बजट के प्रतिशत को बढऩा चाहिए और उसके लिए कई प्रयास भी हो रहे हैं। पर इसके साथ इस विषय पर भी समुचित ध्यान देना अति आवश्यक है कि किसी भी पंचायत के लिए स्वीकृत बजट का उपयोग ठीक से हो,उसमें कोई घपलेबाजी न हो। यदि पंचायत स्तर पर भी भ्रष्टाचार छा गया तो सामान्य लोगों को इस पंचायती राज के पूरे प्रयोग से ही बहुत निराशा हो जाएगी और पंचायतों को विकास कायरे में जिस जन-भागीदारी की आवश्यकता है, वह उन्हें नहीं मिल सकेगी।अत: जहां पंचायतों के अधिकार क्षेत्र व कार्यक्षेत्र को बढ़ाने का प्रयास अवश्य होना चाहिए, वहां यह भी उतना ही आवश्यक है कि पंचायतों को गांववासियों के प्रति इस बारे में जवाबदेह बनाया जाए कि गांव के विकास के लिए जो पैसा आया था वह ठीक से खर्च हुआ कि नहीं। इस तरह के कानून और नियम बनने चाहिए जिससे विकास का बजट ठीक से, ईमानदारी से खर्च होने की संभावना बढ़ जाए तथा जहां भ्रष्टाचार की नीयत है, वहां इस पर अंकुश लग जाए। जहां भ्रष्टाचार का जरा भी शक हो, वहां ऐसे नियमों व कानूनों का लाभ उठाकर गांववासी भ्रष्टाचार को पकडऩे व इस पर रोक लगाने के लिए सक्रिय हो सकें। एक बहुत मूल मुद्दा यह है कि ग्राम-सभा सशक्त हो और सभी गांववासी अपनी लोकतांत्रिक भूमिका निभाने में सक्षम हों।इसी तरह का एक कानून है सूचना के अधिकार या सूचना की स्वंतत्रता का कानून। पंचायतों के संदर्भ में इस कानून का व्यावहारिक अर्थ है कि किसी गांव में पंचायत जो भी विकास कार्य करेगी, उसके बारे में जानकारी प्राप्त करने का हक व उससे संबंधित विभिन्न कागजात को प्राप्त करने या उनकी जांच करने का हक गांववासियों को होगा। उदाहरण के लिए किसी गांव में यदि चेक डैम बनने का बजट स्वीकृत हुआ है तो गांववासियों को हक है कि इस चेकडैम का बजट एवं अन्य सब जानकारियों को प्राप्त करें। कहने का तात्पर्य यह है कि सूचना का अधिकार पंचायत स्तर पर भ्रष्टाचार पर नियंतण्रके लिए है। इस अधिकार का उपयोग कर ग्रामीण भ्रष्टाचार की प्रवृत्ति पर अंकुश लगाने में अपनी भागीदारी निभा सकते हैं। इस कार्यसंबंधी सभी मुख्य जानकारियां पंचायत भवन में एवं कार्यस्थल पर सार्वजनिक रूप से प्रदर्शित की जाएंगी। यह जानकारी ग्रामसभा की बैठक में भी दी जाएगी। इसके अतिरिक्त जिसे विस्तार से कागजात, बिल, वाउचर, मस्टर रोल आदि देखने हों, उसे इनका निरीक्षण करने व कागजात की फोटोकापी या सत्यापित प्रतिलिपि प्राप्त करने का अधिकार भी होगा।यह विभिन्न तरह की जानकारियां प्राप्त करने का अधिकार सूचना के अधिकार या स्वतंत्रता के कानून से मिलता है। सूचना के अधिकार का कानून राष्ट्रीय स्तर पर पूरे देश के लिए बन चुका है। गांववासी आवश्यकता पडऩे पर इस विषय पर एक जनसुनवाई का आयोजन भी कर सकते हैं। इस जन सुनवाई में गांव के सब लोगों को बुलाया जाएगा व विकास कायरे संबंधी जो जानकारी सूचना के अधिकार के उपयोग व गांववासियों की अपनी जांच से प्राप्त हुई है, उसे सबके सामने रखा जाएगा। इस जन सुनवाई में उन व्यक्तियों को अपना पक्ष प्रस्तुत करने के लिए अवश्य बुलाना चाहिए जिन पर भ्रष्टाचार का आरोप है।इसके अतिरिक्तक्षेत्र के प्रतिष्ठित व्यक्तियों,अधिकारियों, पत्रकारों व मीडिया प्रतिनिधियों को भी बुलाना चाहिए। फिर उपस्थित प्रतिष्ठित व्यक्तियों के पैनल की देखरेख में जनसुनवाई का काम चलना चाहिए। जांच से प्राप्त सभी तथ्य लोगों के सामने विस्तार से रखे जाएं। फिर उन लोगों का अपना पक्ष रखने का मौका दिया जाए, जो इस बजट के उचित उपयोग के लिए जिम्मेदार थे। फिर उपस्थित प्रतिष्ठित व्यक्ति भी अपने विचार लोगों के सामने रखें। खुले मंच पर साधारण ग्रामवासियों को अपनी बात कहने का अवसर दिया जाए। इस तरह इन तथ्यों को सबके सामने रख यह मांग उठानी चाहिए कि ग्रामीण विकास के जिस भी कार्य में धन का दुरुपयोग हुआ है, उसे विकास कार्य के लिए वापस प्राप्त किया जाए एवं भविष्य में भ्रष्टाचार की संभावना को रोकने के लिए असरदार कदम उठाए जाएं।




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