आज संपूर्ण विश्व में पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के नाम से जाने पहचाने जाते हैं धीरु भैया
- 03-Jul-25 12:00 AM
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4 जुलाई को 29 वर्ष के पूर्ण हो रहे हैंसंतोष गंगेले मध्य भारत के मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले के पुलिस थाना बमीठा से 13 किलोमीटर दूर पहाड़ों के बीचों- बीच ग्राम गढ़ा स्थित है । इस छोटे से ग्राम की आबादी लगभग 1500 के करीब बताई जाती है ग्राम में पहले प्राथमिक विद्यालय था वर्तमान में माध्यमिक विद्यालय है । इस ग्राम से 6 किलोमीटर दूर ग्राम गंज जो वर्तमान में राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित है जहां पर शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय संचालित है ।4 जुलाई 1996 को प्रात: कालीन ब्रह्म मुहूर्त बेला में श्रीमती सरोज गर्ग पत्नी राम कृपाल गर्ग ने बालक को जन्म दिया है जिसका नाम आज संपूर्ण विश्व में है वह पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के नाम से जाने पहचाने जाते हैं और उनके द्वारा अपनी बाल अवस्था से ही हनुमान के बाल रूप में वह बाल लीलाएं करते रहे लेकिन उसे समय पर ना तो उनके माता-पिता भाई बहन समझ सके ।पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री का बचपन का नाम धीरु भैया है और उन्हें आज भी उनकी माता-पिता और बचपन के साथी उन्हें धीरु भैया के नाम से ही पुकारते हैं ।पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के दादा भगवान दास गर्ग जो सेतु महाराज के नाम से प्रसिद्ध थे और वह घर से गांव के बाहर श्मशान घाट के पास एक छोटे से हनुमान की मूर्ति की सेवा में लगे रहते थे उनकी तपस्या त्याग किसी स्थान पर होता था और छोटे बालक के रूप में हनुमान की सेवा में और दादा की सेवा के लिए पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री धीरु भैया हमेशा अपने दादाकी आज्ञा का पालन करते और वहीं पर बैठकर हनुमान चालीसा सुंदरकांड रामायण पाठ भजन कीर्तन अखंड कीर्तन में भाग लेते रहे उनका पढऩे में मन नहीं लगता था इसलिए पितानाराज होते थे और उन्हें जबरन स्कूल भेजने के लिए कोशिश करते थे । धीरु भैया अपने दोस्तों के साथ स्कूल जाते थे लेकिन जैसे ही दोपहर का समय होता था वह स्कूल से भाग के मंदिर पहुंचने और दादाकी सेवा में लगे रहते थे ।उनकी सेवा भावना से दादाबहुत ही खुश थे और उन्हें उनके भविष्य की परख थी इसलिए वह उन्हें अपना जीवन की जो विद्या थी जो उन्हें आध्यात्मिक तांत्रिक और ईश्वरी शक्ति थी वह धीरू को देना चाहते थे लेकिन वह परीक्षा की घड़ी अभी काफी दूर थी ।धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री बताते हैं कि जब वह 11 साल के थे उनके पैर में चोट लगने के कारण उनकी चोट ठीक नहीं हो रही थी पैर में सडऩ पैदा हो गई मवाद आने लगी लेकिन उन्होंने गांव के हिसाब से नीम की पत्ती नीम की छाल से घाव ठीक करने का प्रयास किया नहीं ठीक हुआ बरसात का समय था दादाके सेवा में पहुंचे तो वह दिव्यांग की तरह चल रहे थे सही तरह से पैदल नहीं चल पा रहे थे बरसात के पानी में पर चल रहा था हनुमान के परम शिष्य पंडित भगवान दास सेतु महाराज ने आज अवसर देखा कि इस बालक को हम अपना चमत्कार दिखाते हैं जैसे ही उनके विश्राम स्थल पर मंदिर के पास पहुंचे दादाने कहा धीरू क्या बात है काफी दिन से सही तरीके से चल नहीं पाते हो सही-सही बताओ उन्होंने कहा कि दादापर में सडऩ पैदा हो रही है मवाद आ रही है और हॉस्पिटल यहां आस-पास नहीं है मैं ठीक नहीं हो पा रहा हूं मेरा पैर कट जाएगा ।पंडित भगवान दास सेतु महाराज ने मंदिर की ओर निगाहें मिलाते हुए पास में रखा हुआ एक कपड़ा उठाया पानी में उसको घूमते हुए और धीरे से कहा के प्यार ऊपर करो फेंक कर मार दिया कपड़ा अपने आप पैर के पंजे में लिपट गया और वहां कहा कि 1 घंटे यही बैठो । 1 घंटे तक धीरु भैया दादा के पास बैठे रहे उन्होंने पूछा कि अब कैसा लग रहा है उन्होंने कहा बहुत अच्छा लग रहा है किसी भी तरह का दर्द नहीं है उन्होंने कहा कि बागेश्वर बालाहनुमान का पांच बार नाम लो और कपड़े को हटा दो जैसे ही कपड़े को हटाया वहां किसी तरह के घाव नहीं था ।बस यही से पंडित धीरेंद्र किसी शास्त्री की धार्मिक यात्रा शुरू हुई और उन्होंने दादाके यहां रहना ही उसे समझा दादा की प्रत्येक आजा प्रश्नों का पालन करते हनुमान की सेवा करते और दादाने उन्हें अपनी धीरे-धीरे सभी क्रियाएं तपस्या त्याग साधना करने की रास्ते बताएं जिसको लेकर के बागेश्वर बालामहाराज की सेवा में लग रहे और 3 वर्षों तक माता-पिता परिवार को बताएं वह अज्ञातवास चले गए और दादाभी गांव छोड़कर बनारस में गंगा घाट पर रहने लगे ।ऐसा गांव वालों ने और उसे साथियों ने बताया कि पंडित भगवान दास सेतु महाराज ने अपनी मृत्यु की घोषणा और अंतिम इच्छा बनारस में ही अंतिम सांस लेने की बता दी थी उनका अंतिम संस्कार बनारस में हुआ और वहीं से पंडित धीरेंद्र के शास्त्री को धर्म सनातन प्रचार करने के लिए प्रेरणा मिली ।पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने अपनी गुप्त बातें अपनी माता-पिता और किसी को न बताते हुए उन्होंने मातासे कहा कि मां मैं वृंदावन में राधे कृष्णा के दर्शन करना चाहता हूं और श्रीमद् भागवत कथा पढऩा है इसलिए हमें कुछ धनराशि बताएं में वृंदावन में रहना चाहता हूं मेरा मन यहां पढ़ाई में नहीं लगता है माताने अपने पुत्र की आज्ञा और उसके संकल्प को पूरा करने के लिए अपने परिवार के लोगों से गांव के लोगों से मदद करने के लिए धनराशि इक_ा करना शुरू की हर तरह की समस्याओं से जूझने के बाद मां ने एक-एक रुपया चंदा करके इक_ा करके अपने बेटे को 728 रुपया संग्रह करके मथुरा वृंदावन जाने के लिए हल्का-फुल्का आता भुज कर शकर चावल देकर आदेश दिया कि जो श्रीमद् भागवत कथा का अध्ययन करो संस्कृत विद्यालय में पढऩा ।धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ग्राम से पैदल चल के मुख्य सड़क तक पहुंचे वहां से ईश्वर की कृपा से उन्हें एक मित्र ने छतरपुर तक छोड़ दिया छतरपुर से वह हरपालपुर रेलवे स्टेशन पहुंचे और रेलवे स्टेशन से वह मथुरा वृंदावन के लिए सवार हुए रास्ते में रेलवे में उनकी जेब कट गई चोरी हो गई इस समय बिहार के एक टीटीई साहब ने उन्हें बिना टिकट यात्रा करने के लिए पकड़ लिया और पुलिस के हवाले करते हुए कहा कि इस लड़के को हमारे पीछे-पीछे लेकर आओ गाड़ी चेकिंग के बाद जब टीटी ने बालक से पूरा परिचय पूछा और बिना टिकट का कारण पूछा तो उन्होंने संपूर्ण जानकारी सत्य घटना बताते हुए कहा कि हमारी जेब कट गई है हमारे पास पैसे नहीं है हम झूठ नहीं बोल रहे हैं टीटी ने कहा कि कहां जा रहे हो किस तरह से क्या करना है किसी भी उन्होंने टीटी की नेम प्लेट देखी और कहा कि साहब आपके पिता माता का नाम यह है आप इतने भाई बहन हैं आपने कहां-कहां अध्ययन किया है और आप किस परिस्थिति में यहां तक पहुंचे हैं आपके आसपास हो घर का पूरा विवरण बताया तो वह आश्चर्यजनक रह गए छोटा बालक ने हमारे पूरे वंशावली बताई उन्होंने ब्राह्मण के नाते बालक के चरण वंदन करते हुए उन्हें ?1100 अपनी ओर से भेंट की और पूरा पता दिया पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने भी पहला चमत्कार वृंदावन जाते हुए टीटीई से शुरू किया मथुरा वृंदावन में रहकर अध्ययन करने के बाद गांव वापस लौटे तो उनकी पहली कथा उनके दोस्त मुबारक खान ने अपने गांव चंद्र नगर से 5 किलोमीटर दूर चुरारन हनुमान देवी मंदिर पर शुरू की 7 दिन की कथा पूरे क्षेत्र में इस प्रकार से ख्याति प्राप्त चर्चित हुई छोटे से बालक ने अपने मुखारविंद से भगवान की लीलाओं का वर्णन और अध्यात्मिकता जागी, भक्तों में यह चर्चा जंगल की आज की तरह फैल गई कि छोटे से बालक के अंदर वेद पुराण शास्त्रों के अनेक उदाहरण दृष्टांत कम उम्र में है जिससे उनकी कथा प्रसिद्ध हो गई कर्मकांडी ब्राह्मण के रूप में और कथा व्यास के रूप में चर्चित हो गए ।आसपास के ग्रामों में वह पंडित धीरु भैया के नाम से बहुत जल्दी प्रसिद्धि और सिद्ध हो गए धीरे-धीरे उन्होंने दादा गुरु के आश्रम पर पहुंचकर प्रत्येक शनिवार को भूत प्रेत का दरबार लगना शुरू किया लोगों की जानकारी देना शुरू की जिससे वह चर्चित हो गए । उनकी जीवनी के बारे में हजारों हजारों घटनाएं अल्पायु में जानकारी हुई लोगों में ख्याति हुई । पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने आसपास के धार्मिक तीर्थ स्थान पर आना-जाना शुरू किया बिजावर जटाशंकर के भोलेनाथ के स्थान पर तपस्या की लोगों से संपर्क स्थापित किया उनके मन में एक संकल्प आया कि गुरु दादा की आज्ञा का पालन करते हुए एक विशाल धार्मिक अनुष्ठान कार्यक्रम बागेश्वर बालामंदिर के पास कराया जाए इसके लिए उन्होंने 2016 में धार्मिक अनुष्ठान करने के लिए आसपास के 8 ग्रामों के प्रमुख बुद्धिजीवियों को बुलाया और धार्मिक अनुष्ठान की चर्चा की धार्मिक अनुष्ठान के लिए सभी लोग तैयार हुए मंदिर के पास बहुत ही गंदगी थी आसपास शमशान घाट थे इसकी साफ सफाई की जिम्मेदारी ग्रामीण में उठाई और पंडित धीरेंद्र के शास्त्री ने धार्मिक अनुष्ठान करने के लिए चित्रकूट से बनारस से संत महात्माओं से संपर्क स्थापित किया और श्रीमद् भागवत कथा संत सम्मेलन आध्यात्मिकता और तांत्रिक शक्तियों से जुड़े संतों का सम्मेलन करके आयोजन शुरू किया 15 दिवस तक क्षेत्र में धार्मिक अनुष्ठान चल लोगों ने सहयोग किया ।विशाल जनमानस के बीच प्रसाद वितरण भंडारे का आयोजन किया गया । कार्यक्रम संपन्न होने के बाद कार्यक्रम की समीक्षा की गई जिसमें लगभग ढाई लाख रुपया आयोजन में उधारी चुकाने का बजट प्रस्तुत किया गया ।बागेश्वर बालापीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र शास्त्री को जब पता चला कि आयोजन हो चुका है ढाई लाख रुपया कर्जा देना है वह बिना किसी को बताएं अपनी तपस्वी स्थल पर एकांत में बैठकर हनुमान के नाम से रोने लगे और रात्रि में वह बागेश्वर बालामूर्ति के सामने आंसू बहाते रहे पूरी रात नींद नहीं आई सवेरे 4:00 बजे उठकर नित्य क्रिया करने के बाद स्नान करके अपने सभी साथियों से बैठकर चर्चा कर रही थी की ढाई लाख रुपए कर्ज है इसको 3 दिन में अदा करना है किस तरह से चंदा किया जाए सहयोग कियाजाए ।सभी लोग बैठकर के मंदिर प्रांगण के सामने समस्या समाधान पर चर्चा कर रहे थे तभी चार पहिया वाहन से 5 लोग मंदिर दर्शन करने आते हैं जिसमें से एक व्यक्ति बहुत ही सुंदर आकर्षक और अच्छे परिवार से संबंध स्थापित करने वाले कोई महान महापुरुष थे जिन्होंने दर्शन किए और अपने साथी को इशारा करते हुए कहा कि इसमें पूछो पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री यहां के पुजारी कौन हैं उन्होंने महाराज की ओर इशारा करते हुए कहा उन्होंने प्रणाम दंडवत करते हुए क्षमा मांगते हुए कहा कि महाराज मैं श्रीमद् भागवत कथा धार्मिक अनुष्ठान में उपस्थित नहीं हो सका कथा बहुत सुंदर सफल रही है मैं कुछ सहयोग करना चाहता हूं पंडित धीरेंद्र शास्त्री के साथ लगभग 20 लोग बैठे थे उन्होंने कहा कि जो भी आप दान दक्षिणा देना चाहते नीचे दान लेने वाले हमारे साथी बैठे हुए हैं आप वहां पर जाकर के अपना दान दे सकते हैं उन्होंने आशीर्वाद लिया और छोटा सा स्थान था वहां पहुंचकर एक बैग रखकर चले गए ।बागेश्वर बालापीठाधीश्वर सभी साथियों के साथ उतारकर जब वहां अपने तपस्वी स्थल पर पहुंचते हैं तो विवेक को देखकर कहां के व्यक्ति किसका है उन्होंने कहा महाराज की जो पांच लोग आए थे उसमें से एक महापुरुष ने यह बैग रखा है और कहा है कि महाराज के हाथ में सौंप देना उन्होंने सभी के सामने बैक को खोला गया बिजनेस में 27०० रुपया से अधिक की राशि निकली । महाराज ने उन व्यक्तियों को दानदाताओं को काफी खोजने की कोशिश की साइकिल मोटरसाइकिल से देखने का प्रयास किया लेकिन वह जा चुकी थे ।बागेश्वर बालापीठाधीश्वर पंडित धीरज का शास्त्री ने उसी दिन से संकट लिया किया वह इसी स्थान पर रहकर लोगों का कल्याण करेंगे और जो उन्हें हनुमान का आजा आदेश होगा वह काम करेंगे लगातार काम करते रहे ।यह बात धीरे-धीरे छतरपुर जिले के अनेक पत्रकारों तक पहुंची मीडिया में खबर आने के बाद नारायण सिंह परमार दैनिक भास्कर के समाचार पत्र के ब्यूरो चीफ एवं उनके मित्र राकेश सिंह उर्फ रिक्की ने एक योजना बनाते हुए महाराज से निवेदन किया कि आप होटल जटाशंकर पैलेस में एक पत्रकार वार्ता रखें जिसमें छतरपुर जिले के सभी पत्रकारों को आमंत्रित किया जाए और हनुमान के पावन पक्ष स्थल की महिमा समाचार पत्र सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर जाना चाहिए जिससे कि इस दिव्य दरबार का लाभ हजारों लोगों को मिल सके । पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री को यह बात उत्तम लगी और उन्होंने स्वीकृति प्रदान की छतरपुर के प्रसिद्ध होटल जटाशंकर पैलेस में एक पत्रकारता रखी गई जिसमें लगभग 70 पत्रकारों ने भाग लिया प्रश्नोत्तरी कार्यक्रम हुआ जिसमें जितेंद्र रिछारिया द्वारा प्रश्नोत्तरी की गई पप्पू गुप्ता संपादक में प्रश्नोत्तरी की सुरेंद्र अग्रवाल ने अपनी बात रखी और नौगांव के संतोष गंगेले कर्मयोगी ने अपनी समस्या को बताया मंच पर बैठे पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री एवं डॉक्टर रमाकांत पटेरिया कार्यक्रम का संचालन कर रहे नारायण सिंह परमार के समक्ष सभी प्रश्नों का सही उत्तर देने पर मीडिया की खबरों में बागेश्वर बालापीठाधीश्वर की खबर संपूर्ण बुंदेलखंड में प्रसिद्ध हो गई और शनिवार का दरबार एक दिन और बढ़कर मंगलवार को कर दिया गया धीरे-धीरे महान यज्ञ भंडारी शुरू हुए शहीदों के लिए यज्ञ कराया गया जिसमें यज्ञ आचार्य डॉ रमाकांत पटेरिया और लगभग 200 से अधिक कर्मकांडी ब्राह्मण में इस यज्ञ में भाग लिया श्रीमद् भागवत कथा दिव्या दरबार चल रहा था नौगांव के समाजसेवी संतोष गंगेले कर्मयोगी द्वारा उनकी सफलता कार्यक्रम होने के बाद वह महाराज का सम्मान करने के लिए बागेश्वर बालाधाम पहुंचे कार्यक्रम का संचालन डॉक्टर रमाकांत मिश्रा ही कर रहे थे उसे समय छतरपुर के समाजसेवी मुन्नालाल तिवारी एवं महाराजपुर के पंडित रविंद्र पुरोहित सहित 2000 लोग भक्तगण बैठे हुए थे दूर से आते हुए संतोष गंगेले कर्मयोगी को देखते हुए बागेश्वर बालापीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने मंच से बोला कि पंडाल में नौगांव से चलकर समाजसेवी संतोष गंगेले कर्मयोगी आ रहे हैं उनके बैग में हनुमान का प्रसाद श्रीफल नारियल उत्तम फुल मालाऐं लिए हुए हैं और वह हमारा सम्मान करने के लिए आ रहे हैं संतोष गंगेले कर्मयोगी अचानक पंडाल में प्रवेश करते हैं और महाराज का स्वागत सम्मान करने के बाद उन्होंने आदेश दिया कि डॉक्टर रमाकांत पटेरिया संतोष गंगेले कर्मयोगी बागेश्वर बालाकी महिमा बताने वाले हैं। इको माइक दिया जाए निश्चित रूप से समाज सेवी संतोष गंगेले कर्मयोगी 29 अप्रैल 2019 को बागेश्वर बालाको प्रणाम करके ब्रह्मांड में चले गए और उन्होंने हजारों व्यक्तियों की समक्ष बागेश्वर बालाकी महिमा गण शुरू किया और उसे दिन उन्होंने इस बात को प्रमाणित किया था कि यह स्थान अवंत राष्ट्रीय स्थान बनने जा रहा है यहां पर लाखों लाखों लोगों की समस्याओं का समाधान होगा आने वाले समय में भारत के प्रधानमंत्री राष्ट्रपति राजनेता शरणागत होंगे और बागेश्वर बालापीठाधीश्वर भारत के ऐसे महान संत होंगे जो अल्पायु में विश्व को ख्याति प्राप्त करेंगे । यह बात बोलते बोलते समाजसेवी संतोष गंगेले कर्मयोगी की आंखों से आंसू गिरने लगे और शरणागत होकर उन्होंने कहा कि उनके ऊपर एक आपराधिक मामले दर्ज किया गया था लेकिन बागेश्वर बालापीठाधीश्वर ने जटाशंकर पैलेस छतरपुर में पत्रकारों के सामने बता दिया था कि यह समस्या 8 दिन बाद हाई कोर्ट के जज द्वारा सुनी जाएगी और अगले मंगलवार को 5:16 पर आपके पास फोन आएगा आपको न्याय मिलने की पूरी संभावना होगी यह हनुमान का आदेश है और वैसा ही हुआ इस घटना को बताने पर उपस्थित जनसमूह में तालिया की गडगड़़ाहट और खुशियांदौड़ गई ।पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री द्वारा भारत सरकार और प्रदेश सरकार की जन कल्याणकारी योजनाओं के साथ-साथ गौ माता की रक्षा वृक्षारोपण पर्यावरण संरक्षण कैंसर हॉस्पिटल के निर्माण नेट सेवा के आयोजन अनेक विकल्प और प्रकल्प को लेकर काम कर रहे हैं आने वाले समय में उनकी जन्म भूमि भारत की ऐसी पावन पवित्र स्थल बनने जा रही है जिसके बारे में सोचने समझने व कल्पना करना अपने बस के बाहर है ईश्वर चाहे कि यह पावन पवित्र भूमि स्थल 12 ज्योतिर्लिंगों में चार धामों में सबसे ऊपर स्थापित हो जिससे कि सनातन धर्म की ध्वजा विश्व में यहां से संचालित हो ।बागेश्वर बालापीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के हजारों हजारों चमत्कार आज जन्मश में दिखाई दे रहे हैं इतनी जल्दी अल्पायु में पूरे विश्व में स्थान बनाने वाले सनातन संस्कृति के लिए काम करने वाले यह पहले संत नारद की तरह हनुमान की तरह पूरे विश्व में काम कर रहे हम उनके जीवन को सुख में और शांति प्रिया तथा सनातन धर्म के लिए समर्पित होकर आने वाले 4 जुलाई 2025 को उनके जन्मदिन पर नया संकल्प लें भारत के समस्त हिंदू सनातन संस्कृति मानने वाले प्रत्येक भारतीय को उनके बताए मार्ग पर चलने के लिए आगे आना चाहिए ।
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