इंतजामों को अधिक सक्रिय करने की जरूरत
- 02-May-24 12:00 AM
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अनिरुद्ध गौड़हमारे देश के वनों में गर्मिंयों के दिनों में आग लगना एक लगातार सिलसिला है। अप्रैल का महीना शुरू हुआ कि आग से जंगल धधकने लगते हैं। जंगल की आग पर्यावरण की दृष्टि से तो खतरनाक है ही जनजीवन और बायोडायर्वसटिी की दृष्टि से भी हानिकारक है। ऐसे समय में जब जंगलों में आग लगती है तो देखा गया है कि उसकी तैयारी में सरकार विफल रही है।देश के वनों में अप्रैल माह में आग की घटनाओं को देखें तो देश में हाल फिलहाल 361 जगह वनों में आग लगी हैं। इन घटनाओं की निगरानी को फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया की साइट पर लांच बीटा संस्करण एसएनपीपी - वीआईआईआरएस का 10 अप्रैल, 2024 का भारत के वनों में लगी भीषण आग का मौजूद आंकड़ा बताता है कि सबसे अधिक आंध्र प्रदेश में 122, तेलंगाना में 55, छत्तीसगढ़ में 47, उत्तराखंड में 32, बिहार में 23, ओडिसा में 22, उत्तर प्रदेश में 17 सहित 21 राज्यों में 361 जगह आग लगी थी जो 13 अप्रैल को घट कर काबू होने के बाद 33 रह गई। 1अप्रैल को देश के वनों में 132 बड़ी आग लगी थी जो 10 अप्रैल को 361 जगह तक पहुंच गई है। अप्रैल माह में पिछले 7 दिनों का आंकड़ा देखें तो एक्टिव आग की घटनाओं में टॉप फाइव राज्यों में छत्तीसगढ़ में 166, आंध्र प्रदेश में 248, मध्य प्रदेश में 207, ओडिसा में 146 और असम में 139 जगहों पर बड़ी आग लगी।वहीं 1 नवम्बर, 2023 से 2024 में बड़ी आग की घटनाओं में टॉप फाइव राज्यों में आंध्र प्रदेश में 860, मध्य प्रदेश में 719, तेलंगाना 688, महाराष्ट्र में 547 और छत्तीसगढ़ में 527 बार आग लगी, जबकि वर्ष 2022-2023 में तो पूरे देश के वनों में 12562 आग की घटनाएं हुई। जंगल की आग से वनों का क्षरण तो होता ही है बहुमूल्य वन संपदा और कार्बन भी नष्ट हो जाते हैं। वनों का पारिस्थितिकी तंत्र भी प्रभावित होता है। यह देखा गया है फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया के अनुसार जंगल की आग को मॉनिटर करने के लिए भारत में 2004 से शुरू सेटेलाइट की रिमोट सेंसिंग मोडिस अर्थात मॉडरेट रेजोल्यूशन इमेजिंग स्पेक्ट्रो रेडियोमीटर सेंसर और 2017 से भारतीय सेटेलाइट से सम्पूर्ण भारत में एसएनपीपी-वीआईआईआरएस अर्थात सुओमी-नेशनल पोलर आर्बिटिंग पार्टनरशिप-विजिबल इंफ्रारेड इमेजिंग रेडियोमीटर सूट के साथ जीआईएस टूल्स की मदद से वनों की आग को मॉनिटर किया जा रहा है। देश का कुल 32,87,469 वर्ग किलोमीटर भौगोलिक क्षेत्र है। नवीनतम आईएसएफआर 2021 के अनुसार देश का कुल 7,13,789 वर्ग किलोमीटर वन आवरण है। जो देश के भौगोलिक क्षेत्र का 21.71 प्रतिशत है। वन सर्वे ऑफ इंडिया का अनुमान है कि देश में 36 प्रतिशत से अधिक वन क्षेत्र में बार-बार आग लगती रहती है। देश के करीब 4 प्रतिशत वन क्षेत्र में अधिक तो 6 प्रतिशत भाग में सबसे अधिक खतरा पाया गया है। ग्लोबल फॉरेस्ट वाच के अनुसार विश्व स्तर पर आग से वर्ष 2001 से 2022 के बीच 126 मिलियन हेक्टेयर वनों का नुकसान हुआ। इनमें वर्ष 2016 ऐसा वर्ष रहा जिसमें आग से सबसे अधिक 9.63 मिलियन हेक्टेयर वन आवरण का नुकसान हुआ। पिछले कुछ दशकों में आग की घटनाओं को देखें तो 2001 से 2022 के बीच भारत में आग की घटनाओं से 35.9 हेक्टेयर वृक्ष आवरण को नुकसान और 2.15 मेगा हेक्टेयर वृक्ष आवरण का नुकसान अन्य कारणों से हुआ। इसमें भी 2008 में आग से सबसे अधिक कुल 3.5 प्रतिशत वृक्ष आवरण का नुकसान हुआ।अगर 12 अप्रैल 2021 से 8 अप्रैल 2024 के बीच आज की घटनाओं की बात की जाए तो 5,29,248 ङ्कढ्ढढ्ढक्रस् के माध्यम से बड़ी आज की घटनाएं रिपोर्ट की गई है। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार विश्व में हर वर्ष करीब 7 करोड़ हेक्टेयर वन क्षेत्र आग लगने की घटनाओं से प्रभावित होता है। इससे बड़े स्तर पर पर्यावरणीय और आर्थिक क्षति होती है। ग्लोबल फॉरेस्ट वॉच के अनुसार विश्व में सन 2010 में 3.92 गीगा हेक्टेयर वृक्ष आवरण था जो पृथ्वी के 30 प्रतिशत से अधिक भू-भाग में फैला हुआ था, लेकिन 2023 में विभिन्न कारणों से 28.3 मिलियन हेक्टेयर वृक्ष आवरण कम हो गया। सन 2001 से 2023 तक वैश्विक स्तर पर 488 मिलियन हेक्टेयर वृक्ष आवरण की हानि हुई जो 2000 के बाद से वृक्ष आवरण में 12 प्रतिशत की कमी के बराबर है, जबकि सन 2002 से 2023 के बीच कुल 76.3 मिलियन हेक्टेयर आद्र प्राथमिक वन कम हो गया।भारत की बात करें तो सन 2010 में 31.3 मिलियन हेक्टर प्राकृतिक वन थे जो कि इसकी कुल भूमि का 11 फीसद था, लेकिन वर्ष 2023 में 134 किलो हेक्टेयर आद्र प्राकृतिक वन की हानि हो गई। वर्ष 2002 से 2023 के बीच भारत में 414 हेक्टेयर आद्र प्राथमिक वन खो दिए। इस तरह भारत में कुल 4.1 प्रतिशत वन क्षेत्रफल कम हो गया। जिसमें 2016 और 2017 में अधिक हानि हुई। वनों में आग लगने से बड़े पैमाने पर मानवीय, पर्यावरण और आर्थिक हानि होती है। इसलिए आग फैलने से रोकना बहुत ही जरूरी है। वनों की आग को नियंत्रित करने में वही पुराने साधन और संसाधनों से आग काबू पाने के लिए राज्यों के महकमे लगे हुए हैं। तकनीक से हम बेहतर तरीके से मॉनिटर कर पा रहे हैं, लेकिन विकसित देशों की तरह वनों की आग को काबू पाने के इंतजामों को अधिक सक्रिय करने की जरूरत है।
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