ईडी, सीबीआई की साख ही नहीं भ्रष्टाचार मसला भी खलास!
- 15-Nov-23 12:00 AM
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हरिशंकर व्यासनरेंद्र मोदी ने भारत के लोगों को वैसा ही बना दिया है जैसा 1947 से पहले थे। मानसिक रूप से खाली दिमाग वाला और राजनीतिक तौर पर असंवेदनशील, नींद-नशे में कुंद तथा नियतिवादी। मैंने पांच दिन छतीसगढ़ में गुजारे और कोई हजार किलोमीटर घूमा। रायपुर, बिलासपुर, राजनादंगाव से लेकर आदिवासी-ओबीसी गांव-कस्बों सभी तरफ। और क्या दिखा? असंवेदनशील, नशेड़ी जनता या भक्त जन। रायपुर जाने से पहले मेरी गलतफहमी थी कि पांच सालों से लगातार सीबीआई, ईडी की बघेल सरकार के खिलाफ कार्रवाईयों से आम जनता में भ्रष्टाचार का मुद्दा होगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, अमित शाह ने कांग्रेस पर भ्रष्टाचार को लेकर जब हल्ला बोल किया है तो कम से कम भाजपा के समर्थक तो आंदोलित होंगे। लोगों में करप्शन एक मुद्दा होगा।पर कोई इस पर बोलता हुआ या आंदोलित नहीं था। बार-बार कुरेद कर पूछने पर एक ही जवाब था यह सब तो राजनीति है। चुनाव है तो ईडी, सीबीआई का हल्ला है। या भाजपा कोई कम भ्रष्ट है। भूपेश बघेल ने तो फिर भी वादे पूरे किए जबकि रमन सिंहज् भाजपा वाले पैसे खाते हैं और काम भी नहीं करते।सोचें, जो प्रदेश पूरे देश में ईडी, सीबीआई के छापों की सुर्खियों में लगातार रहा, जहां केंद्र की मोदी सरकार ने भ्रष्टाचार का लगातार नैरेटिव बनवाए रखा वहां भ्रष्टाचार चुनाव में मुद्दा ही नहीं!उस नाते आजाद भारत की राजनीति ने मोदी-शाह और भाजपा व संघ परिवार से एक अकल्पनीय मोड़ पाया है। कोई लूट ले, कितना ही भ्रष्टाचार हो जाए, हम उस नियति में बंध गए हैं, जिसमें अंग्रेजों या मुगलों की गुलामी में जीना सहज था। जबकि 1947 की आजादी ने दिमाग को जगाया था। कोई न माने इस बात को लेकिन मैं लिखता रहा हूं यह सत्य कि इंदिरा गांधी, राजीव गांधी से ले कर डॉ. मनमोहन सिंह सरकार तक में केंद्र की सत्ता परिवर्तन का बुनियादी कारण भ्रष्टाचार था। जेपी आंदोलन हो या वीपी सिंह का कांग्रेस में द्रोह या मनमोहन सरकार पर आरोपों के हल्ले में नरेंद्र मोदी के अच्छे दिन का हल्ला या अरविंद केजरीवाल का झाड़ू आंदोलन सब में भ्रष्टाचार विरोध का जन उबाल निर्णायक था। तब मीडिया से लेकर सीबीआई, ईडी, सीएजी आदि से भ्रष्टाचार की जो चिंगारियां फूटी उनसे लोगों का राजनीतिक दिमाग खलबलाया। लोग आंदोलित हुए, गली-गली में शोर है, फलां, फलां चोर जैसे नारों के सियासी भूचाल पैदा हुए!और इन नौ सालों में क्या हुआ? प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने केंद्रीय एजेंसियों और अपने भाषणों का वह झूठा-फरेबी हल्ला बनवाया कि लोगों के दिल-दिमाग से भ्रष्टाचार का मसला ही आउट हो गया है। जन-जन में मानों यह स्वीकार्यता है कि सब भ्रष्टाचारी हैं! पक्ष बोले या विपक्ष, जनता में यह मुद्दा खत्म है। लोगों ने मान लिया है, उनका यह व्यवहार बन गया है कि पैसा दो काम कराओ। पटवारी, पंच-सरपंच को पटाओ, मंत्री-मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री को अपना बनाओ और फ्री की रेवड़ी पाओ, घर की छत बनवाओ, बैंक फ्रॉड करो, करोड़पति बनो, अडानी-अंबानी बनो।बहरहाल, छतीसगढ़ की तासीर या नियति में ऐसी कोई बात है जो अजित जोगी, रमन सिंह और भूपेश बघेल तीनों के कार्यकाल में भ्रष्टाचार और ज्यादतियों का हल्ला या बातें औसत से बहुत अधिक नैरेटिव में रहीं। अजित जोगी अफसर की बैकग्राउंड से स्वयंभू किंगपिन थे वही रमन सिंह के समय सीएमओ के अमन सिंह (अब अडानी समूह में) तो पूर्व सीएम अजित जोगी को भी किवंदतियों में मात देते हुए थे। भूपेश बघेल के राज में वैसा हल्ला सीएमओ की एक अफसर सौम्या चौरसिया का बना। उन्हें लेडी अमन सिंहÓ कहा गया। और भाजपा लगातार सौम्या चौरसिया को टारगेट बना कहती रही कि इसकी कमान में कोयला, लोहा से रेत खदानों व शराब बिक्री में तयशुदा रेट में अरबों रुपए की वसूली हुई।भाजपा ने उसकी सुपर सीएम होने की किवंदती बनाई। मोदी सरकार ने उसके पीछे ईडी को लगाया। कईयों बार पूछताछ हुई। छापे पड़े। और पिछले एक साल से वह जेल में है। हिसाब से ईडी, सीबीआई, भाजपा, मोदी-शाह सब के कानफाड़ू आरोपों में इस विधानसभा चुनाव में लोगों के दिल-दिमाग में सौम्या चौरसिया एक मुद्दा होनी थी। भ्रष्टाचार पर चर्चा होनी थी। लेकिन न कोई उसका हवाला देते हुए है और न जनता में कोई भ्रष्टाचार की बात करता हुआ है।सचमुच भूपेश बघेल पर आरोप न जनता के बीच में चिपके है और न ईडी से जेल में बंद सौम्या चौरसिया पर कोई बात करता मिलेगा। जाहिर है कि मोदी सरकार ने ईडी-सीबीआई का छतीसगढ़ में जितना हल्ला बनवाया उसी अनुपात में प्रदेश में इन दोनों केंद्रीय एजेंसियों को लेकर घर-घर यह मैसेज बना है कि यह सब भूपेश बघेल को बदनाम करने वाली झूठी कार्रवाई है। तभी भूपेश बघेल के खिलाफ निजी तौर पर गैर-भाजपाई वोटों में एंटी इनकम्बेसी नहीं है। यदि कांग्रेस ने दम खम से चुनाव जीता तो तय मानें की ऐसा होना भूपेश बघेल की इमेज से होगा। सोचें, मोदी सरकार-सीबीआई-ईडी ने कितनी ताकत लगाई भूपेश बघेल को करप्ट बता ध्वस्त करने में लेकिन उलटे उनकी लोकप्रियता बढ़ी हुई है।और कोई न माने इस बात को मगर नोट रखें कि ऐसा ही अरविंद केजरीवाल के साथ होना है। नरेंद्र मोदी-अमित शाह, भाजपा, संघ परिवार गलतफहमी में हैं कि केजरीवाल एंड पार्टी को भ्रष्ट बता, जेल में डाल वे दिल्ली, पंजाब में आप पार्टी को खत्म कर देंगे। ऐसा नहीं होना है। भ्रष्टाचार का हल्ला कर मोदी-शाह अब सियासी लाभ नहीं ले सकते। इसलिए क्योंकि इन्होंने न केवल ईडी, सीबीआई और केंद्रीय एजेंसियों की साख को मिट्टी में मिला दिया है, बल्कि राफेल से अडानी की सुर्खियों से लोगों के बीच लगातार यह पैठा है कि भ्रष्टाचार पर इनका बोला बेमतलब है। ईमानदारी, शुचिता, पारदर्शिता की जो पार्टी बात किया करती थी उसमें आखिर जब चालीस, पचास प्रतिशत कमीशन का शिष्टाचार जब सहज गुरू दक्षिणा है तो क्या तो सोचें और क्यों ईमानदारी की कसौटी में वोट करें!
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