ईधन दम घोंट रहा

  • 21-May-24 12:00 AM

पंकज चतुर्वेदीराजधानी दिल्ली की हवा में इन दिनों अजब किस्म का जहर घुल रहा है। अजब इसलिए कि जिस ईधन से वाहनों को चलाना सुरक्षित घोषित किया गया था, अब वही ईधन दम घोंट रहा है।केंद्रीय प्रदूषण नियंतण्रबोर्ड(सीपीसीबी) के ताजे एयर बुलेटिन के अनुसार दिल्ली का एक्यूआई 224 है और इस बार हवा का मिजाज बिगडऩे का अकारण नाइट्रोजन डाई आक्साईड (एनओ 2) का आधिक्य है। एनओ-2 की हवा में मौजूदगी कार्बन डाईआक्साइड से भी अधिक घातक होती है। सीपीसीबी का आकलन है कि एनओ 2 की मात्रा बढऩे का कारण सीएनजी वाहनों से निकलने वाली रासायनिक गैस हैं।दिल्ली में वायु प्रदूषण को नियंत्रित रखने के तंत्र ने महज पीएम 2.5 और 10 को नियंत्रित करने की कोशिशें की और इसके लिए सीएनजी वाहनों की संख्या इतनी हो गई कि अब काला धुएं की जगह अदृश्य धुआं इंसानों के जीवन का दुश्मन बना है। जुलाई-21 में जारी की गई रिपोर्ट बिहाइंड द स्मोक स्क्रीन : सैटेलाइट डाटा रिवील एयर पॉल्यूशन इन्क्रीज इन इंडियाज एट मोस्ट पॉपुलस स्टेट कैपिटल्सÓ में चेतावनी दे गई थी कि साल दर साल दिल्ली सहित देश के कई बड़े शहरों में नाइट्रोजन ऑक्साइड की मात्रा में इजाफा हो रहा है।सेटेलाइट डाटा विश्लेषण के आधार पर ग्रीनपीस इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक अप्रैल 2020 की तुलना में अप्रैल 2021 में दिल्ली में नाइट्रोजन ऑक्साइड की मात्रा 125 फीसद तक ज्यादा रही। ग्रामीण क्षेत्रों में तो नाइट्रोजन ऑक्साइड के बढऩे के कारण खेती में अंधाधुंध रासायनिक खाद का इस्तेमाल, मवेशी पालन आदि होता है, लेकिन बड़े शहरों में इसका मूल कारण निरापद या ग्रीन फ्यूल कहे जाने वाले सीएनजी वाहनों का उत्सर्जन है। जान लें नाइट्रोजन की ऑक्सीजन के साथ मिल कर बनीं गैसें-जिन्हें आक्साईड आफ नाइट्रोजनÓ कहते हैं, मानव जीवन और पर्यावरण के लिए उतनी ही नुकसानदेह हैं जितना कार्बन आक्साईड या मोनो आक्साइड।यूरोप में हुए शोध बताते हैं कि सीएनजी वाहनों से निकलने वाले नेनो मीटर (एनएम) आकार के बेहद बारीक कण कैंसर, अल्जाइमर, फेफड़ों के रोग का खुला न्योता हैं। पूरे यूरोप में इस समय सुरक्षित ईधन के रूप में वाहनों में सीएनजी के इस्तेमाल पर शोध चल रहे हैं। विदित हो यूरो-6 स्तर के सीएनजी वाहनों के लिए भी कण उत्सर्जन की कोई अधिकतम सीमा तय नहीं है और इसी लिए इससे उपज रहे वायु प्रदुषण और उसके इंसान के जीवन पर कुप्रभाव और वैश्विक पर्यावरण को हो रहे नुक्सान को नजरअंदाज किया जा रहा है। जान लें पर्यावरण मित्र कहे जाने वाले इस ईधन से बेहद सूक्षम लेकिन घातक 2. 5 एनएम (नेनो मीटर) का उत्सर्जन पेट्रोल-डीजल वाहनों की तुलना में 100 से 500 गुना अधिक है।खासकर शहरी यातायात में जहां वाहन बहुत धीरे चलते हैं, भारत जैसे चरम गर्मी वाले परिवेश में सीएनजी वाहन उतनी ही मौत बांट रहे हैं जितनी डीजल कार-बसें नुकसान कर रही थी बस कार्बन के बड़े पार्टकिल कम हो गए हैं। यह सच है कि सीएनजी वाहनों से अन्य ईधन की तुलना में पार्टकिुलेट मेटर 80 फीसद और हाइड्रो कार्बन 35 प्रतिशत कम उत्सर्जित होता है, लेकिन इससे कार्बन मोनो आक्साइड उत्सर्जन पांच गुना अधिक है। शहरों में स्मोग और वातावरण में ओजोन परत के लिए यह गैस अधिक घातक है।परिवेश में आक्साईड आफ नाइट्रोजन गैस अधिक होने का सीधा असर इंसान के स्वशन तंत्र पर पड़ता है। केंद्रीय प्रदूषण नियंतण्रबोर्ड के 2011 के एक अध्ययन में इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि सीएनजी पर्यावरणीय कमियों के बिना नहीं है, यह कहते हुए कि सीएनजी जलाने से संभावित खतरनाक कार्बोनिल उत्सर्जन की उच्चतम दर पैदा होती है।अध्ययन से पता चला था कि रेट्रोफिटेड सीएनजी कार इंजन 30 प्रतिशत अधिक मीथेन उत्सर्जित करते हैं। ब्रिटिश कोलंबिया विविद्यालय के एक अध्ययन में कॉनर रेनॉल्ड्स और उनके सहयोगी मिलिंद कांडलीकर ने वाहनों में सीएनजी इस्तेमाल के कारण ग्रीनहाउस गैसों कार्बन डाईआक्साइड और मीथेन के प्रभावों पर शोध किया तो पाया कि इस तरह के उत्सर्जन में 30 प्रतिशत की वृद्धि है। यह जान लें कि सीएनजी भी पेट्रोल-डीजल की तरह जीवाश्म ईधन ही है।यह भी स्वीकार करना होगा कि ग्रीनहाउस गैसों की तुलना में एरोसोल (पीएम) अल्पकालिक होते हैं, उनका प्रभाव अधिक क्षेत्रीय होता है और उनके शीतलन और ताप प्रभाव की सीमा अभी भी काफी अनिश्चित है। सीएनजी से निकली नाइट्रोजन आक्साईड अब मानव जीवन के लिए खतरा बन कर उभर रही है। दुर्भाग्य है कि हम आधुनिकता के जंजाल में उन खतरों को पहले नजरअंदाज करते हैं जो आगे चल कर भयानक हो जाते हैं। जान लें प्रकृति के विपरीत ऊर्जा, हवा, पानी किसी का भी कोई विकल्प नहीं हैं। नैसर्गिकता से अधिक पाने का कोई भी उपाय इंसान को दुख ही देगा ।




Related Articles

Comments
  • No Comments...

Leave a Comment