ईमानदारी पर सिर्फ हमारी ठेकेदारी

  • 01-Apr-24 12:00 AM

विभांशु दिव्यालराष्ट्रीय राजनीति में दे दनादन चौके-छक्के मारकर तुरत-फुरत बड़ा स्कोर जुटाती हुई, देश के अनेक राज्यों में अपने मजबूत पांव फैलाती हुई और चारों तरफ मोदी विरोध का डंका बजाती हुई, आम आदमी पार्टी के कट्टर ईमानदार और पार्टी के पितृपुरुष सर्वेसर्वा ईमानी नेता को लेकर भाजपा सरकार के परम पुनीत प्रवर्तन निदेशालय ने अंतत: अपना मनचाहा संकल्प पूरा किया और भाई को सलाखों के पीछे पहुंचाकर ही दम लिया।एक तरफ कट्टर ईमानदार सरकारी प्रधान, दूसरी तरफ कट्टर ईमानदार आम पार्टी का ईमानी नेता। दो कट्टर ईमानदारों के बीच जानमारू प्रतिद्वंद्विता के उग्र स्वरूप को देखकर हमारे झल्लन का दिल भर आया और वह अपनी सहानुभूति का टोकरा लेकर फिल्मी तर्ज पर भूतिया वेश में ईमानी नेता को कैद में रखने वाली सलाखों के निकट चला आया। उसने अपनी आवाज में दर्द पिरोया, आंखों को आंसुओं से धोया, फिर बोला-हम अपनी पूरी हमदर्दी लेकर आये हैं और आपके लिए दो-चार ठो सवाल भी लाये हैं। तो भाईजान, आप पहले व्यक्ति हैं जो मुख्यमंत्री के पद को भी अपने साथ जेल में ले आये हैं, इसके लिए आपको बधाई कि आप एक नया विश्व कीर्तिमान बनाए हैं। अब आगे आपकी रणनीति क्या होगी, आप बाहर आएंगे या यहीं रहकर अपना चुनाव अभियान चलाएंगे? अब यहां आपको कैसी अनुभूति हो रही है, कहीं आपकी हिम्मत तो जवाब नहीं दे रही है?ईमानी नेता-तुमने पूछा हिम्मत के बारे में, तो हमारा सीना भले 56 इंच का न हो लेकिन फौलाद का सीना है जो कभी हिम्मत नहीं हारता है, और जो हमें डराने की कोशिश करता है उसे ही डरा डालता है। मौजूदा सत्ता हमसे डर गयी है, उसे लगता है कि हम आ जाएंगे तो उनकी सरकार और उनकी पार्टी को खा जाएंगे। सो उन्होंने षडय़ंत्र का चक्रव्यूह रचवाया है, हमें जेल भिजवाया है।झल्लन-मतलब यह कि जो शराब घोटाला सामने आया है, जिसने इतना उत्पात मचाया है वो आपके हिसाब से हुआ ही नहीं, सब दारू में डूब गये मगर किसी ने दारू को छुआ नहीं?ईमानी नेता-जाहिर है सब खेल हमें परेशान करने के लिए रचाया गया है, हमारे नेताओं पर झूठे आरोप लगाकर जेल में डलवाया गया है।झल्लन-अच्छा, जब आप आरोप लगाते थे, भ्रष्ट और चोर नेताओं की सूची बनाकर मंच से सुनाते थे, उन्हें बार-बार जेल का हकदार बताते थे, तो तब उन पर आप किस आधार पर आरोप लगाते थे, किस बिना पर उन्हें चोर-भ्रष्टाचारी बताते थे?ईमानी नेता-उनके कारनामे तो एजेंसियां उजागर करती थीं, हमें बताती थीं।झल्लन-यानी जब औरों पर एजेंसियां आरोप लगाएं तो वे सही होती हैं पर जब आपको आरोपित ठहराएं तो वे गलत और षडय़ंत्रकारी होती हैं। खैर, अच्छी बात है कि आप अपने सही और न्यायनिष्ठ होने का फैसला स्वयं अपने हक में कर लेते हैं इसलिए किसी भी एजेंसी के सम्मन को दरकिनार कर देते हैं। लेकिन यह बताइए कि जिस कांग्रेस के भ्रष्ट नेताओं की आप सूची जारी किया करते थे और जिस कांग्रेस के नेता कुछ समय पहले तक आपको शराब घोटाले का सूत्रधार बताया करते थे, आपकी गिरफ्तारी की मांग किया करते थे, आप उसी कांग्रेस से हाथ मिला रहे हैं और अपनी जेल मुक्ति के लिए उसी से करुण गुहार लगा रहे हैं। क्या आपका जमीर आपको कोंचता नहीं है, आपसे कुछ पूछता नहीं है?ईमानी नेता-हम कट्टर देशभक्त हैं, देश बचाना चाहते हैं, देश का संविधान बचाना चाहते हैं, अपने देश के लिए हम जमीर की कुर्बानी दे सकते हैं और संविधान बचाने के लिए कांग्रेस तो क्या, भ्रष्ट से भ्रष्ट व्यक्ति का भी साथ ले सकते हैं।झल्लन-तो आप कह रहे हैं कि भ्रष्ट लोगों से हाथ मिलाए बिना आप संविधान नहीं बचा सकते, या कहना चाहते हैं कि बिना उनके आप सत्ताधारी पार्टी को नहीं हरा सकते? या बिना इस भ्रष्ट कुनबे के आगे दंडवत किये आप अपनी महत्वाकांक्षानुसार प्रधानमंत्री पद की दौड़ में आगे नहीं आ सकते?ईमानी नेता-ये सारे आरोप गलत हैं, हम संविधान बचाने आये थे, सो संविधान को हर हाल में बचाएंगे। संविधान बचाने में पूरी ईमानदारी दिखाएंगे और ईमानदारी पर अपनी ठेकेदारी किसी भी सूरत में नहीं हटाएंगे।झल्लन-चलिए ठीक है, न खाता न बही जो आप कहें वही सही। पर ये तो बताइए, जब आप जेल आ रहे थे तो आपके मन में क्या खयाल आ रहे थे? आपने क्यों नहीं सोचा कि परंपरानुसार पद से इस्तीफा दे देते और नैतिकता के पालन का थोड़ा श्रेय ले लेते?ईमानी नेता-सुनो मियां झल्लन, जिस नैतिकता की तुम बात कर रहे हो वह प्रजाति अब विलुप्त है, राजनीति के कब्रगाह में सुप्त है। अब जो हम सोचें, जो हम कहें, जो हम करें वही नैतिक होता है इसके अलावा जो भी कुछ होता है वह अनैतिक होता है। कोई कुछ भी कहे हम किसी के झांसे में नहीं आएंगे, हम जेल में हैं तो जेल से ही प्रचार करेंगे और जेल से ही अपनी सरकार चलाएंगे, और अब अगली बातें अगले इंटरव्यू में बताएंगे।




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