(रायपुर) एक दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय योग कार्यशाला का हुआ भव्य एवं सफल आयोजन
- 14-Oct-25 09:43 AM
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अजय दीक्षित(धर्मक्षेत्र)आगामी कुछ दिनों बाद श्रद्धालुओं को बृंदावन में बांके बिहारी मंदिर में दर्शन के लिए संघर्ष नहीं करना होगा। उत्तर प्रदेश सरकार की एक याचिका पर सुनवाई कर मंदिर की आसपास की पांच एकड़ भूमि को अधिग्रहण करने की स्वीकृति दी है और साथ में 500 करोड़ रुपए मंदिर ट्रस्ट से खर्च करने की घोषणा को भी सही ठहराया है। उल्लेखनीय है कि उत्तर प्रदेश सरकार ने अलाहाबाद हाइकोर्ट के उस आदेश के खिलाफ अपील की थी जिसमें कहा गया था कि पांच एकड़ भूमि के विकास के लिए मंदिर बृंदावन ट्रस्ट के धन का उपयोग नहीं किया जाए। जनसंख्या दबाव के कारण भारत के प्रमुख मंदिर अव्यवस्था से जूझ रहे हैं जिनमें बृंदावन का सुप्रसिद्ध श्री बांके बिहारी मंदिर भी हैं। बताया जाता है कि भगवान श्री कृष्ण की इस प्रतिष्ठित मूर्ति की प्राचीन काल में संत हरिदास महाराज ने स्थापित किया था।कहते हैं कि ये 1600 ईसवी के आसपास की बात है। तत्कालीन समय में एक मंदिर भी बनाया गया था जो यमुना नदी के किनारे था तब यहां सघन बन हुआ करता था और उसमें बृंदा के पेड़ थे तो बृंदावन प्रचलित हो गया । संत हरिदास महाराज भगवान श्री कृष्ण के अनन्य भक्त थे और वह बन में पशु पक्षी, शेर भालू, चीते,हिरन, के साथ रहते थे और नित्य भोर यमुना नदी में स्नान करने के बाद श्री कृष्ण की सेवा में जुट जाते थे। तत्कालीन समय में मथुरा में कुछ बस्ती थी ।एक भगवान श्री कृष्ण की जन्मभूमि थी जो लगभग महाभारत काल की ही थी। लेकिन समय के साथ बृंदावन में परिवर्तन हुआ। ब्रिटिश काल में 1884 में मंदिर का नए सिरे से निर्माण हुआ ।1970 तक यहां मंदिरों की स्थली ही थी जैसे पागल बाबा का मंदिर, द्वारिका धीश मंदिर आदि।वर्तमान समय में बृंदावन एक तीर्थ स्थलों में से एक है।यहां पूरे भारत से श्रद्धालुओं का आना जाना होता है।एक पर्यटक स्थल बन गया है बल्कि एक सर्किट बन गया है जिसमें गोकुल, दाऊजी, मथुरा, गोवर्धन, बरसाना शामिल है लगभग सौ किलोमीटर की दूरी तक पहुंच गई है।एक अनुमान के मुताबिक मथुरा पूरे देश से पांच करोड़ लोगों प्रतिवर्ष दर्शन करने आते हैं।इस लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण के निरीक्षण प्रतिवेदन के आधार पर मथुरा और आसपास के क्षेत्रों को नवीनतम प्रारूप में स्थापित करने का निर्णय लिया है। उत्तर प्रदेश सरकार ने केएनबीजी,( कोसी, नंदगांव, बरसाना, गोवर्धन) सड़क परिवहन निर्माण कार्यक्रम भी आयोजित किया गया है, मथुरा से डींग बाया गोवर्धन,तथा गोवर्धन सोख, गोकुल, सड़क परियोजना भी 1000 करोड़ की स्वीकृत की है।दिल्ली, आगरा, भरतपुर, से शनिवार को 5000 वाहन आते हैं और अब बृंदावन की पुलिस अधिकारियों के चुनौती बन गई है ट्रैफिक व्यवस्था। बांके बिहारी मंदिर के पास कुंज गालियां , उनमें बस्तियां हैं।सर्वोच्च न्यायालय ने राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण की समिति की सिफारिश पर यह फैसला लिया है कि मंदिर बृंदावन ट्रस्ट के चारों ओर हरित क्षेत्र बनाया जाए और पूरी बस्ती का पुनर्वास कर अन्यत्र शिफ्ट किया जाए।सर्वोच्च न्यायालय के फैसले से उत्तर प्रदेश सरकार अब एक कोरिडोर का निर्माण कार्य शुरू कर सकती है जिसमें पर्यटकों को सुविधा मिल सके। हरित क्षेत्र में पेड़ो को उगाया जाए, हरियाली रहे। भगवान श्री कृष्ण और राधा रानी का दिव्य स्थान बने।भारत सरकार में जब से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आसीन हुए हैं तब से काशी विश्वनाथ मंदिर, अयोध्या में भगवान श्री राम की जन्मभूमि पर भव्य दिव्य मंदिर मंदिर बने हैं।मैने कई दक्षिण भारत के मंदिरों के दर्शन किए हैं, जैसे मदुरई, रामेश्वरम, महाबलिपुरम, जगन्नाथपुरी, कोच्चि, त्रिचनापल्ली, पद्मनाभ मंदिर, द्वारिका,सभी अभी भी व्यवस्थित हैं।जबकि उत्तर भारत के मंदिरों में अव्यवस्था हैचाहे वह केदारनाथ, बद्रीनाथ, गंगोत्री, यमनोत्री, कैला देवी,हो ।आजादी के 77 वर्ष बाद ये कार्य शुरू हो रहे हैं।जबकि विश्व में भारत ही ऐसा देश है जिसमें सनातन धर्म के मंदिर है।नेपाल में यद्यपि पशुपतिनाथ मंदिर है ।मगर व्यवस्था वहां भी ठीक नहीं है। वैसे कहना नहीं चाहिए लेकिन कांग्रेस सरकार रहते हिन्दुओं के तीर्थ स्थलों पर कोई कार्य नहीं किया गया।जबकि भारत में 80 फीसदी से अधिक आबादी हिंदुओं की है। बताया जाता है कि सोमनाथ मंदिर का जीर्णोद्धार प्रथम राष्ट्रपति स्व राजेंद्र प्रसाद ने कराया था। लेकिन स्व जवाहर लाल नेहरू राजेंद्रजी के इस निर्णय से सहमत नहीं थे। तत्कालीन प्रधानमंत्री स्व जवाहर लाल नेहरू ने कहा था कि हे इस एक्सीडेंटल हिन्दू । नेहरू नहीं चाहते थे कि डॉ राजेंद प्रसाद , सर्वोच्च पद पर रहते किसी मंदिर का पुनर्वास कराए।
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