चण्डीगढ़ प्रकरण में सुप्रीम कोर्ट की सुप्रीम चाबुक

  • 27-Feb-24 12:00 AM

अजय दीक्षितचण्डीगढ़ केन्द्र शासित प्रदेश है । क्योंकि यह बहुत छोटा सा एक नगर का क्षेत्र है, यहां अन्य केन्द्र शासित प्रदेशों की भांति लेफ्टिनेंट गवर्नर न होकर एक प्रशासक है । पंजाब के गवर्नर को ही चण्डीगढ़ का प्रशासक नियुक्त किया गया है । चण्डीगढ़ में एक नगर निगम है, इसके अध्यक्ष के लिए चुनाव में इस बार कांग्रेस और अन्य पार्टी ने समझौता किया । अन्यथा भाजपा के वोट इन दो पार्टियों के अलग-अलग कम थे और चुनावी स्थिति में भाजपा का प्रत्याशी ही मेयर और सीनियर डिप्टी मेयर और डिप्टी मेयर के तीनों पदों पर जीत जाता । कांग्रेस और आप का प्रत्याशी और डिप्टी मेयर और सीनियर डिप्टी मेयर के लिए कांग्रेस के प्रत्याशी खड़े होंगे । चण्डीगढ़ कॉरपोरेशन के चुनाव की जिम्मेदारी चण्डीगढ़ प्रशासन की है । पहले जनवरी 2024 में कोई तिथि चुनाव के लिए निर्धारित हुई । उस दिन रिटर्निंग ऑफिसर ने बीमारी का बहाना बनाकर चुनाव को टलवा दिया । कोई नई तारीख निर्धारित नहीं हुई । फिर आप पार्टी पंजाब हरियाणा हाई कोर्ट गई और उसकी पहल से 16 जनवरी की तारीख तय हुई । रिटर्निंग ऑफिसर एक ऐसे व्यक्ति को बनाया गया जो भाजपा के माइनॉरिटी सेल का पदाधिकारी था । इससे भाजपा, आप और कांग्रेस को सचेत हो जाना चाहिए था । चण्डीगढ़ प्रशासन में किसी आई.ए.एस. अधिकारी को रिटर्निंग ऑफिसर बनाना चाहिए था । जिस भाजपा के कार्यकर्ता को रिटर्निंग ऑफिसर बनाया वह चुनाव के दिन डेढ़ घण्टे देर से पहुंचा । फिर हंगामे के बीच चुनाव हुआ । और रिटर्निंग ऑफिसर ने आपके पक्ष के आठ वोट निरस्त करते हुए भाजपा उम्मीदवार को जीता हुआ घोषित कर दिया । भाजपा की इस जीत पर भाजपा के दिल्ली में बैठ बड़े-बड़े लोगों से जश्न मनाया । गृहमंत्री अमित शाह ने भाजपा के मेयर को बधाई दी । भाजपा अध्यक्ष जे.पी. नड्डा ने इसके लिए मोदी जी को धन्यवाद किया ।आप के हारे प्रत्याशी ने अन्तत: सुप्रीम कोर्ट की शरण ली । वहां 16 फरवरी और 20 फरवरी को सुनवाई हुई । सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश और दो अन्य न्यायाधीशों ने स्वयं मत पत्रों की जांच की और आप का प्रत्याशी को विजयी घोषित कर दिया और रिटर्निंग ऑफिसर पर सख्त टिप्पणी की । कोर्ट में झूठ बोलने पर उसके खिलाफ पार्जरी का मुकदमा भी चलेगा ।अब इस केस की मुख्य बातें समझ लें । रिटर्निंग ऑफिसर के लिए वकील चंडीगढ़ प्रशासन ने नहीं किया । उसने कोई निजी वकील भी नहीं किया । उसके लिए भारत के सॉलिसिटर जनरल ने पैरवी की । अब यह तो केन्द्रीय गृह मंत्रालय की मंजूरी के बिना नहीं हो सकता । भाजपा अध्यक्ष नड्डा जी ने भाजपा के प्रत्याशी की जीत पर प्रधानमंत्री मोदी जी को बधाई दी थी । स्वयं केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने भाजपा के मेयर को बधाई दी थी । क्यों कि कुछ चुनावी प्रक्रिया कमरे में कैद थी, इसलिए सुप्रीम कोर्ट ने तथाकथित आठ इनवेलिड वोटों को वैध माना । सुप्रीम कोर्ट में कहा गया कि फिर से चुनाव कराए जाएं । सुप्रीम कोर्ट में जब कहा गया कि हॉर्स ट्रेडिंग शुरू हो गई है तो प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि हम भी अखबार पढ़ते हैं । असल में क्योंकि इण्डिया का दो पार्टियों द्वारा मिलकर यह एक संयुक्त प्रयास था, इसी से लगता है कि भाजपा इस प्रयास को असफल करना चाहती थी ।भाजपा के प्रवक्ताओं का कहना था कि चुनाव याचिका चुनाव आयोग या सम्बन्धित हाईकोर्ट में चलती है । जहां फैसला आते-आते पांच साल लग जाते हैं और कार्यकाल समाप्त हो जाता है ।सुप्रीम कोर्ट ने अपने कीमती दो दिन इस प्रकरण को देकर स्वयं फैसला देकर आप का प्रत्याशी को मेयर घोषित कर दिया । इससे पहले वह केन्द्र सरकार को चुनावी बॉड को लेकर भी घिर चुकी है । अब अंतिम बात सुन लें । संभव में कलि अवतार के लिए मंदिर का शिलान्यास करते हुए मोदी जी ने कहा कि सुदामा ने कृष्ण को कुछ भी भेंट नहीं किया । आज यदि सुदामा ने कृष्ण को कुछ भेंट किया होता तो कोई वीडियो बना लेता और फिर उच्चतम कोर्ट इसे रिश्वत की संख्या घोषित कर देती । आप स्वयं समझ लें कि यह टिप्पणी किस प्रसंग को ध्यान में रखकर कही गई होगी ।




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