छत्तीसगढ़ में नवीकरणीय ऊर्जा की हिस्सेदारी बढ़ाने की तैयारी
- 18-Sep-24 12:00 AM
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अक्षय ऊर्जा क्षेत्र में छत्तीसगढ़ में निवेश के लिए बढ़ेंगे अवसरभारत में वर्ष 2030 तक 500 गीगावॉट नवीकरणीय ऊर्जा का होगा उत्पादनविकास शर्माप्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ऊर्जा क्षेत्र में उनकी दूरगामी योजना को एक फिर दोहराया है। गुजरात के गांधीनगर में आयोजित चौथे ग्लोबल रिन्यूएबल एनर्जी इन्वेस्टर्स मीट में सोमवार को उद्घाटन अवसर पर निवेशकों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि वर्ष 2030 तक भारत में नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत से 500 गीगावॉट बिजली का उत्पादन किया जाएगा। यह पहला मौका नहीं है कि प्रधानमंत्री ने अक्षय ऊर्जा क्षेत्र में अधिक केंद्रित प्रयास पर बल दिया हो। उनकी यह तैयारी प्रधानमंत्री बनने के साथ ही शुरू हो चुकी थी और अब वह मिशन मोड पर काम करना चाहते हैं। उनकी इस दूरदर्शी और महत्वाकांक्षी योजना को प्राप्त करने में छत्तीसगढ़ भी पीछे नहीं रहना चाहता है । वैश्विक निवेशक सम्मेलन में हिस्सा ले रहे प्रदेश के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने प्रधानमंत्री के नवीकरणीय ऊर्जा के लक्ष्य को प्राप्त करने में अपनी भूमिका तय कर दी है। जीवाश्म ऊर्जा से पॉवर हब बने प्रदेश में नवीकरणीय ऊर्जा की हिस्सेदारी अगले कुछ वर्षों में 15 प्रतिशत से बढ़ाकर 45 प्रतिशत तक करने का लक्ष्य है। उन्होंने सम्मेलन में निवेशकों को भी खुले दिल से छत्तीसगढ़ में निवेश के लिए आमंत्रित कर अपनी नियत साफ कर दी है।पर्यावरण संतुलन तथा शून्य कार्बन उत्सर्जन के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए भारत सरकार ने परिणाम केंद्रित प्रयासों को बढ़ावा दिया है। नवीकरणीय ऊर्जा की दिशा में छत्तीसगढ़ ने अपनी तैयारी शुरू कर दी है। उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़ में कुल 20 हजार मेगावॉट बिजली उत्पादन की क्षमता है जिसमें सिर्फ 15 प्रतिशत नवीकरणीय ऊर्जा की हिस्सेदारी है। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय का यह विश्वास पुख्ता योजना पर आधारित है। छत्तीसगढ़ में पन बिजली और सौर ऊर्जा के क्षेत्र में काम को गति देते हुए अगले कुछ ही वर्षों में लगभग 10 हजार मेगावाट बिजली का उत्पादन किया जाना है। इसमें छत्तीसगढ़ स्टेट पॉवर जनरेशन कंपनी 7 हजार मेगावाट क्षमता की पंप स्टोरेज तकनीक की मदद से पन बिजली उत्पादन की दिशा में आगे बढ़ रही है तथा सौर ऊर्जा के क्षेत्र में सौर सुजला और प्रधानमंत्री सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना की बड़ी भूमिका होगी।भारत सरकार ने आमजन को भी ऊर्जा उत्पादक बनाने की व्यापक योजना बनाई है। प्रधानमंत्री सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना इस कड़ी में एक बहुत ही लोकप्रिय योजना है। योजना के तहत अगले कुछ वर्षों में 30 गीगावॉट (30 हजार मेगावॉट) बिजली देश के आम लोगों के घरों की छतों पर लगे सौर पैनलों से उत्पादित होंगे। इसके पहले चरण में छत्तीसगढ़ में 25 हजार घरों में सौर संयंत्र लगाने का लक्ष्य है। इस दिशा में छत्तीसगढ़ स्टेट पॉवर डिस्ट्रीब्यूशन कम्पनी ने योजनाबद्ध कार्य शुरू भी कर दिया है।प्रधानमंत्री मोदी की यह महत्वाकांक्षी योजना भावी जरूरतों की पूर्ति में आमजन की भागीदारी को बढ़ाने वाला है। प्रधानमंत्री सूर्य घर योजना पर 75 हजार 21 करोड़ रूपए व्यय किया जा रहा है। इसमें आम नागरिक को भारी भरकम अनुदान के साथ ही आवश्यक विद्युत अधोसंरचना का विकास भी शामिल है। योजना के तहत देश के एक करोड़ घरों की छतों पर एक से तीन किलोवॉट के सौर पैनल स्थापित होंगे जो लघु बिजली संयंत्र की भांति कार्य करेंगे। अनुमान है कि तीन सौ यूनिट प्रतिमाह तक बिजली मुफ्त प्राप्त करने के साथ ही हितग्राही अपनी उत्पादित शेष बिजली को ग्रीड के माध्यम से राज्य बिजली कंपनियों को बेच सकेंगे। योजना की प्रारंभिक सफलता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि 13 फरवरी 2024 को शुरू होने के छह माह के अंदर एक करोड़ 28 लाख से अधिक हितग्राहियों ने सौर संयंत्र स्थापित करने के लिए पंजीयन कराया है।देश की प्रगति और समृद्धि को समझने के लिए प्रति व्यक्ति आय की तरह प्रति व्यक्ति ऊर्जा खपत भी एक आधार है। साल 1947 में खपत 18.47 किलोवॉट ऑवर (केव्हीएच) से आज 2024 में 72 गुणा अधिक 1327 केव्हीएच पहुँच चुका है जिसके तेजी से बढ़ते हुए अगले 5-6 वर्षों में 1500 केव्हीएच तथा वर्ष 2050 में 2500 केव्हीएच प्रति व्यक्ति प्रतिवर्ष ऊर्जा खपत होने का अनुमान है। हमारी ऊर्जा जरूरतें कोयला आधारित संयंत्रों से उत्पादित बिजली पर अधिक निर्भर हैं जिसे समयबद्ध ढंग से नवीकरणीय ऊर्जा तथा अन्य वैकल्पिक ऊर्जा श्रोतों से पूरा करने की आवश्यकता है। भारत में आज विद्युत उत्पादन क्षमता 446 गी.वॉ. है जिसमें 45.5 प्रतिशत गैर- जीवाश्म इंधन (नवीकरणीय ऊर्जा) से उत्पादित होता है। अब आगामी पाँच वर्षों में इसे बढ़ाकर 65 प्रतिशत तक करने का लक्ष्य रखा गया है। भारत सरकार नवीकरणीय ऊर्जा की क्षमता जो वर्तमान में 203 गीगावॉट है को अगले पाँच वर्षों में 500 गी.वॉ. तक ले जाने के लिए प्रयासरत है। इसमें पवन ऊर्जा की वर्तमान क्षमता को 46.6 गी.वॉ. से 140 गी.वॉ. और वर्ष 2030 तक सौर ऊर्जा से ऊत्पादित बिजली को 85.5 गी.वॉ. से 270 गी.वॉ. करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। जिस प्रकार से देश ने सिर्फ दस वर्षों में सौर ऊर्जा क्षमता को 2.82 गी.वॉ से बढ़ाकर 85.5 गी.वॉ. तक पहुंचाया है ऐसे में अगले पाँच वर्ष का लक्ष्य असंभव नहीं कहा जा सकता है।भारत के संदर्भ में गैर-जीवाश्म इंधन को मुख्य ऊर्जा श्रोत बनाने की जरूत इसलिए भी है क्योंकि जीवाश्म इंधन कई पर्यावरणीय तथा पारिस्थितिकी असंतुलन (इकोलॉजिकल इंबैलेंस) का कारण बन रहा है और बढ़ती ऊर्जा जरूरतों के साथ इसके खतरे और चिंताजनक हो जाएंगे। नवीकरणीय ऊर्जा समय की मांग और मानवता के लिए आवश्यक है। भारत ने नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन की दिशा में जो कदम उठाए हैं उसके अच्छे परिणाम भी हमारे सामने है। इसके साथ ही वर्ष 2030 तक कार्बन उत्सर्जन को 2005 की स्थिति सि 45 प्रतिशत तक कम करने के लिए प्रतिबद्ध है।प्रधानमंत्री ने नारा दिया सबका साथ-सबका विकास और बाद में एक आयाम और जोड़ा सबका प्रयास। विद्युत ऊर्जा के क्षेत्र में प्रधानमंत्री के निर्धारित लक्ष्य को प्राप्त करने में छत्तीसगढ़ अग्रिम पंक्ति में रहना चाहेगा । वो इसलिए भी कि विकास का पहिया बिना ऊर्जा दौड़ेगा नहीं । ऊर्जा से उन्नति को गति मिलती है और जिस प्रकार प्रधानमंत्री सूर्य घर योजना समेत नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में छत्तीसगढ़ कार्य कर रहा है उससे आशा है कि प्रदेश आने वाले दशकों में भी पॉवर हब बना रहेगा।लेखक छत्तीसगढ़ स्टेट पॉवर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी के प्रकाशन अधिकारी हैं
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