जल्द निकले हल, ड्राइवरों की हड़ताल

  • 04-Jan-24 12:00 AM

नए साल के पहले दिन से ही शुरू हुई ट्रक ड्राइवरों की हड़ताल ने गंभीर स्थिति उत्पन्न कर दी है। देश के कई शहरों में पेट्रोल पंपों के सामने गाडिय़ों की लंबी-लंबी कतारें दिख रही हैं। लोग इस आशंका में भी अपनी-अपनी गाडिय़ों की टंकी फुल करा रहे हैं कि पता नहीं आगे पेट्रोल मिले या न मिले। यात्रियों को परेशानियां हो रही हैं सो अलग। सबसे बड़ी बात ट्रकों का चलना लगभग रुक गया है।इस हड़ताल के साथ खास बात यह है कि इसमें आम ड्राइवर आगे हैं और ट्रांसपोर्टर्स असोसिएशन पीछे। मंगलवार यानी हड़ताल के दूसरे दिन तक यह स्थिति थी कि असोसिएशन से जुड़े पदाधिकारी कह रहे थे, हमने अभी तक हड़ताल का कोई आह्वान नहीं किया है। हड़ताल के पीछे मुख्यत: आम ड्राइवरों में फैली डर की भावना मानी जा रही है।दरअसल, संसद में पिछले महीने पारित न्याय संहिता में हिट एंड रन मामलों में किए गए कड़े प्रावधान से यह स्थिति पैदा हुई है। इसके मुताबिक लापरवाही से गाड़ी चलाकर गंभीर सड़क दुर्घटना का कारण बने ड्राइवर अगर पुलिस या प्रशासन को सूचित किए बगैर मौके से फरार हो जाते हैं तो उन्हें 7 लाख रुपये का जुर्माना और 10 साल तक की कैद हो सकती है। अब तक ढ्ढक्कष्ट में लापरवाही से मौत के मामलों में दो साल तक की कैद का प्रावधान था।हड़ताल पर गए ड्राइवरों का कहना है कि कोई भी डाइवर दुर्घटना जान-बूझकर नहीं करता क्योंकि इसमें उसकी अपनी जान भी दांव पर लगी होती है। दूसरी बात यह कि दुर्घटना के बाद मौके पर बने रहना उसके लिए खतरनाक होता है क्योंकि हादसे के बाद जमा पब्लिक का गुस्सा प्राय: सही-गलत की चिंता किए बगैर बड़ी गाड़ी के ड्राइवर पर निकलता है।हालांकि हिट एंड रन मामलों के लिए बने इस कानून के भी कई पहलू हैं। लापरवाही से गाड़ी चलाना एक गंभीर मामला है। मामूली सजा का प्रावधान ड्राइविंग को गंभीरता से लेने का कल्चर डिवेलप करने की राह में रोड़ा माना जा रहा था। इसके अलावा सड़क हादसों का शिकार हुए विक्टिम परिवारों का पक्ष भी है, जो कानून के कड़े प्रावधानों की जरूरत को रेखांकित करता है।फिर भी ड्राइवरों की हड़ताल से जैसी स्थिति उत्पन्न हो गई है, उससे साफ है कि कानून बनाते हुए इससे पैदा होने वाली स्थितियों का सही अंदाजा नहीं लगाया जा सका। ट्रांसपोर्ट असोसिएशनों की शिकायत है कि कानून बनाने से पहले उनसे किसी तरह की बातचीत नहीं की गई थी।मौजूदा हालात में बातचीत करके मामले को जल्द से जल्द सुलझाने की जरूरत है। किसी भी स्थिति में अडिय़ल रवैया अपनाना सभी पक्षों के लिए अत्यधिक नुकसानदेह साबित होगा।




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