(रायपुर) एक दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय योग कार्यशाला का हुआ भव्य एवं सफल आयोजन
- 14-Oct-25 09:43 AM
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राष्ट्रीय जनता दल (राजद) की कमान अब पूरी तरह तेजस्वी यादव के कंधों पर होगी। पार्टी की राष्ट्रीय कार्यसमिति की बैठक में यह तय हुआ कि तेजस्वी यादव पार्टी चलाएंगे।हालांकि राष्ट्रीय अध्यक्ष पद पर लालू प्रसाद यादव ही बने रहेंगे, लेकिन अब पार्टी की बागडोर तेजस्वी यादव के हाथों में होगी। चुनाव में उम्मीदवारों को सिंबल देने का अधिकार भी अब तेजस्वी के पास होगा, जो पहले राष्ट्रीय अध्यक्ष के पास होता था।लाजिमी है कि एक तरफ पार्टी में तेजस्वी युग का आगाज हो गया तो दूसरी ओर लालू परिवार में भी सियासतÓ शुरू होने की आशंका है। क्योंकि मीसा यादव और राहिणी भी राजनीति में सक्रिय हैं, जबकि तेजप्रताप भी मां राबड़ी के ज्यादा करीब हैं और अपने बयान के जरिये सुर्खियों में रहते हैं। गौरतलब है कि पिछले कुछ वर्षो से तेजस्वी ही पार्टी का कामकाज देख रहे थे, लेकिन चुनाव के समय लालू यादव की भूमिका महत्त्वपूर्ण हो जाती थी।अब यह जिम्मेदारी भी तेजस्वी के कंधों पर होगी। तेजस्वी युवा हैं और पिछले विधानसभा चुनाव के अलावा इस बार के लोक सभा चुनाव में उनकी मेहनत का हर कोई कायल रहा। हालांकि उनकी मेहनत चुनाव परिणाम में परिलक्षित नहीं हुई, मगर उन पर जनता और पार्टी का भरोसा पूरी मजबूती के साथ है; यह जरूर दिखा। खास बात यह है कि तेजस्वी काफी ऊर्जावान हैं और पिता लालू प्रसाद से उन्होंने काफी कुछ सीखा है।बाकी परिवार के सदस्यों की बात करें तो मीसा इस बार भले पाटलिपुत्र से सांसद बनी मगर बिहार की राजनीति को समग्रता से समझने का काम तेजस्वी के अलावा न तो रोहिणी ने किया और न तेजप्रताप ने। हां, राबड़ी देवी की भूमिका भी अब पार्टी में काफी सीमित हो गई है। स्वाभाविक है, लालू ने दांव तेजस्वी पर चला है और एक तरह से अध्यक्ष का पद अपने पास रखकर यह संदेश भी देने की कोशिश की है कि तेजस्वी के कामकाज पर उनकी नजर रहेगी।इस बात में कोई शक नहीं कि युवा तबके में तेजस्वी की स्वीकार्यता है। साथ ही यादव मतदाता और मुस्लिम समुदाय भी पार्टी का सबसे मजबूत वोट बैंक माना जाता रहा है। राज्य में सत्तारूढ़ जद (यू)-भाजपा की सरकार की खामियों को सामने लाना उनके लिए सबसे कठिन होगा। हां, अगर वो नीतीश सरकार की नाक में दम करेंगे तो हो सकता है, अगली सरकार के मुखिया वही होंगे।
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