दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा ऑटोमोबाइल बाजार भारत

  • 25-Sep-25 12:00 AM

भारत की प्रगति की रोज नई-नई खबरें आने का सिलसिला जारी है। इसी कड़ी में अब भारत ने जापान को पीछे छोड़ कर दुनिया के ऑटोमोबाइल बाजार में धमाकेदार दस्तक दी है। सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी के अनुसार भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा ऑटोमोबाइल बाजार बन गया है, और अगले पांच साल में इस बाजार में पहले नंबर पर आने का लक्ष्य लेकर चल रहा है। गडकरी ने अंतरराष्ट्रीय वैल्यू शिखर सम्मेलन, 2025 में उस रोडमैप का ब्योरा भी दिया जिसके तहत भारत को ऑटोमोबाइल विनिर्माण, हरित गतिशीलता और बुनियादी ढांचे के नवाचार के लिए दुनिया के अग्रणी केंद्र के रूप में स्थापित करने की महत्त्वाकांक्षी योजना है। गडकरी के अनुसार सभी प्रमुख वैिक ऑटोमोबाइल ब्रांड अब भारत में मौजूद हैं। इन ब्रांडों का ध्यान अब असेंबलिंग करने से हट कर भारत से दुनिया भर में वाहनों के निर्यात पर केंद्रित हो गया है। देखा जाए तो अकेले भारत का दोपहिया वाहन उद्योग अपने उत्पादन का आधे से ज्यादा निर्यात करता है। प्रदूषण मुक्त परिवहन के मामले में भी भारत की अग्रणी भूमिका बनी हुई है। इलेक्ट्रिक वाहनों, हाइड्रोजन ईधन और वैकल्पिक ईधनों में भारत खूब प्रगति कर रहा है।हाइड्रोजन ट्रक लॉन्च कर ही चुका है, और अनेक मागरे पर इसकी पायलट परियोजनाएं चल रही हैं। भारत का लक्ष्य हरित परिवहन में दुनिया का नेतृत्व करना है। प्रमुख वाहन निर्माता कंपनियों टाटा मोटर्स, अशोक लीलैंड और रिलायंस तथा इंडियन ऑयल जैसी तेल कंपनियों के सहयोग से सरकार ने हाइड्रोजन उत्पादन के बुनियादी ढांचे को गति देने के लिए भारी-भरकम अनुदान दिया है।वर्तमान में भारत ने आइसोब्यूटेनॉल और बायो-बिटुमेन जैसे नये ईधन विकल्पों के मामले में भी उल्लेखनीय प्रगति की है। इन ईधन विकल्पों का प्रयोगशालाओं में परीक्षण चल रहा है। गडकरी के अनुसार देश की सड़कों के बुनियादी ढांचे में भी जबरदस्त प्रगति हुई है।भारत में अब दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा सड़क नेटवर्क है। यात्रा की अवधि भी काफी घट गई है। भारत के वि में ऑटोमोबाइल बाजार में प्रमुख स्थान हासिल करने के पीछे उस प्रतिबद्धता का भी योगदान है, जिसके तहत देश के कचरा प्रबंधन के तौर-तरीके बदले हैं। कचरे का इस्तेमाल सड़क बनाने की सामग्री में किए जाने से यह भी संपदा में बदल कर देश को आगे बढ़ा रहा है।




Related Articles

Comments
  • No Comments...

Leave a Comment