नई सरकार गठन पर पूरी दुनिया की नजर
- 27-May-24 12:00 AM
- 0
- 0
डॉ. दिलीप चौबेभारत में अगले महीने की शुरुआत में सरकार गठन का काम संपन्न होगा जिस पर पूरी दुनिया की नजर है। भारत का भरोसेमंद दोस्त रूस चाहेगा कि नई सरकार की नीतियों में निरंतरता कायम रहे।वहीं दूसरी ओर अमेरिका और पश्चिमी देश इस बात पर नजर रखेंगे कि अगला विदेश मंत्री और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार कौन बने। कहना न होगा कि एस. जयशंकर को लेकर पश्चिमी देश असहज हैं। लेकिन फिर भी उनका मानना है कि जयशंकर के साथ काम किया जा सकता है, लेकिन राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजित डोभाल उन देशों की आंखों में किरकिरी बने हुए हैं। कुछ विश्लेषकों का मानना है कि खालिस्तानी आतंकवादी गुरपतवंत सिंह पन्नू को लेकर अमेरिका ने जो जाल बुना है उसका निशाना डोभाल ही हैं। यदि नरेन्द्र मोदी तीसरी बार प्रधानमंत्री बनते हैं तो उनके सामने यह सवाल होगा कि नया राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार किसको बनाएं।डोभाल की आयु करीब 80 साल है जो एनएसए के बड़े दायित्व को निभाने में बाधा बन सकती है। हालांकि उनके अनुभव और कार्यदक्षता को देखते हुए उनकी भूमिका को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। हो सकता है कि मोदी डोभाल को किसी अन्य दायित्व के साथ सलाहकार बनाए रखें तथा एनएसए के रूप में किसी अपेक्षाकृत कम आयु के व्यक्ति को नियुक्त करें। इस नई व्यवस्था में भी इस बात का ध्यान रखा जाएगा कि विदेश नीति और राष्ट्रीय सुरक्षा के मामले में सरकार की नीतियों की धार बनी रहे। विदेश मंत्री के रूप में जयशंकर की नियुक्ति प्राय: निश्चित है।प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के कार्यकाल में अमेरिका ने विदेश मंत्री नटवर सिंह को पद से हटाने के लिए दबाव डाला था। तत्कालीन सरकार ने कथित घोटाले के नाम पर नटवर सिंह को उनके पद से हटा दिया था। इस पूरे घटनाक्रम का उल्लेख स्वयं नटवर सिंह ने अपनी पुस्तक में किया है। दशकों पूर्व जवाहरलाल नेहरू के कार्यकाल में पश्चिमी देशों ने कृष्ण मेनन को भी ऐसे ही निशाना बनाया था। लेकिन मोदी सरकार किसी दबाव में झुकेगी इसकी संभावना नहीं है।इस बीच जयशंकर ने एक राजनीतिक नेता जैसे तेवर अपना लिये हैं। अपने ताजा साक्षात्कार में उन्होंने इंटरनेशनल खान मार्केट गैंगÓ का उल्लेख किया। यह गैंग भारत में ऐसे ही तत्वों के साथ मिलकर सरकार की नीतियों को प्रभावित करने की कोशिश करता है। जयशंकर के अनुसार इस गैंग में पश्चिमी देशों की मीडिया, बुद्धिजीवी वर्ग, थिंक टैंक और मझोले दज्रे के सरकारी अधिकारी शामिल हैं। यह पहले अवसर है कि जब जयशंकर ने मोदी विरोधी तबके में सरकारी अधिकारियों के शामिल होने की बात कही है।अमेरिका और पश्चिमी देशों के प्रशासन ने जयशंकर के इस कथन पर मिश्रित प्रतिक्रिया होगी। प्रकारांतर से जयशंकर ने इन देशों को आगाह किया है कि भारत की राजनीति में दखलंदाजी करने से बाज आएं। अमेरिका इस चेतावनी के मद्देनजर अपनी नीति में बदलाव करता है अथवा मौजूदा नीति पर ही अमल जारी रखता है, यह आने वाले दिनों में स्पष्ट होगा। इस बीच चेक गणराज्य में गिरफ्तार निखिल गुप्ता की अमेरिका प्रत्यर्पण की कार्रवाई अंतिम चरण में है। गुप्ता के अमेरिका पहुंचने के बाद वहां अदालती कार्रवाई तेज हो जाएगी।अमेरिका पन्नू की कथित हत्या के प्रयास के सिलसिले में प्रथम साजिशकर्ता के प्रत्यर्पण की मांग भी कर सकता है। अमेरिका के अनुसार प्रथम साजिशकर्ता कथित रूप से भारत की विदेश खुफिया एजेंसी रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रॉ) का अधिकारी था। नई सरकार अमेरिकी की इस मांग को निश्चित रूप से ठुकरा देगी। भारत औरैअमेरिका के द्विपक्षीय संबंध बहुत हद तक इस बात पर निर्भर करेंगे कि इस पेचीदा मामले से कैसे निपटा जाए। इस बीच चाबहार बंदरगाह और अफगानिस्तान फिर चर्चा में आ गए हैं।अफगानिस्तान के हुक्मरानों ने भारत चाबहार समझौते का स्वागत किया है। नए घटनाक्रम में रूस ने चेतावनी दी है कि अमेरिका इस्लामिक स्टेट जैसे आतंकवादी संगठनों को अफगानिस्तान और मध्य एशिया के देशों में फिर सक्रिय कर सकते हैं। ये आतंकी गुट रूस और ईरान को निशाना बना सकते हैं और चाबहार बंदरगाह और अंतरराष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण गलियारे को निशाना बना सकते हैं।
Related Articles
Comments
- No Comments...