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सावित्री ठाकुर वर्ष 2014 में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश में एक निर्णायक बदलाव की शुरुआत हुई, तभी से भारत ने डिजिटल प्रगति की एक नई दिशा पकड़ी। इन 11 वर्षों में डिजिटल इंडिया मिशनÓ जैसे जन-केंद्रित अभियानों ने करोड़ों नागरिकों के जीवन को प्रभावित किया है-विशेषकर महिलाओं के लिए यह परिवर्तन आत्मनिर्भरता, सशक्तिकरण और सम्मान की ओर एक ऐतिहासिक कदम साबित हुआ है। आज की 21वीं सदी में तकनीक सिर्फ शासन और अर्थव्यवस्था को ही नहीं, बल्कि सामाजिक संरचना को भी बदल रही है। और इस बदलाव की सबसे सशक्त मिसाल हैं वे महिलाएं, जो डिजिटल युग में नए अवसरों के साथ नई उड़ान भर रही हैं।पहले डिजिटल साक्षरता बड़े शहरों तक ही सीमित थी, लेकिन वहां भी इसकी पहुंच कम थी, और ग्रामीण महिलाओं के लिए तो तकनीक जैसे कहीं थी ही नहीं। लेकिन डिजिटल इंडियाÓ मिशन के तहत शुरू किए गए योजनाबद्ध प्रयासों ने इस तस्वीर को पूरी तरह बदल दिया है। विशेष रूप से 2017 में प्रधानमंत्री ग्रामीण डिजिटल साक्षरता अभियान ने करोड़ों ग्रामीण महिलाओं को डिजिटल रूप से सशक्त किया है। अब वे स्मार्टफोन, इंटरनेट और डिजिटल टूल्स के माध्यम से सरकारी योजनाओं, बैंकिंग सेवाओं, टेलीमेडिसिन और अन्य सुविधाओं का सीधे लाभ उठा रही हैं। इस अभियान के तहत 6 करोड़ से अधिक लोगों को प्रशिक्षित किया गया है, जिनमें 53त्न से ज़्यादा महिलाएं हैं। साथ ही, स्वयं सहायता समूहों को ऑनलाइन लेनदेन, उद्यमिता और वित्तीय साक्षरता बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है, जिससे ग्रामीण महिलाएं शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार के नए अवसरों से जुड़ पा रही हैं।2014 में शुरू हुई प्रधानमंत्री जन धन योजना, जो जेएएम ट्रिनिटी ट्रिनिटी (जनधन, आधार, मोबाइल) के साथ मिलकर विश्व का सबसे बड़ा वित्तीय समावेशन कार्यक्रम बन चुकी है, ने भारत में आर्थिक सशक्तिकरण की नई इबारत लिखी है। पहले जहाँ करोड़ों महिलाओं के पास बैंक खाते तक नहीं थे और सरकारी लाभ बिचौलियों के हाथों में चले जाते थे, वहीं अब जनधन, आधार और मोबाइल की ट्रिनिटी ने वित्तीय समावेशन को एक नई दिशा दी है। इस डिजिटल क्रांति के कारण महिलाएं सीधे डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर के ज़रिए अपने बैंक खातों में योजनाओं का लाभ पा रही हैं। इससे पारदर्शिता के साथ-साथ महिलाओं की आर्थिक भागीदारी और पारिवारिक फैसलों में उनकी भूमिका भी मजबूत हुई है।डिजिटल कौशल और भविष्य की तैयारीतकनीक आधारित प्लेटफॉर्म्स ने शिक्षा और रोजगार के क्षेत्र में महत्वपूर्ण बदलाव लाए हैं। स्किल इंडिया मिशन और ई-स्किल इंडिया जैसे कार्यक्रमों से लाखों लड़कियों और महिलाओं को उनके मोबाइल पर अब प्रशिक्षण मिल रहा है। इससे वे बेहतर कौशल सीखकर आत्मनिर्भर बन रही हैं और नए रोजगार के अवसर प्राप्त कर पा रही हैं। यह बदलाव पहले के सीमित संसाधनों और पहुंच से कहीं अधिक व्यापक और सशक्त है।स्वयं और दीक्षा जैसे पोर्टल्स ने महिलाओं को शिक्षा से जोडऩे का महत्वपूर्ण कार्य किया है, विशेषकर कोरोना महामारी के दौरान जब समस्त दुनिया ठहर सी गई थी। अब महिला एवं बाल विकास मंत्रालय और कौशल विकास मंत्रालय की संयुक्त पहल के अंतर्गत 19 राज्यों के 27 जिलों में किशोरियों को डिजिटल साक्षरता के साथ-साथ रोजगारोन्मुख प्रशिक्षण प्रदान किया जा रहा है, ताकि वे आत्मनिर्भर भविष्य की दिशा में अग्रसर हो सकें।डिजिटल युग में महिला उद्यमिता को नया संबलएक समय था जब महिलाओं के छोटे व्यवसाय घर की चारदीवारी तक ही सीमित रहते थे और बाज़ार तक पहुंच बनाना एक बड़ी चुनौती थी। लेकिन बीते वर्षों में महिला-नेतृत्व वाले स्टार्टअप्स और लघु उद्योगों की संख्या में जबरदस्त वृद्धि हुई है। महिला ई-हाट और गवर्नमेंट ई-मार्केटप्लेस जैसे मंचों के माध्यम से अब महिलाएं न केवल अपने उत्पाद ऑनलाइन बेच रही हैं, बल्कि राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बाज़ारों में भी अपनी पहचान बना रही हैं। सोशल मीडिया, डिजिटल मार्केटिंग और ऑनलाइन पेमेंट सिस्टम ने उन्हें एक उद्यमी के रूप में आगे बढऩे और अपना ब्रांड खड़ा करने का आत्मविश्वास दिया है।स्वास्थ्य, पोषण और सुरक्षा में तकनीक की भूमिकापोषण ट्रैकर, आरसीएच पोर्टल और ईसंजीवनी जैसे डिजिटल टूल्स ने माताओं एवं एवं बच्चों से जुड़ी स्वास्थ्य सेवाओं की निगरानी को बेहद आसान और प्रभावशाली बना दिया है। अब आंगनवाड़ी कार्यकर्ता और आशा बहनें मोबाइल ऐप्स की मदद से लाभार्थियों की निगरानी, रिपोर्टिंग और सेवा वितरण का कार्य आसानी से कर पा रही हैं।महिलाओं की सुरक्षा लंबे समय तक एक ऐसा क्षेत्र रहा, जहाँ तकनीक और त्वरित सहायता तंत्र की गंभीर कमी महसूस होती थी। इस कमी को दूर करने के लिए मोदी सरकार ने ईआरएसएस-112, पैनिक बटन और महिला सुरक्षा ऐप्स जैसे प्रभावशाली उपाय लागू किए, जिनसे अब महिलाएं सार्वजनिक स्थलों पर खुद को पहले से कहीं ज़्यादा सुरक्षित महसूस कर रही हैं।एसटीईएम (विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग, और गणित) में महिलाओं की भागीदारी एसटीईएम जैसे क्षेत्रों में लड़कियों की भागीदारी कभी सीमित मानी जाती थी, लेकिन अब हालात तेज़ी से बदल रहे हैं। विज्ञान ज्योति और बुद्धिमान-किरण योजना जैसी पहलें छात्राओं को एसटीईएम क्षेत्रों में आगे बढऩे के लिए प्रेरित कर रही हैं। भारतीय महिलाएं अब अंतरिक्ष अनुसंधान, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और बायोटेक्नोलॉजी जैसे क्षेत्रों में अग्रणी भूमिका निभा रही हैं।विकसित भारत की ओर बढ़ते कदमपिछले 11 वर्षों में प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में डिजिटल तकनीक महिलाओं के जीवन में अभूतपूर्व क्रांति लाई है। 2014 से अब तक समावेशी नीतियों, योजनाबद्ध प्रशिक्षण और तकनीक की पहुँच के ज़रिए लाखों महिलाओं को आत्मनिर्भरता की राह पर अग्रसर किया गया है। अमृत काल की ओर बढ़ते भारत में यह परिवर्तन महिलाओं को केवल भागीदार ही नहीं, बल्कि विकास यात्रा की अगुवा बना रहा है। एक डिजिटल रूप से सशक्त महिला आज केवल लाभार्थी नहीं, बल्कि विकसित भारत की निर्माता है।चित्र विवरण: एआई द्वारा निर्मित चित्रलेखिका महिला एवं बाल विकास राज्यमंत्री भारत सरकार हैं
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