प्रतिस्पर्धा में अमेरिका का पिछडऩा तय
- 12-Jan-25 12:00 AM
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डॉनल्ड ट्रंप समर्थक-समूह के अंतर्विरोध निर्वाचित राष्ट्रपति के ह्वाइट हाउस में प्रवेश से पहले ही सामने आने लगे हैं। इनके बीच ट्रंप ने साफ संकेत दिया है कि ऐसे टकरावों में उनका झुकाव अपने अरबपति दोस्तों की तरफ ही होगा। एच-1बी वीजा के मुद्दे पर उन्होंने एलन मस्क के रुख समर्थन कर दिया है। आव्रजकों के प्रति नफरत भरा अभियान चला कर ट्रंप ने मागा (मेक अमेरिका ग्रेट अगेन) समर्थन आधार तैयार किया है। पिछले साढ़े चार दशक से चली नीतियों से वंचित हुए अमेरिकी श्रमिक वर्ग ने इस नारे से संदेश ग्रहण किया कि ट्रंप आव्रजकों को निकाल बाहर करेंगे, जिन्होंने उनके अवसरों को हड़पÓ लिया है। जबकि जिन धनी-मानी लोगों के संसाधनों से ट्रंप ने वह आक्रामक अभियान चलाया, उनके स्वार्थ आव्रजकों से जुड़े हुए हैं।एच-1बी वीजा हाई टेक में माहिर व्यक्तियों को मिलता है, जिनके बिना अमेरिका के तकनीक उद्योगपति अपना कारोबार नहीं चला सकते। और बात सिर्फ उनकी नहीं है। जो मेहनतकश श्रमिक गैर-कानूनी ढंग से अमेरिका आते हैं, वो भी आम अमेरिकी कंपनियों के लिए फायदेमंद बने रहे हैं। ये मजदूर कानूनन तय न्यूनतम मजदूरी से कम पर काम करने को तैयार रहते हैं। इस तरह कम खर्च कर कंपनियां अपना काम चला लेती हैं। इस रूप में ट्रंप के धनी-मानी समर्थकों के हित मागा आधार से सीधे टकराते हैं। मागा के नाम पर इक_े हुए आम लोग शायद इसे नहीं समझ पाए कि ट्रंप का जो वास्तविक एजेंडा है, उससे उनके बेहतर दिनों की वापसी तो नहीं होगी।अरबपतियों के मुनाफा बढ़ाने का मार्ग इससे जरूरत प्रशस्त होगा। यह उन्हें जरूर याद होगा कि एक समय एच-1बी वीजा को अमेरिकियों के अवसर चोरी का माध्यम बताते थे। अब वे इसे एक महान योजना बता रहे हैं। वैसे यह हकीकत है कि मूल अमेरिकी नागरिकों के बीच विज्ञान, तकनीक, इंजीनियरिंग और गणित की शिक्षा जैसे सिमटी है, उसे देखते हुए इन क्षेत्रों में विदेशों से विशेषज्ञों का आयात करने के अलावा कोई विकल्प वहां नहीं है। भारतीय उच्च शिक्षित छात्रों के लिए इसीलिए वहां अवसर बने हैं। इसे सीमित किया गया, तो प्रतिस्पर्धा में अमेरिका का पिछडऩा तय है।
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