प्रतिस्पर्धी बने सहायक

  • 19-Mar-25 12:00 AM

भारत के राष्ट्रीय चैंपियन इतनी सहजता से बहुराष्ट्रीय कंपनी के सहायक की भूमिका में आ सकते हैं, तो उनके राष्ट्रीय चरित्र एवं भूमिका पर सवाल खड़े होंगे। इससे भारत उदय की सारी कथा पर नए सिरे से सोचने की परिस्थिति पैदा होगी।भारत के दूरसंचार बाजार में लगभग ड्यूपॉली (द्वि-अधिकार) की स्थिति है। रिलायंस जियो और भारती एयरटेल का बाजार के ज्यादातर हिस्से पर कब्जा है। इन्हें प्रतिस्पर्धी कंपनियां समझा जाता है। सैटेलाइट इंटरनेट सेवा के क्षेत्र में इलॉन मस्क की कंपनी स्पेस-एक्स के उतरने की संभावना के बीच अपेक्षा थी कि दोनों कंपनियां आपसी प्रतिस्पर्धा जारी रखते हुए स्पेस-एक्स की स्टारलिंक सेवा के साथ होड़ करेंगी। मगर अब सूरत यह है कि भारत में उपग्रह इंटरनेट सेवा शुरू होने के पहले ही उसमें स्टारलिंक की मोनोपॉली (एकाधिकार) कायम हो गई है। जिन कंपनियों से प्रतिस्पर्धा की अपेक्षा थी, वे स्पेस-एक्स की सहायक बन गई हैं।दोनों कंपनियों ने स्पेस-एक्स से जो करार किया, उससे साफ है कि ये भारतीय बाजार में स्टारलिंक सेवा प्रदान करने वाली एजेंसी की भूमिका में होंगी। इसीलिए इन कंपनियों के बीच हुए करार को आश्चर्यजनक घटना माना गया है। जियो भारत में सबसे बड़ा टेलीकॉम ऑपरेटर है। अनुमान है कि उसके 48 करोड़ से अधिक यूजर हैं। अब वह अपने रिटेल स्टोरों में स्टारलिंक के उपकरण का स्टॉक करेगी। उसके हजारों आउटलेट्स का उपयोग स्टारलिंक अपने प्रत्यक्ष वितरण केंद्र के रूप में करेगी। इसी भूमिका में एयरटेल भी होगी। यहां याद करना उचित होगा कि सैटेलाइट इंटरनेट के स्पेक्ट्रम आवंटन को लेकर मस्क और भारतीय कंपनियों के बीच टकराव की स्थिति बनी हुई थी।रिलायंस चाहती थी कि सेटेलाइट ब्रॉडबैंड स्पेक्ट्रम की नीलामी हो। मस्क की कंपनी का तर्क था कि स्पेक्ट्रम का आवंटन प्रशासनिक रूप से किया जाए। लेकिन अब सारा विवाद दूर हो गया है। वह भी तब, जबकि भारत सरकार ने स्पेक्ट्रम का आवंटन किया नहीं है। वैसे मीडिया कयास के मुताबिक इन करार के पीछे भारत और अमेरिका की सरकारों ने भी परोक्ष भूमिका निभाई है। इस घटनाक्रम से भारतीय पूंजीवाद के रूप पर नई बहस खड़ी होगी। भारत के राष्ट्रीय चैंपियनÓ इतनी सहजता और स्वेच्छा से बहुराष्ट्रीय कंपनी के सहायक की भूमिका को स्वीकार कर सकते हैं, तो उनके राष्ट्रीय चरित्र एवं भूमिका से जुड़े सवाल खड़े होंगे। इससे भारत उदय की सारी कथा पर नए सिरे से सोचने की परिस्थिति पैदा होगी।




Related Articles

Comments
  • No Comments...

Leave a Comment