बीज से बाजार तक: किसान कल्याण को समर्पित सरकार
- 16-Jun-25 12:00 AM
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किसानों की उपज का उचित दाम; मोदी सरकार की गारंटीशिवराज सिंहभारत एक कृषि प्रधान राष्ट्र है, जहां किसान केवल अन्नदाता नहीं, बल्कि देश की अर्थव्यवस्था और सामाजिक संरचना का एक मजबूत स्तंभ है। जब किसान मिट्टी को जोतता है तो वह सिर्फ फसल नहीं, बल्कि देश के करोड़ों नागरिकों के लिए जीवन और समृद्धि का बीज बोता है। कृषि क्षेत्र करोड़ों लोगों को आजीविका देता है। साथ ही, राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा और ग्रामीण विकास का प्रमुख आधार भी है। ऐसे में राष्ट्र की प्रगति के लिए हमारे किसान भाइयों-बहनों की उन्नति आवश्यक है। आदरणीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कुशल और दूरदर्शी नेतृत्व में केंद्र सरकार ने कृषि और किसान कल्याण को नीति-निर्माण की सर्वोच्च प्राथमिकता में स्थान दिया है। किसानों की मेहनत को उचित सम्मान मिले, उनकी फसल को सही दाम मिले और उनका जीवन खुशहाली से भरा हो, इसके लिए केंद्र सरकार संकल्पित है। आज संपूर्ण देश ऐसी नीतियों और प्रयासों का साक्षी बना है, जो किसानों की समृद्धि व आत्मनिर्भरता के लिए अटूट प्रतिबद्धता दर्शाते हैं। प्रधानमंत्री के नेतृत्व में सरकार का हर कदम-हर योजना-हर निर्णय किसानकल्याण के लिए समर्पित है। बीते दशक में केंद्र सरकार ने किसानकल्याण के लिएऐतिहासिक कदम उठाए हैं, जिनसे न केवल किसानों की आय बढ़ी, बल्कि उनका आत्मविश्वास भी सुदृढ़ हुआ है। चाहे न्यूनतम समर्थन मूल्य में अभूतपूर्व वृद्धि हो, फसलों की खरीद में रिकॉर्ड बढ़ोतरी हो या तकनीकी नवाचारों के माध्यम से खेती को आधुनिक बनाने का प्रयास; केंद्र सरकार ने हर क्षेत्र में किसानों के लिए दिन-रात काम किया है। किसान हितैनीतियों, तकनीकी के उपयोग, नवाचार और बाज़ार तक सुगम पहुंच के माध्यम से भारत एक ऐसी कृषि व्यवस्था की ओर बढ़ रहा है, जो टिकाऊ, समावेशी और भविष्य उन्मुख हो।पहले के समय में हमारे किसान फसल लागत से नाममात्र का लाभ कमा पाते थे, पर आदरणीय प्रधानमंत्री ने स्पष्ट नीति बनाई कि हर फसल पर उसकी लागत से ऊपर, कम से कम 50त्न मुनाफा सुनिश्चित होगा। आज खरीफ व रबी की प्रमुख फसलों के एमएसपी में 1.8 से 3.3 गुना तक की वृद्धि की गई है। कभी धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य 2013-14 में 1310 प्रति क्विंटल था, जो 2025-26 में बढ़कर ?2369 हो गया है। इसी तरह ज्वार का एमएसपी 1500 से बढ़कर 3699, बाजरा 1250 से 2775, रागी 1500 से 4886, मक्का 1310 से 2400, तूर (अरहर) 4300 से 8000, मूंग 4500 से 8768, उड़द 4300 से 7800, मूंगफली 4000 से 7263, सूरजमुखी बीज 3700 से 7721, सोयाबीन (पीला) 2560 से 5328, तिल 4500 से 9846, रामतिल 3500 से 9537, कपास 3700 से 7710 रुपये प्रति क्विंटल हो गया है। रबी फसलों में गेहूं का एमएसपी 1400 से 2425, जौ 1100 से 1980, चना 3100 से 5650, मसूर 2950 से 6700, रेपसीड/सरसों 3050 से 5950, कुसुम्भ 3000 से 5940, पटसन 2400 से 5650 और कोपरा 5250 से 11582 रुपये प्रति क्विंटल तक बढ़ाया गया है। इन सभी फसलों के एमएसपी में ऐतिहासिक वृद्धि हुई है, जिससे किसानों को उनकी मेहनत का पूरा दाम मिलना सुनिश्चित हुआ है।2004-14 के मुकाबले 2014-2025 के दौरान एमएसपी पर खरीदी गई फसलों की मात्रा और भुगतान में भी रिकॉर्ड वृद्धि हुई है। धान की खरीद 45 करोड़ 90 लाख मीट्रिक टन से बढ़कर 76 करोड़ 8 लाख मीट्रिक टन (1.7 गुना), गेहूं 22 करोड़ 54 लाख से 33 करोड़ 37 लाख (1.4 गुना), दलहन 6 लाख 29 हजार से 1 करोड़ 80 लाख (28.6 गुना), तिलहन 47 लाख 75 हजार से 1 करोड़ 27 लाख (2.7 गुना), वाणिज्यिक फसलें 35 लाख 27 हजार से 80 लाख 83 हजार (2.3 गुना) और सभी एमएसपी फसलें मिलाकर 69 करोड़ 87 लाख से 113 करोड़ 92 लाख मीट्रिक टन (1.6 गुना) हो गई हैं। किसानों को भुगतान की गई एमएसपी राशि भी सभी फसलों के लिए 7 लाख 41 हजार करोड़ से बढ़कर 23 लाख 61 हजार करोड़ रुपये (3.2 गुना) हो गई है। धान के लिए 4 लाख 44 हजार करोड़ से 14 लाख 16 हजार करोड़ (3.2 गुना), गेहूं के लिए 2 लाख 56 हजार करोड़ से 5 लाख 65 हजार करोड़ (2.2 गुना), दलहन के लिए 19 सौ करोड़ से 98 हजार करोड़ (51 गुना), तिलहन के लिए 9 हजार करोड़ से 65 हजार करोड़ (7.1 गुना), वाणिज्यिक फसलों के लिए 26 हजार करोड़ से 1 लाख 33 हजार करोड़ (5 गुना) रुपये का भुगतान हुआ है।ये आंकड़े किसानों के प्रति मोदी सरकार की प्रतिबद्धता, किसानों की मेहनत का सम्मान और उनकी आर्थिक मजबूती का प्रमाण हैं। प्रधानमंत्री के नेतृत्व में सरकार ने यह सुनिश्चित किया है कि दलहन, तिलहन और वाणिज्यिक फसलों जैसे तिल, मूंगफली और सूरजमुखी में भी रिकॉर्ड एमएसपी वृद्धि हो, ताकि किसानों को फसल विविधता का लाभ मिले और उनकी आय में स्थिरता आए। केंद्र सरकार ने केवल एमएसपी बढ़ाने तक ही खुद को सीमित नहीं रखा, बल्कि यह भी सुनिश्चित किया है कि यह लाभ सीधे किसानों के खाते में पहुंचे। प्रत्यक्ष लाभ अंतरण के माध्यम से हमने पारदर्शिता और गति के साथ किसानों को उनकी मेहनत का पूरा दाम दिलाया है। यह एक ऐसी कृषि क्रांति है, जो हमारे किसान भाइयों-बहनों का जीवन व खेती की दशा-दिशा बदल रही है। अब किसान निश्चिंत होकर खेती करता है, क्योंकि उसे पता है कि उसकी फसल का उचित मूल्य व समय पर भुगतान सुनिश्चित मिलना है।आज केंद्र सरकार बीज से बाजार तक, हर कदम पर किसानों के साथ खड़ी है। मृदा स्वास्थ्य कार्ड से किसानों को अपनी मिट्टी की सेहत जानने और सही फसल चुनने में मदद मिल रही है। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना प्राकृतिक आपदाओं से आर्थिक सुरक्षा दे रही है। ई-नाम के जरिए डिजिटल बाजार से जुड़कर किसानों को बेहतर दाम मिल रहा है। ड्रोन और स्मार्ट सिंचाई तकनीक खेती को आसान और आधुनिक बना रहे हैं। इसके साथ ही, प्राकृतिक खेती, फसल विविधीकरण, और कृषि यंत्रों पर अनुदान के माध्यम से हमने किसानों को आत्मनिर्भर बनाने का हरसंभव प्रयास किया है।सरकार ने किसानों को ब्याज सहायता के तहत किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) के माध्यम से 3 लाख रुपये तक का अल्पकालिक ऋण 7त्न ब्याज पर उपलब्ध कराया है, समय से चुकाने पर 3त्न अतिरिक्त छूट मिलती है, जिससे प्रभावी ब्याज दर 4त्न रह जाती है। देश में 7.75 करोड़ से अधिक केसीसी खाते हैं, जिससे किसानों को सस्ता व सुलभ ऋण मिल रहा है। मृदा स्वास्थ्य कार्ड, ई-नाम, ड्रोन, स्मार्ट सिंचाई, प्राकृतिक खेती, कृषि यंत्रों पर अनुदान आदि के माध्यम से खेती को आधुनिक-टिकाऊ बनाया जा रहा है।चना, मसूर, उड़द और अरहर जैसी फसलों की खरीद और भुगतान की व्यवस्था को और मजबूत किया गया है, ताकि किसानों को समय पर उसका पूरा हक मिले। प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान के तहतमूल्य समर्थन योजना, मूल्य न्यूनता भुगतान योजना, बाजार हस्तक्षेप योजना और मूल्य स्थिरीकरण निधि को लागू किया गया हैं। पीएसएस के तहत दलहन, तिलहन व कोपरा की एमएसपी पर खरीद सीधे किसानों से की जाती है। 2024-25 में सोयाबीन की 19.97 लाख मीट्रिक टन व मूंगफली की 17.73 लाख मीट्रिक टन खरीद की गई, जो अब तक की सबसे अधिक है। तूर, उड़द और मसूर की 100त्न खरीद सुनिश्चित की गई है, जिससे इन फसलों की खेती को बढ़ावा मिला है। पीडीपीएस के तहत तिलहन किसानों को एमएसपी व बाजार मूल्य के अंतर की भरपाई सीधे उनके खाते में की जाती है। राज्यों को खरीद के लिए पर्याप्त मात्रा स्वीकृत की गई है और आवश्यकता अनुसार समय-सीमा भी बढ़ाई जाती है। एमआईएस के तहत अदरक की खरीद कर्नाटक में, लाल मिर्च की खरीद आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में, टमाटर की खरीद मध्यप्रदेश, ओडिशा, छत्तीसगढ़ और आंध्र प्रदेश में एनसीसीएफ व नैफेड के माध्यम से की गई है। गुजरात को चना खरीद के लिए 3.27 लाख मीट्रिक टन की स्वीकृति दी गई।महाराष्ट्र में तूर और असम में सरसों की खरीद की अवधि बढ़ाई गई है। कर्नाटक में अदरक की खरीद के लिए एमआईएस लागू किया गया है। सरकार ने मिशन आत्मनिर्भरता इन पल्सेज़ के तहत पीएसएस के लिए सरकारी गारंटी 45,000 करोड़ से बढ़ाकर 60,000 करोड़ रुपये करने का प्रस्ताव भी रखा है, ताकि खरीद व भंडारण की प्रक्रिया को और मजबूत किया जा सके। साथ ही, खरीदी गई फसलों के शीघ्र निपटान के लिए भी दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं।प्रधानमंत्री के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने टीओपी (टमाटर, प्याज, आलू) फसलों के भंडारण और परिवहन लागत की प्रतिपूर्ति के लिए भी नई व्यवस्था लागू की है।आज का युग विज्ञान और तकनीक का है। खेती को उन्नत और विकसित बनाने के लिए हमारे वैज्ञानिक कई तरह के प्रयोग कर रहे हैं। लैब में होने वाली रिसर्च लैंड तक पहुंचे और किसान सीधे विज्ञान से जुड़े, इसके लिए देशभर में विकसित कृषि संकल्प अभियान शुरू किया गया है। इसके तहत 29 मई से 12 जून तक देश के 700 से अधिक जिलों में 16 हजार वैज्ञानिक गांव-गांव जाकर किसान भाइयों-बहनों को उन्नत खेती की तकनीक, बेहतर बीज, जैविक खाद और जलवायु अनुकूल खेती के तरीकों की जानकारी दे रहे हैं, जिससे न सिर्फ उत्पादन बढ़ेगा, बल्कि उन्नत कृषि के माध्यम से भारतीय अर्थव्यवस्था को भी और गति मिलेगी।इन सभी पहलों और उपलब्धियों के साथ, मोदी सरकार ने किसानों के हित में ऐतिहासिक व निर्णायक कदम उठाए हैं। तकनीकी नवाचारों के साथ ये पहलें किसानों को आत्मनिर्भर, समृद्ध व खुशहाल बनाने की दिशा में मील का पत्थर हैं। यह प्रतिबद्धता भविष्य में भी अटूट रहेगी, ताकि हमारे किसान सशक्त बने व देश कृषि महाशक्ति की ओर अग्रसर हो।लेखक केन्द्रीय कृषि मंत्री है
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