भारत की विमान निर्माण के क्षेत्र में कदम सबसे बड़ी चुनौती
- 13-Nov-24 12:00 AM
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भारत ने जब विमान निर्माण के क्षेत्र में ऊंची महत्त्वाकांक्षा रखते हुए अब कदम रखा है, तो क्वालिटी और किफायत के पहलू उसके आगे सबसे बड़ी चुनौती हैं। बेशक, टाटा एयरक्राफ्ट कॉम्पलेक्स में मौजूद प्रबंधक इस चुनौती से वाकिफ होंगे।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और स्पेन के प्रधानमंत्री पेद्रो सांचेज ने गुजरात के वडोदरा में अति-महत्त्वाकांक्षी विमान परियोजना का उद्घाटन किया है। इसके तहत प्रतिस्पर्धी कीमत पर विमान या उसके पाट-पुर्जे बना कर अंतरराष्ट्रीय बाजार में उतारना संभव हुआ, तो वह सचमुच एक बड़ी उपलब्धि होगी। टाटा एयरक्राफ्ट कॉम्प्लेक्सÓ नाम से निर्मित इस परियोजना के तहत यूरोप की मशहूर विमान निर्माता कंपनी एयरबस और भारत के टाटा ग्रुप ने साझा उद्यम लगाया है। जाहिर है, इसमें तकनीक और विशेषज्ञता एयरबस लगाएगी, जबकि टाटा समूह स्थानीय ढांचे तथा कुशल कर्मियों का योगदान करेगा। बताया गया है कि यहां सी-295 सैन्य यातायात विमानों का उत्पादन होगा। 2021 में एयरबस डिफेंस और स्पैनिश कंपनी स्पेस एसएÓ के साथ 56 सी-295 विमानों की सप्लाई के लिए 21,935 करोड़ रुपयों के समझौते पर भारत की ओर से हस्ताक्षर किए गए थे।सूचनाओं के मुताबिक यहां आरंभिक 16 विमान तो स्पेन से मंगवाए जाएंगे, लेकिन उसके बाद 40 विमानों का यहीं पर उत्पादन होगा। विमानों की असेंबली, परीक्षण, डिलीवरी और मेंटेनेंस भी यहीं पर होगी। सांचेज ने एलान किया कि इस परिसर में पहला विमान 2026 में बन कर तैयार होगा। एयरबस यूरोपीय बहुराष्ट्रीय कंपनी है, जिसका मुख्यालय फ्रांस में है। लेकिन इसमें अनेक यूरोपीय देशों के कारोबारियों का निवेश है। स्पेन उसका एक बड़ा उत्पादन स्थल है, हालांकि उसके पाट-पुर्जे यूरोप के कई देशों में तैयार होते हैँ। अमेरिका की बोइंग और यूरोप की एयरबस- अब तक दुनिया में ये ही दो बड़ी विमान उत्पादक कंपनियां रही हैं। बोइंग के संकटग्रस्त होने के बाद एयरबस ने अपने कारोबार में बड़े उछाल की आस जोड़ी है।हालांकि इस बीच चीन भी विमान निर्माण के बाजार में उतर चुका है। अपने घरेलू बाजार के अलावा इस सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी को कई देशों से ऑर्डर मिल चुके हैँ। जैसा कि आम चलन है, चीनी उत्पाद किफायती पड़ते हैं और इसलिए बाजार में छा जाते हैं। भारत ने जब विमान निर्माण के क्षेत्र में ऊंची महत्त्वाकांक्षा रखते हुए अब कदम रखा है, तो यह पहलू उसके आगे सबसे बड़ी चुनौती है। बेशक, टाटा एयरक्राफ्ट कॉम्पलेक्स में मौजूद प्रबंधक भी इस चुनौती से वाकिफ होंगे।
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