भारत की सार्वभौमता को सीधी चुनौती
- 16-Sep-25 12:00 AM
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हरिशंकर व्यासयों डोनाल्ड ट्रंप के मुंह अब कोई नहीं लग रहा है इसलिए भारत का रिएक्ट न होना ठीक ही है! लेकिन बावजूद इसके वे और उनके करीबियों ने जिस तरह भारत को कटघरे में खड़ा किया है वह भारत की सार्वभौमता को सीधी चुनौती है। विश्व राजनीति में कभी किसी देश को जुबानी इस तरह जलील नहीं किया गया, जैसे ट्रंप प्रशासन भारत को आए दिन जलील कर रहा है। सोचें, ट्रंप के व्यापार सलाहकार नवारो ने रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध को मोदी वॉरÓ बताया। बुधवार को ब्लूमबर्ग टीवीÓ को दिए इंटरव्यू में उन्होंने भारत पर जंग को बढ़ावा देने और दोहरा खेल खेलने का सीधा आरोप लगाया। फिर उन्होंने भारत को चेतावनी देने के अंदाज में कहा, भारत तुम तानाशाहों (चीन, रूस) के साथ मिल रहे हो। चीन ने अक्साई चिन और तुम्हारे कई इलाके पर कब्जा किया है। और रूस? जाने भी दो। ये आपके दोस्त नहीं हैंÓ।इससे पहले अमेरिका वाणिज्य मंत्री स्कॉट बेसेंट ने कहा था कि- यूक्रेन युद्ध के पहले भारत की कुल तेल खरीदारी का एक फीसदी से भी कम हिस्सा रूस से आता था। अब यह 42 प्रतिशत है। इस तरीके से भारत के कुछ सबसे धनी घरानों ने (अंबानी?) सस्ते रूसी तेल को खरीदने के बाद उसे बेच कर 16 बिलियन डॉलर की रकम कमाई है। यह अवसरवादी तरीका अस्वीकार्य है।Ó तो ट्रंप के शीर्ष आर्थिक सलाहकार और नेशनल इकोनॉमिक काउंसिल के डायरेक्टर केविन हैसेट के मुताबिक़, "अगर भारतीय नहीं झुकते, तो मुझे नहीं लगता कि राष्ट्रपति ट्रंप भी झुकेंगे।"उधर बुधवार को ही व्हाइट हाउस में डोनाल्ड ट्रंप ने अपनी कैबिनेट बैठक में भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष को रोकने का श्रेय लेते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अपनी बातचीत का ब्योरा साझा किया। उनके शब्दों में, "मैंने कहा, क्या हो रहा है? मैं कोई ट्रेड डील नहीं करूंगा। आप लोग (भारत और पाकिस्तान) परमाणु युद्ध करने जा रहे हैं। आप लोग परमाणु युद्ध में ही फंसेंगे"।Ó ट्रंप ने आगे कहा, "फिर मैंने देखा कि सात जेट मार गिराए गए। मैंने कहा, यह अच्छी बात नहीं हैÓ। ये तो बहुत सारे जेट हैं। आप जानते हैं कि 15 करोड़ डॉलर के विमान मार गिराए गए। बहुत सारे। सात, शायद उससे भी ज़्यादा। उन्होंने असली संख्या भी नहीं बताईज्. मैंने कहा, कल मुझे फिर से फ़ोन कीजिए, लेकिन याद रखिए, हम आप लोगों के साथ कोई ट्रेड डील नहीं करेंगे और इस बातचीत के पांच घंटे के भीतर दोनों पक्ष पीछे हट गए"। साथ ही ट्रंप ने यह भी दोहराया कि उनके दखल ने पाकिस्तान को पीछे हटने पर मजबूर किया।जबकि याद करें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 29 जुलाई 2025 को संसद में दो टूक कहा था कि उनकी ट्रंप से कोई बात नहीं हुई। मोदी का इतना भर कहना था, "नौ मई की रात को अमेरिकी उप राष्ट्रपति एक घंटे से बात करने की कोशिश कर रहे थे। बाद में मैंने उन्हें फोन किया कि आपका तीन चार बार फ़ोन आया था। उन्होंने मुझसे कहा कि पाकिस्तान बड़ा हमला करने वाला है। मेरा जवाब था, अगर पाकिस्तान का ये इरादा है तो उसे बहुत महंगा पड़ेगा और हम उससे भी बड़ा हमला करके जवाब देंगे"।सवाल है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसद में बोले इसी वाक्य के हवाले से भारत सरकार ट्रंप को यह मुंहतोड़ जवाब नहीं दे सकती कि क्यों झूठ बोलते हो? हमारे प्रधानमंत्री की तो आपसे बात तक नहीं हुई थी। ट्रंप और अमेरिका झूठ बोल रहे हैं।पर डोनाल्ड ट्रंप सार्वजनिक तौर बार बार बोल कर भारत को झूठा करार दे रहे हैं। क्या भारत को दो टूक खंडन नहीं करना चाहिए? बुधवार को ट्रंप ने मोदी का नाम ले कर भी बोला। कहा, "मैं एक बहुत ही शानदार शख़्स (नरेंद्र मोदी) से बात कर रहा था, भारत के मोदी से। मैंने पूछा, आपके और पाकिस्तान के बीच क्या चल रहा है? ज्फिर मैंने पाकिस्तान से व्यापार के बारे में बात की। मैंने कहा, आपके और भारत के बीच क्या चल रहा है?Óज्सो, अब यह इसलिए भी जरूरी है क्योंकि प्रधानमंत्री मोदी का संसद में कहा और ट्रंप के कहे में वह फर्क है, जिससे प्रधानमंत्री मोदी के संसद में झूठ बोलने की धारणा बनती है। यदि विपक्ष चाहे तो मोदी के झूठ बोलने के हवाले संसद में विशेषाधिकार प्रस्ताव का नोटिस दे सकता है।पर राजनीति से अधिक भारत की वैश्विक प्रतिष्ठा का मसला है। इससे हर उस देश, यूरोपीय, पश्चिमी सभ्यता के लिबरल, लोकतांत्रिक बिरादरी में भारत की बदनामी है। ट्रंप प्रशासन द्वारा यूक्रेन-रूस लड़ाई को मोदी वॉरÓ बनाना और धंधेबाजी में भारत के किसी भी सीमा तक जाने तक नैरेटिव बेहद अपमानजनक है।वैसे समझ नहीं आ रहा है कि ट्रंप प्रशासन भारत से इतना खुन्नस में क्यों है? बुधवार को ट्रंप और नवारो के बयान के बाद अमेरिकी ट्रैरिफ घटने की उम्मीद के जल्द पूरी होने के आसार कम हो गए है। अमेरिका के बाजार में भारत का सामान महंगा रहेगा। वहां नहीं बिकेगा। यह भी नोट रखें ट्रंप प्रशासन खुले दिल पाकिस्तान की पीठ थपथपाते रहेगा। प्रधानमंत्री मोदी जापान के प्रधानमंत्री या चीन-रूस के राष्ट्रपति शी जिनफिंग व पुतिन से चाहे जितने फोटोशूट करा लें लेकिन यदि यूक्रेन-रूस लड़ाई चलती रही तो वैश्विक बिरादरी में भारत का अलगाव अकल्पनीय बनेगा।
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