मुंबई हमलों 26/11 पर पूर्व गृह मंत्री पी चिदंबरम के बयान का अर्थ
- 05-Oct-25 12:00 AM
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2008 में 26 नवम्बर को मुंबई के ताज होटल और बंबई रेलवे स्टेशन, सहित 7 स्थानों पर हुए पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवादी हमलें पर बोलते हुए तत्कालीन गृह मंत्री पी चिदंबरम ने कहा कि अमेरिका के कहने पर पाकिस्तान पर जवाबी कार्रवाई नहीं की ।यह फैसला तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और सोनिया गांधी ने अमेरिका की तत्कालीन विदेश मंत्री कंडोला राइस के दिल्ली में मुलाकात के बाद लिया जबकि वे पी चिदंबरम चाहते थे कि भारत को पाकिस्तान को सैन्य ताकत से जवाब देना चाहिए। उल्लेखनीय है कि इन हमलों में 200 से अधिक लोगों को पाकिस्तान से आए आतंकियों ने मौत के घाट उतार दिया था जिसमें से एक आतंकी मोहम्मद कसाब को मुंबई पुलिस ने जिंदा पकड़ लिया था जिसे 2012 में फांसी दी गई थी। तत्कालीन गृह मंत्री शिवराज को हटाकर तत्कालीन वित्तमंत्री पी चिदंबरम को 26 नवंबर को गृह मंत्री बनाया था ।सत्रह साल बाद पी चिदंबरम ने उस समय उक्त बात स्वीकार की है जब अप्रैल 2025 में पहलगाम हमले के बाद भारत द्वारा की गई पाकिस्तान के खिलाफ सैन्य कार्यवाही की और कांग्रेस नेता राहुल गांधी, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सेना पर सवाल उठा रहे हैं।यह भी पूछ रहे हैं कि युद्ध में भारत कितने लड़ाकू विमान नष्ट हुए ।पी चिदंबरम ने अमेरिका के दबाव में तत्कालीन समय में मुंबई हमलों के बाद 2008 में कार्यवाही न करने की बात कह कर जैसे कांग्रेस की पोल खोली दी हो। तत्कालीन हालातों पर गौर करें तो उस दिन मुंबई पुलिस के एक बड़े आइपीएस अधिकारी हेमंत करकरे, और कई छोटे बड़े पुलिस बल के लोग भी मारे गए थे और पकड़े गए कसाब ने ही उस समय मारे थे जब कसाब को जिंदा पकड़ ने की कोशिश हो रही थी। आतंकी मोहम्मद कसाब ने बताया था कि वह करांची के रास्ते समुद के माध्यम से 14 आतंकियों के साथ आया था और उसकी ट्रेनिंग मुजफ्फराबाद में हुई थी और पाकिस्तान के सेना ने दी।तत्कालीन समय में इतने पुख्ता सबूत मौजूद थे लेकिन फिर भी भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री स्व मनमोहन सिंह ने पाकिस्तान पर कोई सार्थक कारवाही नही की ।यह राज तब तक राज था जब तक कि पी चिदंबरम ने इसे सार्वजनिक रूप से स्वीकार नहीं किया।कांग्रेस के तत्कालीन प्रधानमंत्री स्व जवाहर लाल नेहरू ने 1962 में चीन युद्ध के दौरान भी बहुत ढुलमुल रवैया अपनाया था और सारा ठीकरा कृष्ण मेनन के सिर फोड़ दिया। यद्यपि 1971 में तत्कालीन प्रधानमंत्री स्व श्रीमती इंदिरा गांधी ने पाकिस्तान को सबक सिखाया था। अगर गंभीरता से पी चिदंबरम के कथन की विवेचना करे तो यह समय कांग्रेस की भीतरखाने ठीक नहीं है। वरिष्ठ नेताओं की अनदेखी की कहानी है।जो गुलाम नबी आजाद, आनंद शर्मा, मनीष तिवारी, शशि थरूर से पी चिदंबरम तक पहुंची है।राहुल गांधी आजकल राजनीतिक व्यवस्था से जैसे ऊब गए हो द्दद्गठ्ठ5 की बाते कर रहे हैं,चुनाव आयोग को निशाना बनाना चाहते हैं कैसे भी भारतीय जनता पार्टी और नरेंद्र मोदी को हटाना चाहते हैं चाहे वह रास्ता बांग्लादेश से नेपाल हो कर जाय।राहुल गांधी कांग्रेस के तीन चुनाव 2014,2019,2024, हारने से हतोत्साहित मुद्रा में हैं और राज्यों में भी कर्नाटक, हिमाचल प्रदेश, झारखंड तमिलनाडु में सरकार में है । झारखंड, तमिलनाडु,में जेएमएम,डीएमकेके भरोसे है ।243 की राज्य सभा में अब मात्र 31 सांसद हैं।ऐसे माहौल में राहुल गांधी का जो हाल है वह अप्रत्याशित नहीं है। राज्यों मप्र, राजस्थान, गुजरात, हरियाणा, महाराष्ट्र, दिल्ली, उत्तराखंड, कश्मीर, लद्दाख, बिहार पश्चिमी बंगाल असम, नागालैंड, त्रिपुरा, मणिपुर, मेघालय, उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, ओडिशा, छत्तीसगढ़,के कांग्रेस का नेतृत्व टूट रहा है और पी चिदंबरम भी उसी पीड़ा के परिणाम है।अजय दीक्षित
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