यह बड़ी चूक है

  • 06-Jul-24 12:00 AM

उत्तर प्रदेश में हाथरस के सिकन्द्राराऊ के पुलराई गांव में आयोजित सत्संग में मची भगदड़ से 125 लोगों की मौत हो गई।अनेक लोग घायलावस्था में अस्पतालों में उपचाराधीन हैं। पुलिस के अनुसार मरने वालों की संख्या 116 बताई जा रही है। कथावाचक नारायण साकार हरिनाम जिसे विश्व हरि भी कहा जाता है, का यह सत्संग था जो एटा से अलग हुए कासगंज के पटियाली के बहादुरपुर गांव का मूल निवासी बताया जाता है। इसका असली नाम सूरजपाल जाटव है। उप्र पुलिस में कान्सटेबल जाटव छेडख़ानी के मामले में निलंबित कर दिया गया था, बाद में बर्खास्त हो गया।अदालत द्वारा नौकरी बहाल किए जाने के बाद जाटव ने दावा किया कि परमात्मा से उनका सीधा संवाद होता है। इसके बाद तो उनके साथ-साथ धर्मभीरु जनता जुड़ती चली गई और बड़े-बड़े आयोजन होने लगे, जिनमें हजारों की संख्या में गरीब और वंचित शामिल होते हैं। कुचल कर मरने वालों में महिलाओं और बच्चों की संख्या ज्यादा है। तीन साल पहले इसी बाबा के इटावा के नुमाइश मैदान में हुए सत्संग के दौरान भी अफरातफरी हुई थी।बेशकीमती चश्मा और सफेद कपड़े पहनने वाले बाबा के वर्दीधारी स्वयंसेवकों की लंबी-चौड़ी फौज बताई जा रही है। कार्यक्रम के लिए प्रशासन से केवल कुछ लोगों के शामिल होने की अनुमति थी। आयोजन स्थल के भीतर की व्यवस्था का जिम्मा स्वयंसेवकों का होता है।यह भीषण त्रासदी पुलिस-प्रशासन के गैर-जिम्मेदाराना रवैये का सबब कही जाएगी क्योंकि गांव की तरफ आ रही भारी भीड़ की अनदेखी की गई। चश्मदीदों के अनुसार भक्तों में बाबा के चरण छूने की मची होड़ का नतीजा थी यह भगदड़। बाबा फरार बताया जा रहा है और उसकी लोकेशन ट्रेस करने के प्रयास जारी हैं।सत्संग के व्यवस्थापकों का कोई अता-पता नहीं है। इस तरह के आयोजनों, मेलों और विशाल कार्यक्रमों के प्रति मुस्तैदी क्यों नहीं बरती जाती। साल में कई दफा भीड़ के भगदड़ में कुचल कर मारे जाने के बावजूद सरकार की चुप्पी हैरान करने वाली प्रतीत होती है।मात्र संवेदनाएं व्यक्त करने से मृतकों के परिवार संतुष्ट नहीं हो सकते। यह बड़ी चूक है। श्रद्धालुओं की भावनाओं का सम्मान करते हुए भी ऐसी चाक-चौबंद व्यवस्था की जानी जरूरी है, जिससे इस तरह के हादसों से वे सुरक्षित रहें। भले ही इस पर पडऩे वाले आर्थिक भार की वसूली व्यवस्थापकों से की जाए परंतु जनता के प्रति जिम्मेदाराना रवैया निभाने से मुकरना कतई उचित नहीं है।




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