लोकतंत्र के लिए अच्छा संकेत नहीं
- 29-May-24 12:00 AM
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भीषण गर्मी और पश्चिम बंगाल में कुछ केंद्रों पर परस्पर विरोधी राय रखने वालों के बीच झड़प के बीच शनिवार को लोक सभा चुनाव के छठे चरण, जिसके तहत 8 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों की 58 सीटों पर मतदान हुआ, में औसतन 61.22 फीसद मत पड़े।दिल्ली की सातों संसदीय सीटों के लिए मतदान 58.52 फीसद पर सिमट गया। पिछली बार यह 60.52 फीसद था। चुनाव आयोग के अनुसार सुबह सात से शाम छह बजे तक चले मतदान में पश्चिम बंगाल में सबसे अधिक 78.19 फीसद वोट डाले गए जबकि उत्तर प्रदेश में 54.03 फीसद मतदाताओं ने मताधिकार का इस्तेमाल किया। छठे चरण के मतदान के साथ ही लोक सभा की 486 सीटों के लिए चुनाव पूरा हो चुका है।अब आखिरी और सातवे चरण में एक जून को 57 सीटों पर मतदान होगा और इसी के साथ लोक सभा की सभी सीटों के लिए मतदान पूरा हो जाएगा। परिणाम 4 जून को आएंगे। बहरहाल, लोक सभा चुनाव 2024 अपनी शुरुआत से ही कम मतदान प्रतिशत से चिंता में डाले हुए है। लोगों का अपने मताधिकार का इस्तेमाल करने में इस प्रकार इस प्रकार से कम दिलचस्पी लेना यकीनन मजबूत लोकतंत्र के लिए अच्छा संकेत नहीं है।जीवंत लोकतंत्र के लिए जरूरी है कि मतदाता पूरी सक्रियता और तन्मयता से चुनाव प्रक्रिया का हिस्सा बने, लेकिन पहले चरण से ही देखने में आया कि मतदान के रोज अनेक मतदाता अपने परिवार के साथ घूमने-फिरने निकल पड़े। कुछ कहते सुने गए कि उनके परिवार के मत न भी पड़े तो क्या फर्क पड़ेगा। जीतने वाली पार्टी को जीत ही जाएगी। बताया जा रहा है कि भीषण गर्मी होने के कारण भी मतदाता वोट करने घर से नहीं निकल रहे।चुनाव आयोग ने पहले चरण के कम वोट प्रतिशत रहने पर अपनी कोशिशें और तेज कर दीं ताकि ज्यादा से ज्यादा मतदाता वोट करने से घरों से निकलें, लेकिन मतदाता की उदासीनता टूटने में नहीं आ रही। दिल्ली जैसे राजधानी शहर, जहां के निवासी बनिस्बत पढ़े-लिखे और जागरूक माने जाते हैं, में भी मत प्रतिशत पिछली दफा से भी कम रह जाना वाकई चिंता की बात है। दरअसल, एक तो चुनाव में कोई लहर नहीं बन सकी है, और चुनाव पूरी तरह स्थानीय मुद्दों पर आ सिमटा है, मगर कम मतदान को किसी भी तर्क से वाजिब नहीं ठहराया जा सकता है। कम मतदान चिंता की बात है।
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