वंचितों के पक्ष में ऐतिहासिक फैसला

  • 06-Aug-24 12:00 AM

अजय दीक्षितप्रधान न्यायाधीश डी. वाई ई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली सात सदस्यीय संविधान पीठ ने 6:1 के बहुमत से ऐतिहासिक फैसला दिया है कि राज्यों को अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) में उप- वर्गीकरण करने का अधिकार है। इसका अर्थ है कि इन समूहों के भीतर और अधिक वंचित जातियों को आरक्षण का लाभ दिया जाये । अगर इस फैसले को ईमानदारी और पारदर्शी तरीके से लागू किया गया तो हाशिये पर खड़े लोगों को लाभ पहुंचाने की दृष्टि से ज्यादा परिणामदायी हो सकता है। शीर्ष अदालत ने इसी के साथ एससी और एसटी समूहों के भीतर भी आरक्षण के मद्देनजर मलाईदार (क्रीमीलेयर) की पहचान करके उसे आरक्षण से बाहर करने की व्यवस्था दी है। अभी तक मलाईदार तवके का सिद्धांत केवल अन्य पिछड़ा वर्ग (ओवीसी) आरक्षण में ही लागू है । सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने वाले दिनों में भारतीय राजनीति में नया अध्याय जोड़ेगा। सभी राजनीतिक दल अपने-अपने हितों के लिए आरक्षण का इस्तेमाल करते रहते हैं। देश में आरक्षण लागू होने के बाद प्राय: यही देखा जाता है कि इन जाति समूहों में जो अधिक ताकतवर हैं, वे आरक्षण का लाभ उठाने में सफल हो जाते हैं और जो कमजोर हैं उन्हें कुछ नहीं मिलता। ये कुछ पाने की आस में इंतजार करते रह जाते हैं। सभी इस तथ्य से परिचित हैं कि ओबीसी में जो वंचित हैं वे भी शिक्षा और रोजगार पाने में सफल हो जाते हैं लेकिन एससी और एसटी समूह को यहां तक पहुंचने के ज्यादा अवसर प्राप्त नहीं होते। वस्तुत: देश के सार्वजनिक क्षेत्र में रोजगार सिकुड़ रहे हैं और निजी क्षेत्र में रोजगार अनिश्चितताओं से भरा है। जाहिर है ऐसे में स्थिर रोजगार की प्राप्ति के लिए आरक्षण की मांग भी वढ़ती जा रही है। कुछ समृद्ध और ताकतवर जातियां भी आरक्षण के लिए आन्दोलनरत हैं। आजकल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी जातिगत जनगणना को बड़ा मुद्दा बनाने की जिद ठाने हुये हैं। मान लिया जाये कि जातिगत जनगणना हो भी जाये तो क्या उससे सभी को रोजगार मिल जायेगा। सच तो यही है कि आरक्षण रोजगार का विकल्प नहीं हो सकता। इतना जरूर है कि एससी और एसटी में लगातार नये-नये समूह जुड़ते जा रहे हैं। इसलिए इस श्रेणी के आरक्षण में मलाईदार तबके की पहचान के लिए उनसे जुड़े आंकड़ों का सही तरीके से विश्लेषण करने की आवश्यकता है। अगर सरकारें ऐसा करने में सफल सिद्ध होती हैं तो वंचितों को आरक्षण का लाभ मिल पायेगा और सही मायनों में आरक्षण का लक्ष्य पूरा हो सकेगा ।




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