विडम्बनात्मक दोहराव से बचा
- 22-May-24 12:00 AM
- 0
- 0
बंगाल में कांग्रेस के दो दिग्गजों मल्लिकार्जुन खरगे और अधीर रंजन चौधरी में ममता बनर्जी को लेकर खींची तलवारें फिलहाल म्यान में चली गई हैं। ऐसा कर पार्टी ने अपने आपको इतिहास के उस विडम्बनात्मक दोहराव से बचा लिया है।तब ऐसे ही अस्तित्वगत सवाल पर कांग्रेस की तत्कालीन फायरब्रांडÓ नेता ख्यात ममता बनर्जी ने पार्टी छोड़ दी थी। अपनी तृणमूल कांग्रेस बना ली थी और कुछ सालों बाद वह मां, माटी और मानुषÓ के नारे पर दशकों के कायम वामपंथी शासन को उखाड़ फेंका था।दूसरे नम्बर पर रही कांग्रेस इसके बाद राजनीतिक वनवास में चली गई थी, जबकि बंगाल में आजादी के बाद से दशकों तक सत्ताधारी रही थी। इसके बाद का इतिहास आज का वर्तमान है, जिस पर तृणमूल है, कांग्रेस और वामदल अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे हैं। इनमें कांग्रेस सत्ता के लिए कुछ अधिक ही अधीरता से प्रयासरत है। इस तर्क से कि बंगाल की सत्ता से 50 साल बाहर रहने के कारण उसके विरु द्ध सत्ता विरोधी विचार खुरच गए हैं।इस बीच आई नई पीढ़ी में उसके प्रति कोई पूर्वाग्रह नहीं है और वह आसन्न भाजपा के बजाय कांग्रेस को वरीयता दे सकती है। इसके लिए सही मोहरे चलना होगा-जनता को तृणमूल कांग्रेस की ज्यादतियों से ही भिडऩा, जो वामशासन की बुराइयों की याद दिलाती है। आम जनता को इस अवसर की प्रतीक्षा है। लोक सभा चुनाव में भले बंगाल में भाजपा को अब वरीयता मिल जाए पर विधानसभा में कांग्रेस जमीनी पार्टी के रूप में मतदाताओं की पहली पसंद हो सकती है।इसके लिए ममता के विरोधाभासों पर हमलावर होते दिखते रहना है। यह केवल अधीर की निजी नहीं बल्कि कांग्रेस-कैडर की आम राय है। इसलिए बंगाल में कांग्रेस के चौधरीÓ अधीर रंजन को ही खरगे ने जब पार्टी से बाहर जाने का विकल्प रखा तो उनकी तस्वीर काली कर दी गई।आलाकमान की राय से यह खुला विद्रोह था। अधीर केवल ममता के दोमुंहेपन का विरोध कर रहे थे। अच्छा हुआ कि आलाकमान ने खरगे से कहलवा दिया कि चौधरी बंगाल में कांग्रेस के लड़ाकू सिपाही हैं। यह उनमें ममता से कार्यशैलीगत साम्यता की स्वीकारोक्ति है। उधर, ममता ने भी इंडियाÓ के प्रति अपनी राय मेंड कर ली है।वैसे भी चुनाव के मोड को देखते हुए कोई भी राजनीतिक आगे के रास्ते के बारे में मुतमईन नहीं है। नतीजा कुछ भी हो सकता है। इसलिए चुनाव परिणाम आने तक राजनीतिक गलियारे में बहुत कुछ घटित होगा।
Related Articles
Comments
- No Comments...