विदेश नीति में भी भारत की अहमियत बनी रहेगी

  • 31-Dec-24 12:00 AM

संकेत साफ है। श्रीलंका के मार्क्सवादी राष्ट्रपति की विदेश नीति में भी भारत की अहमियत बनी रहेगी। दिसानायके ने यह दो टूक भरोसा दिया कि उनकी सरकार श्रीलंकाई जमीन से किसी भारत विरोधी गतिविधि की इजाजत नहीं देगी।श्रीलंका के राष्ट्रपति अनूरा कुमारा दिसानायके की यात्रा से भारत को दो आश्वासन मिले। पहला तो यही कि दिसानायके ने राष्ट्रपति के रूप में अपनी विदेश यात्रा के लिए भारत को चुना।नई दिल्ली में उसका मतलब यह समझा गया है कि श्रीलंका के मार्क्सवादी राष्ट्रपति की विदेश नीति में भी भारत की अहमियत बनी रहेगी।फिर दिसानायके ने भरोसा दिया कि उनकी सरकार श्रीलंकाई जमीन से किसी भारत विरोधी गतिविधि की इजाजत नहीं देगी।मतलब यह समझा गया कि चीनी खोजी एवं अन्य जहाजों को श्रीलंका में लंगर डालने की अनुमति दी भी गई, तो श्रीलंका सरकार सुनिश्चित करेगी कि वे वहां से भारतीय हितों को नुकसान पहुंचाने वाली किसी गतिविधि में शामिल नहीं होंगे।दिसानायके अगले महीने चीन जाने वाले हैं। चूंकि भारत में पड़ोसी देशों के चीन से संबंध को लेकर एक खास तरह की संवेदनशीलता रहती है, इसलिए निश्चित रूप से यहां के कूटनीतिकों की नजऱ उस यात्रा पर रहेगी।फिलहाल, यह साफ हुआ है कि श्रीलंका की नई सरकार की अपनी प्राथमिकताएं हैं। 2022 में जिस आर्थिक संकट में देश फंसा था, उसके असर से आज भी नहीं उबर पाया है।ऊपर से आईएमएफ से लिए गए कर्ज की शर्तों ने सरकार के लिए नई चुनौतियां खड़ी की हैं। ऐसे में भारत जैसे बड़े पड़ोसी देश के साथ किसी विवाद में उलझने का जोखिम वहां की सरकार शायद ही उठा सकती है।मगर वह चीन की उपेक्षा करने की स्थिति में भी नहीं है, जिसका बहुत भारी निवेश श्रीलंका में है।संकेत यह है कि दिशानायके इन दोनों बड़े देशों की संवेदनशीलताओं का ख्याल करते हुए फिलहाल दोनों से सद्भावपूर्ण संबंध को प्राथमिकता दे रहे हैं।नई दिल्ली में यह संदेश देने के बाद उनकी कोशिश बीजिंग में भी ऐसा ही पैगाम देने की होगी। बहरहाल, भारत यात्रा के दौरान, जैसाकि अक्सर शिखर नेताओं की यात्रा के समय होता है, कुछ महत्त्वपूर्ण व्यापार एवं रक्षा समझौते भी हुए।इनसे भी सकारात्मक प्रभाव पैदा हुआ है। भारत के लिए अच्छी बात है कि जिस समय विभिन्न पड़ोसी देशों से चुनौती भरे संकेत आ रहे हैं, श्रीलंका ने उसे आश्वस्त किया है।




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