विपक्ष में सुगबुगाहट होना लाजिमी

  • 17-Sep-25 12:00 AM

एनडीए उम्मीदवार सीपी राधाकृष्णन देश के उपराष्ट्रपति का चुनाव जीत गए हैं। उनके पक्ष में 452 वोट पड़े। कुल 767 सांसद इस वोटिंग में शामिल हुए। 15 वोट अमान्य कर दिए गए।विपक्ष के साझा उम्मीदवार बी सुदर्शन रेड्डी थे, जिन्हें तीन सौ फर्स्ट प्रिफरेंस वोट मिले। राधाकृष्णन की जीत पहले से ही तय थी क्योंकि संख्या बल एनडीए के पक्ष में था। हालांकि क्रॉस वोटिंग का संदेह व्यक्त किया जा रहा था। उपचुनाव के लिए कुल 98.2त्न वोटिंग हुई। तमिलनाडु के तिरुप्पुर में जन्मे राधाकृष्णन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक रहे हैं। 1974 में जनसंघ की कार्यकारिणी समिति के सदस्य बने। 1996 में तमिलनाडु भाजपा के सचिव बने।उसके बाद दो बार सांसद चुने गए पर कोयंबटूर से तीन बार हार का सामना भी किया। 2020-22 तक भाजपा केरल के चुनाव प्रभारी रहे। 2023 में झारखंड के राज्यपाल बनाए गए। फिर 2024 में उन्हें महाराष्ट्र का राज्यपाल बनाया गया। जुलाई में तब के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने अचानक स्वास्थ्यगत कारणों का हवाला देकर इस्तीफा दे दिया था। साठ दिन के भीतर चुनाव कराना आवश्यक है। इसके लिए चुनाव आयोग निर्वाचन अधिकारी नियुक्त करता है, जो किसी सदन का महासचिव होता है।उपराष्ट्रपति का चुनाव परोक्ष होता है, जिसमें राज्य सभा और लोक सभा के सांसद शामिल होते हैं। मनोनीत सांसद भी अपने मताधिकार का प्रयोग करते हैं। राष्ट्रपति चुनाव में मतदान नहीं कर सकते। राधाकृष्णन को दक्षिण भारत में भाजपा के विस्तार में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने का श्रेय दिया जाता है। विनम्र, मेधावी, मिलनसार और समाज सेवा को समर्पित राधाकृष्णन की तारीफ में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी कह चुके हैं कि उन्हें खेलों में गहरी रुचि है पर वे राजनीति में खेल नहीं खेलते।कपड़ा उद्योग के माहिर व्यवसायी राधाकृष्णन तमिलनाडु में हिन्दुत्व की विचारधारा का नेतृत्व करते रहे हैं। इसलिए विपक्ष में सुगबुगाहट होना लाजिमी है कि उनका झुकाव धर्म विशेष की तरफ हो सकता है। दक्षिण भारत में अपना प्रभाव बढ़ाने को बेताब भाजपा के लिए यह दूर की कौड़ी भी साबित हो सकती है।हालांकि नवनिर्वाचित उपराष्ट्रपति के दामन पर किसी भी तरह के भ्रष्टाचार या पक्षपात जैसे आरोपों के छींटें नहीं हैं मगर कोयंबटूर में हुए सिलसिलेवार विस्फोटों को भी नजरंदाज नहीं किया जा सकता। संवैधानिक पदों पर रह चुके सीपी राधाकृष्णन अपने पूर्ववर्ती से अधिक माहिर और पारदर्शी हो सकते हैं।




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