वेबकास्टिंग फुटेज सार्वजनिक करना सही नहीं
- 01-Jul-25 12:00 AM
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चुनाव आयोग ने कहा है कि मतदान केंद्रों की वेबकास्टिंग फुटेज सार्वजनिक करना सही नहीं है। इससे मतदाताओं या समूहों की पहचान करना आसान हो जाएगा।मत देने या मत न देने वाला, दोनों ही असामाजिक तत्वों के दबाव, भेदभाव या धमकी का शिकार हो सकते हैं। यह मतदाताओं की सुरक्षा, गोपनीयता व जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950-51 में निर्धारित कानूनी प्रावधानों व सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का उल्लंघन होगा।लोक सभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी को दिए जवाब में आयोग ने यह कहा जिसमें चुनाव धांधली के आरोपों के बाद सीसीटीवी फुटेज की मांग की गई थी। इससे पहले गांधी ने सोशल माडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, वोटर लिस्ट? मशीन रीडेबल फाम्रेट नहीं देंगे, सीसीटीवी फुटेज? कानून बदल कर छिपा दी।आगे उन्होंने लिखा-साफ दिख रहा है-मैच फिक्स है और फिक्स किया गया चुनाव, लोकतंत्र के लिए जहर है। दरअसल, आयोग के अनुसार, चुनाव के दौरान ली गई तस्वीरें, वीडियो व बेवकास्टिंग सिर्फ पैंतालीस दिन तक सुरक्षित रखी जाएंगी।किसी निर्वाचन क्षेत्र में चुनाव नतीजों को अदालत में चुनौती नहीं दी जाती तो पैंतालीस दिन बाद यह डाटा नष्ट कर दिया जाएगा। कांग्रेस इसका शुरू से ही दोहरा रही है कि यह डाटा साल भर तक सुरक्षित रखा जाता था। कांग्रेस इसे चुनाव आयोग व मोदी सरकार की मिली-भगत ठहराते हुए लोक तांत्रिक व्यवस्था को खत्म करने की साजिश बता रही है। बेशक, आयोग के तर्क अपनी जगह उचित हैं मगर उसे सरकार के दबाव में आए बगैर अपनी स्वायत्तता का ख्याल रखना चाहिए।विपक्षी दलों की दलीलें सुनना उसका जिम्मा है। आशंकाओं व चिंताओं को मिटाने के प्रति उसे जवाबदेह भी होना होगा। लोकतांत्रिक व्यवस्था में न केवल विपक्षी राजनीतिक दल, बल्कि स्वयं मतदाता भी अपनी जिज्ञासाएं रखने को स्वतंत्र है। मतदाताओं की सुरक्षा व गोपनीयता निश्चित रूप से बेहद जरूरी हैं।मगर अपने उम्मीदवार के पक्ष-विपक्ष या धांधली के आरोपों की पुष्टि कराना भी दलों का जिम्मा है। अव्वल तो गांधी को बगैर सबूतों के इतने गंभीर आरोप लगाने से बचना चाहिए परंतु आयोग को भी उनकी आशंकाएं मिटाने का भरपूर प्रयास करना होगा।पैंतालीस दिन किसी भी आशंका या आरोप के लिए कम नहीं कहे जा सकते। आयोग को वरिष्ठ पदाधिकारियों को बुला कर अति सुरक्षित व गोपनीय व्यवस्था में विवादित फुटेज दिखाने का प्रावधान भी जोडऩा होगा। लोकतांत्रिक व्यवस्था में पारदर्शिता और जवाबदेही अति आवश्यक है।
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